अच्छे दिन
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता प्रभुदयाल श्रीवास्तव23 Feb 2019
कछुआ भैया थे कतार में,
थी कतार यह लंबी।
समय काटना था तो सिर में,
लगे फेरने कंघी।
किसी तरह भी दस घंटे में,
रुपये निकला पाए।
बैंक छोड़कर बाहर आये,
बिलकुल न झल्लाये।
बोले काले धन को कैसे,
भी बाहर लाना है।
आज हो रही दिक़्क़त पर अब,
अच्छे दिन आना है।
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