काव्य साहित्य - गीत-नवगीत
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- अंतहीन टकराहट
- अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
- अखिल विश्व के स्वामी राम
- अच्युत माधव
- अधरों की मौन पीर
- अनगिन बार पिसा है सूरज
- अनुत्तरित प्रश्न
- अनुभूति
- अपने वो पास नहीं हैं
- अपाहिज व्यथा
- अब कहाँ प्यारे परिंदे
- अब का सावन
- अब दूरियाँ सब हों दहन
- अब नया संवाद लिखना
- अब वसंत भी जाने क्यों
- अबके बरस मैं कैसे आऊँ
- अभी रुको हवा को आने दो
- अभी रुको हवा को आने दो
- अम्बर के धन चाँद सितारे
- अवध में राम आए हैं
- अवसर कितने?
- असलियत बस अँगूठा दिखाती रही
- अस्मिता खो गई
आ ऊपर
- आ मानवता धारण कर लें
- आँसू आते हैं
- आँसू पी लिए
- आई शरण तिहारे
- आई होली आई रे
- आओ बैठो दो पल मेरे पास
- आओ सुबह बनकर
- आकुल आकाश हो गया
- आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
- आज अनुभूतियाँ शब्द बनने लगीं
- आज उन्हीं शब्दों को मेरी क़लम गीत कर के लाई है
- आज फिर महका किसी की याद का चंदन
- आज मुझमें बज रहा जो तार है
- आप
- आप उपवन में आये
- आप जिसकी अनुमति दें
- आप सुनो तो
- आया यह मृदु-गीत कहाँ से!
- आसमान की चादर पे
- आस्था घुल रही आज विश्वास में
ई ऊपर
ऊ ऊपर
ऐ ऊपर
औ ऊपर
क ऊपर
- कथ्य पुराना गीत नया है
- कपड़े धोने की मशीन
- कबीर हुए
- करघे का कबीर
- कवि जो कुछ लिखता है
- कहो कबीर!
- कारवाँ
- कारे-कारे बदरवा : पावस गीत
- कालिख अँधेरों की
- कि बस तुम मेरी हो
- किस में बूता है
- किस मोड़ पर आँसू आए हैं
- कृष्ण मुझे अपना लो
- कृष्ण सुमंगल गान हैं
- कैसे कोई गीत सुनाये
- कोई ना छल दे! तुझको ऐसी नज़र से तोलो!
- कोई साँझ अकेली होती
- कोयल है बोल गई
- कोरे काग़ज़ की छाती पर, पीर हृदय की लिख डालें
- कोरोना का दंश
- कोलाहल की साँसें
- कोहरा कोरोनिया है
- क्या करूँ
- क़िले वाला शहर
क्ष ऊपर
ख् ऊपर
ग ऊपर
च ऊपर
ज ऊपर
ज्ञ ऊपर
ड ऊपर
त ऊपर
- तक़दीर का फ़साना लिख देंगे आसमां पर
- तनिक न आये शर्म
- तारे खिले-खिले
- तिनके का सहारा
- तुझ बिन . . .
- तुम
- तुम करते सौग़ातें
- तुम क्यों मुझे तड़पा रहे हो?
- तुम तुम रहे
- तुम प्रिये
- तुम मुक्ति का श्वास हो
- तुमको रंगों में
- तुम्हें अगर फ़ुर्सत हो थोड़ी
- तू मधुरिम गीत सुनाए जा
- तू रीत की आँखों में बनकर बरसात रहेगा
- तेरी प्रीत के सपने सजाता हूँ
- तेरी-मेरी प्रीति में
- तेरे अपनेपन ने
त्र ऊपर
थ ऊपर
द ऊपर
न ऊपर
प ऊपर
फ ऊपर
ब ऊपर
- बच्चा सीख रहा
- बदरी बहुत घनी है
- बना रही लोई
- बनारस की गली में
- बन्धु बताओ!
- बरगद की छाँव
- बरगद के अंतस में
- बसंती नूर
- बहिन काश मेरी भी होती
- बहुत याद आती हो!
- बाँचना हथेली है
- बातों में मशग़ूल
- बादलों के बीच
- बादलों के बीच सूरज
- बिखरा-बिखरा सा है मन
- बूँदों का संगीत
- बूढ़ा चशमा
- बेटी घर की बगिया
- बेबस क्यों हैं नारियाँ
- बोन्साई वट हुए अब
- बड़ी ज़ोर को सखी ऊ नचैय्या
भ ऊपर
म ऊपर
- मतदाता जागरूकता पर गीत
- मन को छलते
- मन गीत
- मन चितेरा
- मन बातें
- मन वसंत
- मन संकल्पों से भर लें
- मनमत्त गयंद
- महानगर के चाल-चलन
- महुआ के फूल
- माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे
- मुक्त नहीं है वातावरण...
- मुक्ति होगी कब व्याधि से
- मेघ जीवन
- मेघा बरसे
- मैं गीत लिखूँगी
- मैं तो हूँ केवल अक्षर
- मैं दिनकर का वंशज हूँ – 001
- मैं दिनकर का वंशज हूँ – 002
- मैं ही राधा, मैं ही मीरा
- मैंने नवगीत लिखे
- मौन अधर कुछ बोल रहे हैं
- मौन गीत फागुन के
- मौसमों की चल रही है ख़ूब मनमानी
र ऊपर
व ऊपर
श-ष ऊपर
श्र-श ऊपर
स ऊपर
- संबोधन पद!
- संशय है
- सच पूछो तनहाई है
- सत्य का संदर्भ
- सब वादे भूले जैसे हैं
- समय की धार ही तो है
- साथ तुम्हारा . . .
- साथ निभाकर . . .
- सावन का आया मौसम . . .
- सावन के झूले
- सावन गीत - 01
- सावन गीत - 02
- सुख की रोटी
- सुख-दुख सब आने जाने हैं
- सुख–दुख
- सुन, रात लोरियाँ गा रही है
- सुनो बुलावा!
- सूना पल
- सूरज की क्या हस्ती है
- सूरज की दुश्वारियाँ
- सूरज को आना होगा
- सूरज को ना ढलने दूँगा
- सोलह शृंगार
- स्वागत है नववर्ष तुम्हारा