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हिन्दी इज़ द मोस्ट वैलुएबल लैंग्वेज

"हिन्दी दिवस पर आज मैं आप सब लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। हिन्दी भारतीय संस्कृति की प्राण है, यह शस्य श्यामला भूमि का भूषण हैं। यह मानव मन को अवर्चनीय आनंद से सांगोपांग पगा देने वाली भाषा है।"

बाल मंदिर विद्यालय में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में अंग्रेज़ी के शिक्षक श्री मोहन मधुर ने अपने उद्बोधन में जैसे ही क्लिष्ट शब्दों का समायोजन किया सभी बच्चों के चेहरों से स्पष्ट लग रहा था वो थोड़े असहज हैं।

बाक़ी शिक्षक भी असहज से दिखे क्योंकि अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल में अधिकांश शिक्षक साउथ इंडियन थे। और फिर अंग्रेज़ी का शिक्षक इतनी उच्च स्तरीय हिंदी कैसे बोल रहा था ये भी एक बड़ा प्रश्न था।

संचालक ने कान में कहा, "सर स्टूडेंट डू नॉट अंडरस्टैंड व्हाट आर यु सेइंग।"

"अच्छा," श्री मनोहर मधुर सकपका गए फिर मुस्कुराते हुए उन्होंने अपना भाषण जारी रखा।

"नाउ वी आर गोईंग टू सेलिब्रेट हिन्दी दिवस टुडे. हिन्दी इज़ द मोस्ट लवेबल लेंग्वेज, इट इज़ अवर नेशनल प्राइड, वी शुड डू एवरी थिंग इन हिंदी।"

मनोहर मधुर की रौबदार आवाज़ गूँज रही थी बच्चे ख़श थे उन्हें अब हिन्दी की महत्ता पूरी समझ में आ रही थी।

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