ISSN 2292-9754
पूर्व समीक्षित
वर्ष: 21, अंक 272, मार्च द्वितीय अंक, 2025
संपादकीय
खेद है!
सुमन कुमार घईप्रिय मित्रो, इस बार व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण सम्पादकीय नहीं लिख पा रहा हूँ। पहली मार्च को सुबह उठकर भी नहीं लिख पाऊँगा क्योंकि प्रातः पाँच साढ़े पाँच तक यू.एस.ए. के लिए निकल रहा हूँ। अगले अंक में अवश्य मिलेंगे। —सुमन कुमार घई
साहित्य कुञ्ज के इस अंक में
कहानियाँ
हास्य/व्यंग्य
अपराध की एक्सप्रेस: टिकट टू अमेरिका!!
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | प्रीति सुरेंद्र सिंह परमारसोचिए, एक आदमी भारत से अमेरिका गया।…
रीलों की दुनिया में रीता
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | प्रीति सुरेंद्र सिंह परमारकभी सोचा है, हमारे देश की संस्कृति…
विदेश का भूत
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | प्रीति सुरेंद्र सिंह परमारआजकल हमारे समाज में एक अजीब-सा बुख़ार…
संस्कार एक्सप्रेस–गंतव्य अज्ञात
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | प्रीति सुरेंद्र सिंह परमारएक दिन मैं बस में चढ़ी, सीट मिली…
आलेख
काव्य का विश्लेषणात्मक अध्ययन: डॉ. नरेश सिहाग
शोध निबन्ध | पूजा गुलियासाहित्य को पढ़कर हम विभिन्न प्रकार…
क्राफ़्ट और विविधता के साथ कहानी की ज़मीन
साहित्यिक आलेख | संदीप अवस्थीकहानी कहना, बुनना और लिखना एक क्राफ़्ट…
बिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज़
सामाजिक आलेख | प्रियंका सौरभबिखर रहे चूल्हे सभी, सिमटे आँगन रोज़। …
शिक्षा और आर्थिक स्वावलम्बन के परिप्रेक्ष्य में स्त्री-सशक्तिकरण
सामाजिक आलेख | दर्शना धवलस्त्री सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है…
संत शिरोमणि नामदेव की वाणी में मराठी हिंदी का संगम
सांस्कृतिक आलेख | विजय नगरकरसंत शिरोमणि नामदेव जी का पूरा नाम…
समीक्षा
समकाल के नेपथ्य में: सत्यान्वेषण की वैचारिक यात्रा
पुस्तक समीक्षा | पद्मावतीसमीक्षित पुस्तक: समकाल के नेपथ्य में (निबन्ध संग्रह) लेखिका: डॉ. शोभा…
संस्मरण
विश्वविद्यालय में क्लास पढ़ाने का प्रथम दिन
स्मृति लेख | उषा रानी बंसलकाशी हिन्दू विश्वविद्यालय में 1976…
कविताएँ
हे अग्नि! राक्षसों से हिंसकों से रावण से हमें बचाओ
कविता | विनय कुमार ’विनायक’कहते हैं विश्व में सबसे बड़े शिवभक्त रावण…
शायरी
यूँ सियासत ने ग़रीबों को फसाया जाल में
ग़ज़ल | ज़फ़रुद्दीन ‘ज़फ़र’बहर: रमल मुसम्मन महज़ूफ़ अरकान: फ़ाएलातुन…
कवयित्री: डॉ. मधु संधु
इस अंक की पुस्तकें
इस अंक के लेखक
डॉ. शैलजा सक्सेना (विशेषांक संपादक)
मित्रो, बसंत पंचमी की आप सब को अनंत शुभकामनाएँ! बसंत प्रतीक है जीवन और उल्लास का। साहित्य का बसंत उसके लेखकों की रचनात्मकता है। आज के दिन लेखक माँ सरस्वती से प्रार्थना कर अपने लिए शब्द, भाव, विचार, सद्बुद्धि, ज्ञान और संवेदनशीलता माँगता है, हम भी यही प्रार्थना करते हैं कि मानव मात्र में जीने की.. आगे पढ़ें
(विशेषांक सह-संपादक)
समाचार
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साठोत्तर काव्य आंदोलन में संघर्ष मूलक काव्य की प्रवृत्तियाँ—संगोष्ठी संपन्न: युवा उत्कर्ष मंच
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ग्रहण काल एवं अन्य कविताएँ का विमोचन संपन्न
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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह 2025
हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का एक महत्त्वपूर्ण…
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हैदराबाद, 24 जनवरी, 2025। मौलाना…
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नव दलित लेखक संघ, दिल्ली के तत्वावधान…