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शायरी - सजल

क्ष ख् ज्ञ त्र श-ष श्र 1 2 3 4 5 6 7 8 9

  1. अँधेरे में यादों की परछाईं रखता है

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  1. आस्था के अंगद जब से अड़े हैं भाई

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  1. एक दिन यक़ीनन

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क्ष ऊपर

ख् ऊपर

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ज्ञ ऊपर

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  1. तन्हाई-पसन्द
  2. तुझे भुलाने की कोशिश में
  3. तुम क्या हो कि

त्र ऊपर

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  1. बनकर गूँगा सत्य खड़ा है 

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  1. मचला है मासूमियत पारा हो जाए 

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श-ष ऊपर

श्र-श ऊपर

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  1. सहेली मेरी
  2. सागौन बबूल भी तुम्हीं रखना

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  1. हर मुलाक़ात के बाद

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