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राजापुर तुलसी दास जी की जन्मस्थली से . . . एक रिपोर्ट

 

सीता-राम चरित अति पावन, मधुर सरस अरु अति मन भावन

राजापुर गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान है, विश्व प्रसिद्ध श्री रामचरित मानस की रचना यहाँ पर की गई थी तुलसीदास जी ने 76वें वर्ष में रामचरित मानस लिखने की शुरूआत की थी। 

भगवान राम को आमजन तक पहुँचाने में महाकाव्य रामचरितमानस की भूमिका महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस की रचना 966 दिन में पूरी हुई थी। इसके लिए तुलसीदास ने अयोध्या, काशी, समेत तमाम उन स्थानों का भ्रमण किया था जहाँ भगवान राम से जुड़े साक्ष्य मौजूद थे। 

तुलसीदास की रामचरितमानस आज भी उनके पैतृक गाँव राजापुर में मौजूद है। गोस्वामी तुलसीदास की हस्तलिखित यानी उनके द्वारा ख़ुद लिखी गई सैकड़ों साल पुरानी कृति आज भी सुरक्षित है। 

गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस 447 साल बाद भी सहेज कर रखी गई है। गोस्वामी के गाँव राजापुर से उनकी हस्तलिखित रामचरितमानस का दर्शन किया जा सकता है। हस्तलिखित रामचरितमानस को देखकर पता चलता है कि 500 साल में हिंदी वर्णमाला के 15 अक्षर बदल चुके हैं। 

मैंने भी इस रामचरितमानस को पढ़ने की कोशिश की मगर मैं नहीं पढ़ पाया। 

अब केवल अयोध्या कांड बचा है, बाक़ी सब विलुप्त हो गए। रामाश्रय जी जोकि गोस्वामी तुलसीदास जी के ग्यारहवीं पीढ़ी के शिष्य हैं उन्होंने बताया कि बस अयोध्या कांड बचा है और पूरे विश्व में इस रामचरित मानस को पढ़ने वाले सिर्फ़ वही हैं। 

चित्रकूट से 42 किमी दूर, यह स्थान गोस्वामी तुलसीदास का जन्मस्थान माना जाता है। इतना पवित्र स्थल होने के बाद भी यह उपेक्षित है मंदिर तक पहुँचने के लिए वही तंग गलियाँ दोनों तरफ़ सब्ज़ी का बाज़ार और एक कोने में तुलसी बाबा का मंदिर। यहाँ पर तुलसी कुटीर जहाँ पर उनका जन्म हुआ था में तुलसीदास की स्वयम्भू प्रतिमा एवम स्वयम्भू शालिगराम स्थापित हैं। 

वैसे मानव के कष्ट तो उसके कर्मों का प्रतिफल होते है पर ऐसा माना जाता है कि सावन महीने में इस कृति के दुर्लभ दर्शन से ही मानव के सब कष्ट दूर हो जाते हैं। तुलसी बाबा को सादर प्रणाम। 

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