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मेरा मध्यप्रदेश

(मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर गीत) 

 

सदा वत्सले रत्न सुगर्भा
मेरा मध्यप्रदेश। 
 
मातु नर्मदा इसकी रक्षक
यह है रम्य निकुंज। 
भारत का यह हृदय सुकोमल
स्वर्णपुष्प रवि पुंज। 
भाषा बोली भिन्न सभी हैं
पर सब मिल कर एक। 
श्रम सिंचित भूमि यह पावन
फूलें सुमन अनेक। 
 
खनिज संपदा उर्वर धरती
भारत का हृदयेश। 
 
चित्रकूट खजुराहो मांडू
विंध्य सतपुड़ा मेख। 
रामलला का नगर ओरछा
महाकाल आरेख। 
भीमबेठका विश्वधरोहर
अद्भुत भेड़ाघाट। 
पंचमढ़ी की छटा निराली
उन्नत सदा ललाट। 
 
ज्ञान भक्ति वैराग्य सत्य का
संगम शुद्ध सुवेश। 
 
छत्रसाल बुंदेला गौरव
है प्रदेश अभिमान। 
दुर्गावती अहिल्याबाई
हम सब की हैं शान। 
तात्या लक्ष्मी झलकारी सब
आज़ादी के वीर। 
काँप रहे थे गोरे जिनसे
थे आज़ाद अधीर। 
 
भारत के गौरव गानों में
अव्वल यही प्रदेश। 
 
माखन और सुभद्रा गाते
आज़ादी के गीत। 
लता किशोर रत्न भारत के
इस माटी के मीत
विश्व पटल पर हुआ तरंगित
ओशो का संदेश। 
आशुतोष का अद्भुत अभिनय
जैसे शिव आदेश। 
 
है महान यह हृदय हमारा
संकल्पित परिवेश। 
 
उन्नत खेती खनिज संपदा
उर्वर मस्तक मान। 
आदिवासियों की धरती यह
जीवन गीता ज्ञान। 
फुल्ल कुसुममय अमिय सुधा सम। 
सदा सुवासित गीत। 
कण कण में संस्कृति समाहित। 
संस्कार मय रीत। 
 
नव विकासपथ चला हमारा
प्यारा मध्यप्रदेश। 

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