गिन के रखे हैं अल्फ़ाज़ दिल में
शायरी | नज़्म हेमन्त कुमार शर्मा15 Oct 2023 (अंक: 239, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
गिन के रखें हैं अल्फ़ाज़ दिल में,
मुस्कुराहट दर्द की आवाज़ दिल में।
सर से पाओं तलक बोलता रहा,
दर्द का बजता रहा साज़ दिल में।
झुका के देखा आफ़ताब रोशन,
पहले चस्प था लिबास दिल में।
कितनी उम्मीदों से वाबस्ता था,
कैसी निराशा थी आज दिल में।
पूरे करने में दो जनम भी कम,
छुपा के रखें हैं काज दिल में।
माँ ने लोरी के शब्द जो सुनाएँ,
याद बचपन के उठाए नाज़ दिल में।
सब तो आँखों से बयाँ नहीं होते,
कितने गहरे हैं राज़ दिल में।
इस तरफ़ फिर सहर निकल आई,
क्या करें इसका जो साँझ दिल में।
अपने टूटे मकां को देखा है,
वो तो ले के बैठे हैं ताज दिल में।
आजकल उनकी सब नरम बातें,
सख़्त रखते थे जो अंदाज़ दिल में।
रात करवट दिन बेचैन फिरें,
कैसा ये इश्क़ सा इलाज दिल में।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- अगर जीवन फूल होता
- कहते कहते चुप हो गया
- काग़ज़ की कश्ती
- किसान की गत
- खिल गया काँटों के बीच
- घन का आँचल
- जीवन में
- दिन उजाला
- नगर से दूर एकांत में
- नदी के पार जाना है
- पाणि से छुआ
- पानी में मिल जाएँगे
- प्रभात हुई
- प्रेम की कसौटी पर
- बहुत हुई अब याद
- मन इन्द्रधनुष
- मन की विजय
- मैं भी बच्चे की तरह रोना चाहता हूँ
- राम का अस्तित्व
- रेत में दुख की
- वर्षा
- वो साइकिल
- सितम कितने बयाँ
- सुहानी बातें
- ख़ुदा इतना तो कर
कहानी
लघुकथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
नज़्म
सांस्कृतिक कथा
चिन्तन
ललित निबन्ध
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं