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अटल बिहारी पर दोहे

है विशाल व्यक्तित्व जिमि, बरगद का हो वृक्ष। 
शुचिता मय था आचरण, आदर्शों से रक्ष। 
 
कृष्ण बिहारी थे पिता, कृष्णा माता नाम। 
ज़िला आगरा बटेश्वर, इनका था सुख धाम। 
 
नेता कवि, वक्ता प्रखर, सिद्धहस्त साहित्य। 
अटल बिहारी नाम था, सेवा श्रेष्ठ सुकृत्य। 
 
नदियों का हो जोड़ना, सड़कों का विस्तार। 
था परमाणु पोखरण, अटल नीति आधार। 
 
सर्व समन्वय नीति हो, या शिक्षा अभियान। 
युद्ध कारगिल की विजय, अटल देश अभिमान। 
 
राजनीति के संत थे, शुचिता के थे दूत। 
जनसेवक जनप्रिय रहे, श्रद्धा मिली अकूत। 
 
श्यामा के आदर्श के, अटल बने प्रारूप। 
नवविकास के सूर्य थे, राष्ट्रवाद की धूप। 
 
पंडित दीनदयाल के, थे वो सच्चे शिष्य। 
मानवता के दूत थे, भारत भाल भविष्य। 
 
संघ स्वयंसेवक बने, राष्ट्र प्रेम आधार। 
शुद्ध आचरण में जिए, शुद्ध सदा व्यवहार।

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