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मन जब चुप हो जाएगा

 

वह फिर भूल गया होगा, 
शायद रास्ता नया होगा। 
 
मुँह से कुछ जवाब नहीं देता, 
पर आँखों ने ख़ूब कहा होगा। 
 
पयाम दिया उस काग़ज़ में, 
पता नहीं लिखा होगा। 
 
बातें वही पुरानी थीं सब, 
बस नाम नया दिया होगा। 
 
वह जान गया कुछ नहीं होना, 
वह चुप है क्या क्या सहा होगा। 
 
गोरख की बात पते की है, 
जीने वाला नहीं मरा होगा। 
 
मन जब चुप हो जाएगा, 
अपना आप सखा होगा। 
 
छोड़ के कहाँ जाएँगे, 
वहाँ भी वही ख़ुदा होगा। 

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