हमको पेड़ बचाने हैं
बाल साहित्य | बाल साहित्य कहानी प्रभुदयाल श्रीवास्तव1 Mar 2023 (अंक: 224, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
रोहन दूसरी कक्षा में पढ़ता है। अपनी पढ़ाई नियमित रूप से करता है इस कारण वह अपनी कक्षा में प्रथम आता है। वह बहुत ही जिज्ञासु है और प्रत्येक वस्तु को ठीक से जान लेना चाहता है। आजकल वह अपने दादाजी के साथ भोर भ्रमण पर जाने लगा है। रास्ते में चलते चलते-दादाजी उसे सुबह की हवा और धूप के क्या-क्या लाभ होते हैं समझाते जाते हैं। वह बड़े ही ध्यान से दादाजी की बातों को सुनता है और समझने की कोशिश करता है।
आज उसे सड़क के किनारे कुछ आदमी छोटे-छोटे गड्ढे खोदते दिखे। उनके पास में कुछ नन्हे पौधे भी थे। रोहन ने पूछा, “दादाजी ये लोग गड्ढे क्यों कर रहे हैं?”
“बेटे ये लोग पौधे लगाने के लिए गड्ढे कर रहे हैं,” दादाजी बोले।
“हाँ दादाजी ठीक कह रहे हैं आप। इन लोगों के हाथ में पौधे भी हैं हरे-भरे, ताज़े-ताज़े। लेकिन यह गोल तारों वाली जाली जो पौधों के पास रखी है यह क्या है दादाजी?”
“अरे! यह नहीं जानते, यह ट्री गॉर्ड कहलाता है। पौधे लगाने के बाद उसकी सुरक्षा भी ज़रूरी होती है बेटे, इसलिए पौधों को इससे घेर देते हैं।”
“लेकिन क्यों घेर देते हैं?” रोहन ने फिर प्रश्न किया।
“रोहन बेटा अगर इन्हें नहीं घेरेंगे तो नन्हे पौधों को जानवर खा जाएँगे। नटखट बच्चे इन्हें उखाड़ कर फेंक देंगे।”
“लेकिन दादाजी पौधे क्यों लगाते हैं?” रोहन का जिज्ञासु मन आज जैसे सब कुछ जान लेना चाहता था।
“ये पौधे धीरे-धीरे बड़े हो जाएँगे और पेड़ बनेंगे। इनमें फूल निकलेंगे और फल भी आएँगे।”
“अरे वाह दादाजी। और क्या लाभ है पौधों और पेड़ों से?”
“पेड़ों पर चिड़ियों के घोंसले बनते हैं। इन पर बहुत से पक्षी रहते हैं। देखा नहीं अपने घर के सामने जो पीपल का पेड़ लगा है उस पर चिड़ियाँ चिहंग-चिहंग के गाने गातीं हैं। कौए काँव-काँव करते हैं और कोयल की आवाज़ भी सुनाई दे जाती है। इन पौधों-पेड़ों के फूल, फलों और छाल से दवाइयाँ भी बनती हैं। इन फ़र्नीचर भी बनता है। अपने घर में जो सोफ़ा और पलंग बने हैं वह लकड़ी से ही तो बने हैं,” दादाजी ने बहुत सी बातें उसे राह चलते-चलते ही समझा दीं।
“बस इतने ही लाभ हैं पेड़ों से दादाजी?”
“अरे भाई मुख्य लाभ तो भूल ही गए,” दादाजी ने ठहाका लगाया।
“क्या दादाजी आप तो ठीक से बता भी नहीं रहे हैं।”
”पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं। अगर पेड़ नहीं होंगे तो सारे प्राणी मर जाएँगे।
“हम जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन लेते हैं और दूषित हवा कार्बन डाइऑक्सइड छोड़ते हैं। हमारे द्वारा छोड़ी गई यही कार्बन डाइऑक्सइड सूर्य की रोशनी में पेड़ ग्रहण कर ऑक्सीजन छोड़ते हैं जो हमारे जीवित रहने का मुख्य घटक है।”
“इतनी महत्त्व पूर्ण बात दादाजी आपने सबसे बाद में बताई आपने,” रोहन कुछ नाराज़ होकर बोला।
“लेकिन बताई तो!” दादाजी ने फिर ठहाका लगाया।
थोड़ी देर में दोनों भोर भ्रमण से वापस घर आ गए।
रोहन ने आज बहुत-सी बातें सीखीं।
वह मन ही मन गुनगुना रहा था।
“पौधे नए लगाने हैं।
हमको पेड़ बचाने हैं।”
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