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आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

 

(आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के निर्वाण समाधि पर अश्रुपूरित श्रद्धा सुमन।) 
 
मन प्रवाहित चेतना के आधार हो 
गुरुवर आप धर्म अवतार हो। 
 
धर्म अध्यात्म तेज संवाहित सरल। 
योग निष्ठित नियम सामर्थ्य बल। 
नयनों में नेह सबके लिए। 
भेद सब आपने विस्मृत किए। 
 
आपके ही नाम से भव पार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो। 
 
महावीर पथ नित कर्मठ चले। 
ब्रह्म विद्या योग विद्या साथ ले। 
मनस की सामर्थ्य का कर निर्वहन। 
उच्च सद्गुण वृतियों का संचरण। 
 
आत्मबल के शुद्धतम विस्तार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो। 
 
आज संलेखना में आप स्थित हो गए। 
ब्रह्ममय आप निर्गत संवाहित हो गए। 
अश्रुपूरित हम सभी करते नमन। 
युगयुगान्तर याद हो यह जिन गमन। 
 
आप स्वर्ग वाणी वाग्दत्ता सार हो
गुरुवर आप धर्म अवतार हो। 

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