ISSN 2292-9754
पूर्व समीक्षित
वर्ष: 21, अंक 275, अप्रैल द्वितीय अंक, 2025
संपादकीय
भारतीय संस्कृति तो अब केवल दक्षिण भारतीय सिनेमा में ही बचेगी
सुमन कुमार घईप्रिय मित्रो, वैसे तो मैं बहुत कम हिन्दी फ़िल्में देखता हूँ, हाँ, जब मेरी पत्नी आग्रह करती है तो मैं न भी नहीं कहता क्योंकि प्रायः हम फ़िल्म देखने के बाद उसकी चर्चा कई दिनों तक करते रहते हैं। हम दोनों को केवल वही फ़िल्में पसन्द आती हैं जो समाज के किसी सार्थक विषय को लेकर बनी हों, विश्वसनीय हों और इसके अतिरिक्त जिसमें एक स्तरीय सिनेचित्र के गुण हों। वैसे मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि जब मैं अकेला फ़िल्म देखता हूँ तो फ़िल्म कितनी घटिया बनी है, इसका मुझ पर कोई अन्तर नहीं पड़ता मैं आरम्भ से अन्त तक देख कर ही...
साहित्य कुञ्ज के इस अंक में
कहानियाँ
अस्सी घाट की वो मेरी आख़िरी शाम
कहानी | अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’उस शाम हम मिल रहे थे, उस को आना था,…
हास्य/व्यंग्य
नोटों का कार्य जलना नहीं जलाना है!
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | सुदर्शन कुमार सोनीदिल्ली में एक न्यायधीश महोदय के बँगले…
प्रसाद की आर ओ आई
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | मुकेश गर्ग ‘असीमित’आस्था में मिलावट कोई नई बात नहीं है, जनाब।…
आलेख
प्रेमचंद: साहित्य के यथार्थ के प्रवक्ता और समकालीन चेतना के वाहक
शोध निबन्ध | अमरेश सिंह भदौरियाशोधकर्ता: अमरेश सिंह भदौरिया (प्रवक्ता हिन्दी)…
बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर: समता, न्याय और नवजागरण के प्रतीक
सामाजिक आलेख | सुशील कुमार शर्मा(विशेष आलेख-सुशील शर्मा) …
रामनवमी: मर्यादा, धर्म और आत्मबोध का पर्व
सांस्कृतिक आलेख | अमरेश सिंह भदौरियारामनवमी केवल एक उत्सव नहीं, अपितु…
वर्तमान समय में हनुमान जी की प्रासंगिकता
सांस्कृतिक आलेख | सुशील कुमार शर्मा(हनुमान जयंती पर विशेष) आज का युग…
समकालीन साहित्य: मार्क्सवाद, दलित विमर्श और आगे की राह
साहित्यिक आलेख | राजेन्द्र वर्मासमकालीन साहित्य को विविध विमर्शों का साहित्य…
समीक्षा
गर्व से कहिए—यस बॉस
पुस्तक समीक्षा | पद्मावतीपुस्तक का नाम: यस बॉस (निबन्ध संकलन) लेखक: सोमा वीरप्पन (मूल…
संस्मरण
कविताएँ
बहुत अधिक प्यार करनेवाली माँ गांधारी कुन्ती कैकई यशोदा होती
कविता | विनय कुमार ’विनायक’–-विनय कुमार विनायक बहुत अधिक…
बाबा साहब अम्बेडकर जयंती पर कुछ दोहे
दोहे | सुशील कुमार शर्मा1. महू में जन्मे आप थे, जीवन था संघर्ष।…
भगवान राम कृष्ण भी पूर्वजन्म के कर्मफल से बचा नहीं कोई
कविता | विनय कुमार ’विनायक’पूर्वजन्म का कर्मफल भोगने से बचा…
भारत की अधिकांश जातियाँ खत्ती-खत्तीय क्षत्रियों से बनी
कविता | विनय कुमार ’विनायक’भारत की सर्वाधिक प्राचीन जनजाति है नाग खत्ती…
शायरी
ताक़त तेरी फ़क़ीर ने लेकर के क्या दिया
ग़ज़ल | निज़ाम-फतेहपुरीबहर: मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़ अरकान:…
रहमतों का वक़्त आया, मेरे मौला
ग़ज़ल | अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’बहर: रमल मुसद्दस सालिम अरकान: फ़ाएलातुन…
कवयित्री: डॉ. मधु संधु
इस अंक की पुस्तकें
इस अंक के लेखक
डॉ. शैलजा सक्सेना (विशेषांक संपादक)
मित्रो, बसंत पंचमी की आप सब को अनंत शुभकामनाएँ! बसंत प्रतीक है जीवन और उल्लास का। साहित्य का बसंत उसके लेखकों की रचनात्मकता है। आज के दिन लेखक माँ सरस्वती से प्रार्थना कर अपने लिए शब्द, भाव, विचार, सद्बुद्धि, ज्ञान और संवेदनशीलता माँगता है, हम भी यही प्रार्थना करते हैं कि मानव मात्र में जीने की.. आगे पढ़ें
(विशेषांक सह-संपादक)
समाचार
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ग्रहण काल एवं अन्य कविताएँ का विमोचन संपन्न
उद्वेलन एवं संवेदनाओं की कविताएँ:…
काव्यांजलि: महिला क्रिश्चियन कॉलेज में भारतीय भाषा दिवस का उत्सव
महिला क्रिश्चियन कॉलेज ने हाल ही…
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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह 2025
हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का एक महत्त्वपूर्ण…
‘क से कविता’ में अतिथि कवि डॉ. विनय कुमार से संवाद संपन्न
हैदराबाद, 24 जनवरी, 2025। मौलाना…
डॉ. अमित धर्मसिंह के काव्य संग्रह कूड़ी के गुलाब का हुआ लोकार्पण
नव दलित लेखक संघ, दिल्ली के तत्वावधान…