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बाल हनुमान पर दोहे


1. 
बाल रूप चंचल चपल, तेज शौर्य की खान। 
सूरज सदृश तेजस्विता, श्री हनुमत पहचान॥
2. 
वायुपुत्र का तेज है, पर्वत सम आकार। 
क्रीड़ा में भी है छिपा, सेवा का विस्तार॥
3. 
उड़ कर के आकाश में, सूरज को फल जान। 
भक्ष्य किया रवि कौर में, हाहाकार विधान॥
4. 
वन जीवों से मित्रता, सबका लेकर साथ। 
श्री अंजनि के पुत्र ने, थामा प्रभु का हाथ। 
5. 
हनुमत बाल स्वरूप में, बल है अपरंपार। 
करुणा से मन है भरा, हृदय प्रेम उद्गार॥
6. 
ऋषि वचनों की सीख से, पाए सुंदर कर्म। 
साहस, सेवा, मन विनय, सजता जीवन धर्म॥
7. 
लीलाएँ अद्भुत करी, हरते सब की पीर। 
बालरूप में भी रहा, मन ज्ञानी गंभीर। 
8. 
तेजस्वी, मन के सरल, जैसे मंद समीर। 
पंच तत्त्व के सार तुम, अंजनि सुत रणवीर। 
9. 
राम हेतु ही जन्म है, जय बजरंग प्रवीर। 
राम कार्य के हेतु तुम, जय रण रंग अधीर॥
10. 
जय बल बुद्धि विशाल तुम, जय जय वायु कुमार। 
जय हनुमत बल वीर तुम, राम भक्ति आगार॥

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