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नारी का प्यार

 

नारी का प्यार, 
वो अनकहा रहस्य
जो दिल की गहराइयों 
से निकला है, 
वो कोई साधारण शब्द नहीं, 
जो आसानी से 
व्यक्त किया जा सकता है। 
उसका प्यार एक 
सागर की तरह गहरा, 
जो हर लहर में अपने 
रंग बदलता है, 
कभी सागर की शांत धारा जैसा, 
तो कभी ज्वार की तरह 
उफान भरता है। 
 
जब नारी किसी को 
अपना मानती है, 
तो वो उस दिल में एक नया
संसार रचती है, 
वो अपने सारे अरमान, 
सारी भावनाएँ
उसके नाम कर देती है, 
बिना किसी शर्त के। 
उसका प्यार केवल 
शब्दों तक सीमित नहीं, 
वो अपने हर आशीर्वाद से 
उसे ढक देती है, 
चाहे वो एक हलकी सी मुस्कान हो, 
या फिर चुपके से आँखों में 
समाई हुई आँसू की बूँद। 
 
नारी का प्यार एक पल की 
कोई भावना नहीं है, 
यह तो एक पूरी ज़िन्दगी का समर्पण है, 
जो बिना किसी स्वार्थ के, 
बिना किसी शंका के
हर क़दम 
उस पुरुष के साथ चलता है। 
वो जब अपने दिल से 
किसी को चाहती है, 
तो ख़ुद को भी उसमें 
खो बैठती है, 
अपने दुःख, अपने दर्द, 
अपने सपने
उसके सामने बिना 
किसी भय के खोल देती है। 
 
प्यार की परिभाषा अक्सर बदलती है, 
लेकिन नारी का प्यार 
कभी नहीं बदलता, 
यह एक ऐसी आग है, जो बिना
जलाए ही रौशन करती है, 
यह बिना बोले सब 
कुछ कह जाता है, 
और फिर भी कभी किसी से
कोई शिकायत नहीं होती। 
कभी वो धीरज की मिसाल बन जाती है, 
कभी अपने प्यार को एक बार
फिर से तलाशने की कोशिश करती है, 
लेकिन हमेशा उसका प्यार वही रहता है, 
जो उसने बिना किसी शर्त के दिया था। 
 
नारी का प्यार वह असल शक्ति है, 
जो सर्दी में तपिश और 
गर्मी में शीतलता देता है, 
वह कभी अपनी परवाह नहीं करती, 
क्योंकि उसके प्यार की सबसे
बड़ी ख़ासियत यही है, 
वह हर दर्द, हर कष्ट को सहेते हुए
उसमें निखरती जाती है। 
 
लेकिन फिर भी, यह प्यार हर
किसी को नहीं मिलता, 
कभी किसी को अपना दिल
खोकर ही मिलता है, 
कभी किसी को सिर्फ़ 
एक ख़्वाब बनकर, 
जो वह किसी और से देख नहीं पाता। 
 
नारी का प्यार एक वरदान है, 
जो उसे किसी विशेष 
को सौंपना होता है, 
यह अनमोल है, 
जो कभी नष्ट नहीं होता, 
बस सही समय, सही दिल, 
और सही जगह की तलाश होती है, 
जहाँ यह सच्चे रंगों में खिलता है। 
 
इसलिए नारी का प्यार एक वरदान है, 
जो केवल उसे मिलेगा, 
जो इसे सच्चे दिल से समझेगा, 
क्योंकि यह केवल एक दिल से
दूसरे दिल तक का सफ़र नहीं, 
बल्कि आत्मा की गहराई से
आत्मा की गहराई 
तक का रास्ता है। 

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