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सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

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अन्य

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साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

ISSN 2292-9754

पूर्व समीक्षित
वर्ष: 21, अंक 266, दिसंबर प्रथम अंक, 2024

संपादकीय

अपने ही बनाए नियम का उल्लंघन
सुमन कुमार घई

प्रिय मित्रो. आज मैं अपने ही बनाए नियम का उल्लंघन कर रहा हूँ, आशा है कि आप मेरे भावों की गहराई को समझेंगे। आज मेरा सम्पादकीय मेरे राजनीतिक विचारों की अभिव्यक्ति होगी। मेरा पूरा प्रयास विचारधाराओं को संतुलित रखने का रहेगा परन्तु वास्तविकता और प्रत्यक्ष तथ्य के ऊपर न तो पर्दा डाला जा सकता, न नकारा जा सकता है और न ही बिना टिप्पणी किए रहा जा सकता है। मेरा दृष्टिकोण, पचास से अधिक वर्ष विदेश में रहने से प्रभावित हो सकता है। परन्तु पहले एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि प्रवासी सदैव अपनी मिट्टी से जुड़ा रहता है; और मैं भी जुड़ा हुआ हूँ। भारत...

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साहित्य कुञ्ज के इस अंक में

कहानियाँ

आडंबर 
|

  “माँ कैसी लगीं?” रेवती…

खरा रेशम
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  पैदल चलने का ज़माना था।  कड़ी…

दैत्य का बाल
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मूल कहानी: ल, ओरको कॉन लि पेने; चयन एवं…

नई परम्परा
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  विजय के पिता जी का स्वर्गवास हो गया…

नक़ाब के पार
|

  अकरम की माशूक़ा बहुत निराली थी। वह…

बुद्धं शरणम् गच्छामि
|

  यक़ीन कीजिए अभी-अभी दम लेने बैठा था।…

रौनक़
|

कुछ समय पहले एक परिवार दूर से आकर शहर की…

साज़िश 
|

  विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं को रखा…

ज़िन्दगी रुकती नहीं
|

  “शर्मा जी!” गेट के बाहर…

फ़ैसला
|

  “बेटा तुम्हारा परिणाम क्या…

हास्य/व्यंग्य

दास्तान-ए-साँड़
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जन्म दिवस मेरा अभी दूर है। परिवार में एक…

आलेख

अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
|

  जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महद्युतिं। …

ऑनलाइन धोखाधड़ी एवं बचाव
|

  दोस्तों, आज के डिजिटल युग में, हमारी…

कुछ अनुभव कुछ यादें—स्लीप ओवर 
|

  यूरोप, अमेरिका, कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया…

समीक्षा

बालमन का सुन्दर विश्लेषण करती है बाल-प्रज्ञान
|

सन् 1989 में हरियाणा में जन्मे डॉ. सत्यवान सौरभ बालसाहित्य के एक सुपरिचित…

वैश्विक परिदृश्य में हिंदी पत्रकारिता का ख़ज़ाना
|

पुस्तक का नाम: विदेश में हिंदी पत्रकारिता लेखक: जवाहर कर्नावट प्रकाशक:…

स्मृतियों के तलघर
|

‘स्मृतियों के तलघर’ बलजीत सैली का रश्मि प्रकाशन, लखनऊ से 2022…

संस्मरण

अन्य

साक्षात्कार

विभाजन के प्रहार से दरकी हुई धरती
|

  (प्रसिद्ध साहित्यकार, ग़ज़लकार एवं…

कविताएँ

अंतिम साल
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  अब नहीं लिखता मैं अपना हाल चल तेरा…

अग्निपथ की प्रार्थना
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  हे मेरे भाग्य,  तुम मत देना…

अब मैं चाहता नहीं
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  अब मैं चाहता नहीं कि तुम लौट आओ बेवजह…

किसने लिखी है इबारत
|

  फ़ासले दिल में बढे़ हैं कम हुईं हैं…

क्या हम सच में श्रेष्ठ हैं
|

  क्या हम लोकतांत्रिक हैं?  जब…

क्रंदन अंतिम क्षण में
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  क्या करेंगे जब जीवन हाथ से छूट जाएगा, …

गंगा विलाप
|

  गंगा की धारा, जो कभी जीवन का गीत…

गाता हूँ पीड़ा को
|

  गुनगुनाता हूँ गाता हूँ पीड़ा को, …

तक़दीर की ताली
|

  कहाँ से शुरू करूँ, किससे कहूँ? …

तुम्हारे साथ
|

  डूबते सूरज की किरनें हो कर सवार लहरों…

दोहरे सत्य
|

  कहाँ सत्य का पक्ष अब, है कैसा प्रतिपक्ष। …

धीरज मेरा डोल रहा है
|

  सन्नाटा कुछ बोल रहा है।  धीरज…

निश्चय
|

  ज़िंदगी जीनी है मुझको,  साँस…

पड़ौसी के पापा की परेशानी
|

  पड़ौसी हमारे ने परिश्रम कर जब ढेरों…

पर्यावरण
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  आओ! पर्यावरण बचाएँ।  एक-एक पेड़…

पुराना दोस्त
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  भोपाल से दिल्ली आते ‘शताब्दी’…

प्रेम की अनंत यात्रा
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प्रेम की अन्नत यात्रा अंतहीन द्वार खोलता…

बंद प्रेम पत्र
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  एक प्रेम पत्र है कई सालों से बंद…

बचपन की खोई धुन
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  धूल में लिथड़ी, लपटों में घिरी भूमि, …

बदल गया देहात
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  अपने प्यारे गाँव से, बस है यही सवाल। …

बन्धन
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  साँस की ज़ंजीर से ही,  प्राण…

