अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी रेखाचित्र बच्चों के मुख से बड़ों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

श्रावण

 

श्रावण की बूँदें हैं पावन, हरियाली मन भाए। 
मन मंदिर में भक्ति जगे नित, शिव का नाम सुहाए॥
 
मेघों की वाणी मधुरिम है, कजरारे नभ छाए। 
सावन सजा फुहारों में अब, तन-मन भीगें जाए॥
गौरी करें अर्चना शिव की, जपें निरंतर भोले। 
बेल पत्र अर्पित कर-कर के, शिव चरणों को धोले॥
 
जन मानस भक्ति में डूबा, शिव का रंग चढ़ाए। 
श्रावण की बूँदें हैं पावन, हरियाली मन भाए॥
 
काँवड़िए गाते हर-हर बम, पथ में नर्तन करते। 
गंगाजल अभिषेक करें सब, भोले झोली भरते॥
व्रत उपवास करें सब नारी, मंगल रूप सजाए। 
श्रद्धा, संयम, संकल्पों का, अनुपम रंग चढ़ाए॥
 
जीवन के नव अनुबंधों में, मन के रंग रँगाए। 
श्रावण की बूँदें हैं पावन, हरियाली मन भाए॥
 
वन, उपवन सब हरे-भरे हैं, जीवन रस बरसाए। 
धरती माँ की गोद सजी अब, नवल रंग मुस्काए॥
भक्ति, प्रकृति, प्रेम का संगम, आशा नई जगाए। 
सजता सावन, संवरे तन मन, गोरी मन शरमाए। 
 
त्योहारों का पावन मौसम, मन में भक्ति जगाए। 
श्रावण की बूँदें हैं पावन, हरियाली मन भाए॥

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अंतहीन टकराहट
|

इस संवेदनशील शहर में, रहना किंतु सँभलकर…

अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
|

विदित नहीं लेखनी उँगलियों का कल साथ निभाये…

अखिल विश्व के स्वामी राम
|

  अखिल विश्व के स्वामी राम भक्तों के…

अच्युत माधव
|

अच्युत माधव कृष्ण कन्हैया कैसे तुमको याद…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

कहानी

दोहे

सामाजिक आलेख

किशोर साहित्य कहानी

सांस्कृतिक आलेख

गीत-नवगीत

कविता - हाइकु

कविता-मुक्तक

कविता - क्षणिका

लघुकथा

स्वास्थ्य

स्मृति लेख

खण्डकाव्य

ऐतिहासिक

बाल साहित्य कविता

नाटक

साहित्यिक आलेख

रेखाचित्र

चिन्तन

काम की बात

काव्य नाटक

यात्रा वृत्तांत

हाइबुन

पुस्तक समीक्षा

हास्य-व्यंग्य कविता

गीतिका

अनूदित कविता

किशोर साहित्य कविता

एकांकी

ग़ज़ल

बाल साहित्य लघुकथा

व्यक्ति चित्र

सिनेमा और साहित्य

किशोर साहित्य नाटक

ललित निबन्ध

विडियो

ऑडियो

उपलब्ध नहीं