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गुरु पूर्णिमा पर गीत 

 

जीवन जिसने हम पर वारा, 
गुरु को शत-शत नमन हमारा। 
गुरु पूर्णिमा आई है 
ज्ञान की ज्योति लाई है। 
 
अँधियारे में जब थे भटके, 
विद्या दीपक लेकर आए, 
राहों में थे कंकर अटके, 
तिमिर उन्होंने दूर भगाए। 
अक्षर-अक्षर हमें सिखाया, 
पशु से हमको मनुज बनाया। 
हर मुश्किल में साथ निभाया, 
डर को हमसे दूर भगाया। 
 
डगमग नैया थी जीवन की
गुरु ने हमको दिया किनारा। 
गुरु पूर्णिमा आई है 
ज्ञान की ज्योति लाई है
 
सही-ग़लत की समझ सिखाई, 
संस्कारों की नींव बनाई। 
मन में निष्ठा ख़ूब जगाई, 
जीवन को नव राह दिखाई। 
कभी डाँट कर, कभी प्यार से, 
हर पल जीना भी सिखलाया
पिता-सा प्यार, माँ-सी ममता, 
सच्चा ज्ञान हमें बतलाया। 
 
गुरु ही जीवन गुरु ही पूजा
गुरु पर पूरा तन मन वारा। 
गुरु पूर्णिमा आई है
ज्ञान की ज्योति लाई है। 
 
वो माली जो पौधे सींचे, 
आशाओं के मोती खींचे। 
अपने पन के फूल खिलाए, 
ख़ुश्बू से जग को महकाए। 
शब्द शब्द उनके गुरुवाणी, 
गुरुवर की है अमर कहानी, 
ज्ञान की गंगा उनसे बहती, 
करुणा दया हृदय में रहती। 
 
भव सागर से गुरुवर तारो
गुरु ही सत्य सिंधु आधारा। 
गुरु पूर्णिमा आई है, 
ज्ञान की ज्योति लाई है। 
 
नहीं भेद, ना कोई दूजा, 
गुरु चरणों की करते पूजा, 
गुरु ही ब्रह्मा, गुरु सत्य विष्णु, 
गुरु ही होते सबल सहिष्णु। 
गुरु ही सब कष्टों से तारें
गुरु कृपा से सब दुःख हारें। 
गुरुवर के चरणों की छाया
गुरु में ईश्वर को ही पाया। 
 
चरणों में हम शीश झुकाएँ, 
गुरु ने मन व्यक्तित्व सँवारा 
गुरु पूर्णिमा आई है 
ज्ञान की ज्योति लाई है।

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