बीच में होना
|

  चढ़ते चढ़ते ठिठक जाती हूँ सीढ़ियों…

मंदा, मेरी आत्मा की साथी
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  वो मेरी बहन थी,  मुँह बोली बहन, …

मंज़िल एक भ्रम है
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  गुज़रता हर साल,  एक नया सबक़ लाता…

मम्मी, इंडिया और मैं 
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  चलें, इंडिया चलें,  कुछ दिन…

महादानव
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  जीवित नहीं  मुर्दे हो तुम …

मेरा सब्ज़ीवाला
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  मेरा सब्ज़ी वाला सचमुच बहुत अच्छा…

मेरे अश्रु
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  मैं कुछ न बोलूँगा  चुप ही रहूँगा…

रो रहा संविधान
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  संसद में मचता गदर, है चिंतन की बात। …

लिखता हूँ प्रेम
|

  मैं कल्पना नहीं लिख सकता मैं नहीं…

वास्तविक रहस्य
|

  गली-गली फिरती युवती  बन राधा …

विचारों की शक्ति
|

  विचार जो तूफ़ान की तरह आते, …

विश्वास
|

  भविष्य तो अनागत है,  अतीत हो…

शहर चला थक कर कोई
|

  शहर चला थक कर कोई,  गाँव को…

शासन
|

शासन बड़ा निराला है।  एक मकड़ी का जाला…

हाय प्रीतो
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  अब मैं एकाश्म नहीं  टुकड़ों…

ज़िन्दगी का फ़साना
|

  माँ के आँचल में बचपन चहकता रहा, …

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शायरी

कवयित्री: डॉ. मधु संधु

अच्छा लगता है

कविता: अच्छा लगता है; लेखिका: डॉ. मधु संधु; स्वर: नीरा    

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इस अंक की पुस्तकें

दरिया–ए–दिल


1. समर्पण
2. कुछ शेर
3. पुरोवाक्‌
4. जीवनानुभावों की नींव…
5. बहता हुआ दरिया-ए-दिल
6. शायरी की पुजारन— देवी…
7. ग़ज़ल के आईने में देवी…
8. अपनी बात
9. 1. तू ही एक मेरा हबीब…
10. 2. रात का पर्दा उठा…
11. 3. इक नया संदेश लाती…
12. 4. मुझमें जैसे बसता…
13. 5. तू ही जाने तेरी मर्ज़ी,…
14. 6. नज़र में नज़ारे ये…
15. 7. हाँ यक़ीनन सँवर गया…
16. 8. मन रहा मदहोश मेरा…
17. 9. इंतज़ार उसका किया…
18. 10. अपनी निगाह में न…
19. 11. नाम मेरा मिटा दिया…
20. 12. तुझको ऐ ज़िन्दगी…
21. 13. रात क्या, दिन है…
22. 14. धीरे धीरे दूरियों…
23. 15. गीता का ज्ञान कहता…
24. 16. बंद है जिनके दरीचे,…
25. 17. ग़म की बाहर थी क़तारें…
26. 18. ले गया कोई चुरा…
27. 19. हर किसी से था उलझता…
28. 20. हार मानी ज़िन्दगी…
29. 21. आँचल है बेटियों…
30. 22. आपसे ज़्यादा नहीं…
31. 23. काश दिल से ये दिल…
32. 24. मत दिलाओ याद फिर…
33. 25. तमाम उम्र थे भटके…
34. 26. रात को दिन का इंतज़ार…
35. 27. दिल का क्या है,…
36. 28. है हर पीढ़ी का अपना…
37. 29. क्या ही दिन थे क्या…
38. 30. चुपके से कह रहा…
39. 31. फिर कौन सी ख़ुश्बू…
40. 32. चलते चलते ही शाम…
41. 33. होती बेबस है ग़रीबी…
42. 34. निकला सूरज न था,…
43. 35. क़हर बरपा कर रही…
44. 36 हर हसीं चेहरा तो…
45. 37. दिन बुरे हैं मगर…
47. 39. देख कर रोज़ अख़बार…
48. 40. दूर जब रात भर तू…
49. 41. जीने मरने के वो…
50. 42. ‘हम हैं भारत के'…
51. 43. मेरा तारूफ़ है क्या…
52. 44. यह राज़  क्या है…
53. 45. मेरी  हर बात का…
54. 46. दिल को ऐसा ख़ुमार…
55. 47. मेरा घरबार है अज़ीज़…
56. 48. तेरा इकरार है अज़ीज़…
57. 49. पार टूटी हुई कश्ती…
58. 50. ख़ुद की नज़रों में…
59. 51. हमारा क्या है सरमाया…
60. 52. जो सदियों से रिश्ते…
61. 53. क्या जाने मैंने…
62. 54. सूद पर सूद इकट्ठा…
63. 55. हमने आँगन की दरारों…
64. 56. महरबां ज़िन्दगी क्या…
65. 57. तमाम उम्र थे भटके…
66. 58. ख़त्म जल्दी मामला…
67. 59. सहरा सहरा ज़िन्दगी…
क्रमशः

इस अंक के लेखक

विशेषांक

कैनेडा का हिंदी साहित्य

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विशेषांक सूची

डॉ. शैलजा सक्सेना (विशेषांक संपादक)

मित्रो,  बसंत पंचमी की आप सब को अनंत शुभकामनाएँ! बसंत प्रतीक है जीवन और उल्लास का। साहित्य का बसंत उसके लेखकों की रचनात्मकता है। आज के दिन लेखक माँ सरस्वती से प्रार्थना कर अपने लिए शब्द, भाव, विचार, सद्बुद्धि, ज्ञान और संवेदनशीलता माँगता है, हम भी यही प्रार्थना करते हैं कि मानव मात्र में जीने की.. आगे पढ़ें

(विशेषांक सह-संपादक)

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