बादल भैया ता-ता थैया
बाल साहित्य | बाल साहित्य कविता प्रभुदयाल श्रीवास्तव21 Feb 2019
बादल भैया ता-ता थैया,
पानी के संग बरसा देना,
कम से कम दस पाँच रुपैया।
नोट नहीं सिक्के बरसाना।
एक नहीं कई बार गिराना।
तीस रुपये में हो जाएगा,
चॉकलेट का ठौर ठिकाना।
चॉकलेट की दम पर ही तो,
खेल सकेंगे चोर सिपहिया।
विनती है, दुःख सारे हर लो।
सिक्कों की बौछारें कर दो।
हम सब बालक शरण तुम्हारी,
आज हमारी झोली भर दो।
उन पैसों से ले आएंगे,
चना, कुरकुरा, गुड़ की लैया।
अगर नहीं सिक्के बरसाए,
भागे सिक्के बिना गिराये।
तो चन्दा तारों से कहकर,
हमने चाँटे सौ लगवाये।
चाँटे खाकर हाल तुम्हारा,
कैसा होगा बादल भैया।
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