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पचमढ़ी यात्रा

 

सतपुड़ा की रानी से मिलने का बहुत मन था, हरी-भरी मुस्कुराती, मन को भाती रानी, हरियाली और वन्य जीवों से परिपूर्ण सतपुड़ा के घने जंगलों के मध्य पंचमढ़ी अत्यंत सुंदर और मोहक स्थान है। हरे-भरे पहाड़ों के बीच में से कलकल बहता पानी, अनगिनत झरने, कहीं साल के घने जंगलों के बीच में खुले खेत, बाँस व जामुन के बग़ीचे और लाल मिट्टी पचमढ़ी की ख़ास पहचान है। 

आख़िर अपने को रोक न सका और चल दिया सतपुड़ा की रानी से मिलने, सुबह पाँच बजे अरुणोदय की लालिमा से युक्त आकाश जंगलों के हरे-भरे, टेढ़े-मेढ़े रास्तों के बीच, ‘अपना दिल तो आवारा न जाने किस पे आएगा’ गुनगुनाते हुए हम पचमढ़ी सुबह आठ बजे पहुँचे, चाय नाश्ते के बाद हम रानी से मिलने निकल पड़े।  

सबसे पहले हम पांडव गुफा पहुँचे, पहाड़ी पर बड़ी से चट्टान में बनी हैं ये पाँच गुफाएँ जिन्हें पाँच पांडवों के नाम से जाना जाता है। इन पाँच मढ़ियों से ही पचमढ़ी को अपना यह नाम मिला है। जंगलों और पहाड़ियों के लिहाज़ से रीछगढ़, हाँड़ी खोह, पवित्र महादेव, छोटा महादेव, चौरागढ़, जटाशंकर पचमढ़ी के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। ये सभी स्थान मुख्य रूप से शिव की आराधना से जुड़े हुए हैं। लेकिन सभी प्राकृतिक रूप से बेहद ख़ूबसूरत हैं। चट्टानों व पत्थरों के बीच से बहता रजत प्रपात यानी बिग फ़ॉल और उसकी तलहटी में बना अप्सरा विहार और खड़ी व मुश्किल उतराई वाला जलावतरण यानी (डचेस फ़ॉल) यहाँ के मुख्य प्रपातों में एक हैं। जस्टिस विवियन बोस की पत्नी इरिन बोस द्वारा खोजा गया इरिन पूल, डचेस फाल से ढाई किलोमीटर दूर तैरने के लिए बेहतरीन सुंदर कुंड (सांडर्स पूल), त्रिधारा (पिकर्डिली सर्कस), देनवा धारा पर वनश्री विहार (पेनसी पूल) व संगम (फुलर्स खुड) प्रमुख हैं। और अंत में सतपुड़ा की सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ से सूर्यास्त का नज़ारा देखकर हमारी सतपुड़ा की रानी से मुलाक़ात संपन्न हुई किन्तु उस मुलाक़ात की स्मृतियाँ आज भी हमारे मन में गहरी अंकित हैं। 

निर्मल रूप
सतपुड़ा की रानी
शिव सानिध्य। 

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