अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

कृष्ण सुमंगल गान हैं

कृष्ण मधुर हैं कृष्ण सुवासित
कृष्ण सुमंगल गान हैं।
कृष्ण हैं जीवन कृष्ण जगत मन
कृष्ण सर्व सम्मान हैं।


कृष्ण यशोदा नन्द दुलारे
नटखट बाल रूप अवतार।
कृष्ण गोपियों के हैं प्यारे
कृष्ण मित्रता के आधार।
गिरिवर के धारक हैं मोहन
सत्यस्वरूप महा गिरिराज।
ब्रजमंडल के पालन कर्ता
कृष्ण आत्मा के हैं अधिराज।


कृष्ण समर्पण जीवन सुख हैं
कृष्ण ब्रह्म अवधान हैं।


कृष्ण भाद्रपद अष्टम प्रकटे
परम ब्रह्म रासेश्वर रूप
शीतल कमल सुगंध अमिय मय
दिव्य ज्योतिमय रूप अनूप
मंगल गान नन्द गृह गूँजें
बजे बधाई गोकुल धाम।
रोली कुंकुम चौक पुरे हैं
प्रकटे कृष्ण और बलराम।
 

पलना में झूलें दो भाई
नन्द नदन मधु गान हैं।


हँसति लसति सखि मटकी धारें
माखन चोर कृष्ण मुस्कात।
मारे कंकड़ मटकी फोड़ी ,
लिपटे विमल मनोहर गात।
नन्द को लाल दही में लिपटो
गोकुल गलियाँ दौड़ो जात।
माखनमय मोहन मुख प्यारा
हलरावै दुलरावै मात।


गउओं का वो है रखवाला
गोपालक मधुमान है।


कृष्ण समन्वय कृष्ण प्रतिष्ठा
कृष्ण नीति है जन आधान।
कृष्ण प्रेम हैं कृष्ण आचरण
कृष्ण विज्ञ तम हैं विज्ञान।
कृष्ण मनोरथ कृष्ण भगीरथ
कृष्ण अलौकिक ब्रह्म विचार।
कृष्ण मनोमय कृष्ण जीवमय
कृष्ण चेतना के आधार।


कोटि कोटि ब्रह्माण्ड विनायक
मोहन अंतिम ज्ञान हैं।
 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अंतहीन टकराहट
|

इस संवेदनशील शहर में, रहना किंतु सँभलकर…

अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
|

विदित नहीं लेखनी उँगलियों का कल साथ निभाये…

अखिल विश्व के स्वामी राम
|

  अखिल विश्व के स्वामी राम भक्तों के…

अच्युत माधव
|

अच्युत माधव कृष्ण कन्हैया कैसे तुमको याद…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सामाजिक आलेख

गीत-नवगीत

दोहे

काव्य नाटक

कविता

लघुकथा

कविता - हाइकु

नाटक

कविता-मुक्तक

यात्रा वृत्तांत

हाइबुन

पुस्तक समीक्षा

चिन्तन

कविता - क्षणिका

हास्य-व्यंग्य कविता

गीतिका

बाल साहित्य कविता

अनूदित कविता

साहित्यिक आलेख

किशोर साहित्य कविता

कहानी

एकांकी

स्मृति लेख

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

ग़ज़ल

बाल साहित्य लघुकथा

व्यक्ति चित्र

सिनेमा और साहित्य

किशोर साहित्य नाटक

ललित निबन्ध

विडियो

ऑडियो

उपलब्ध नहीं