तू कुछ तो बोल
काव्य साहित्य | कविता हेमन्त कुमार शर्मा1 Sep 2024 (अंक: 260, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
तू कुछ तो बोल,
तू जहाँ है
वहीं से बोल।
तेरा लहजा संशोध का हो,
सारी स्थिति के बोध का हो।
कह मूल्यवान,
व्यर्थ न मुँह खोल।
कलाकार है कला से कह,
नदी है तो बला से बह।
कि टूटें रिश्वतख़ोरी के पुल,
बही सड़क सा बन ढोल।
ख़ाली काग़ज़ पर पिरो मोती,
कुछ लिख
नायिका न हो जिसमें रोती।
साहस को दे भुजा,
नखशिख वर्णन में ही
लेखनी न रोल।
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