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वट सावित्री व्रत पर दोहे

 

ज्येष्ठ अमावस शुभ दिवस, शुभ मुहूर्त है आज। 
सभी सुहागिन पूजतीं, वट तरुवर सरताज॥
 
वट को पूजें नारियाँ, माँगें अटल सुहाग। 
पतिव्रत के संकल्प से, चमके जीवन भाग॥
 
सावित्री का तप घना, पति व्रत था आधार। 
सत्यवान जीवन दिया, मानी यम ने हार॥
 
कच्चे सूत लपेटकर, करतीं पूजन नार। 
हो अखंड सौभाग्यमय, जीवन खिले बहार॥
 
सावित्री संकल्प से, वट का पूजा कर्म। 
पुण्य कमाती नारियाँ, पाती उत्तम धर्म॥
 
सुनतीं गाथा ध्यान से, सावित्री संकल्प। 
पति की सेवा धर्म है, इसका नहीं विकल्प॥
 
मेहँदी हाथों में रची, माथे पर सिंदूर। 
वट की छाया में खड़ीं, हर दुख होता दूर॥
 
धूप-दीप नैवेद्य से, पूजें वट को नार। 
सुख-समृद्धि पातीं सभी, ख़ुशियों का संसार॥
 
ईश्वर से करतीं अर्ज़, दो प्रभु अटल सुहाग। 
सदा संग पति का रहे, हो गहरा अनुराग॥
 
वट देता है छाँव सुख, करता जीवन शांत। 
सावित्री व्रत से मिटे, मन के सारे भ्रांत॥

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