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सम्पादकीय

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ISSN 2292-9754

पूर्व समीक्षित
वर्ष: 20, अंक 251, अप्रैल द्वितीय अंक, 2024

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संपादकीय

स्मृतियाँ तो स्मृतियाँ हैं—नॉस्टेलजिया क्या, वास्तविकता क्या!
सुमन कुमार घई

प्रिय मित्रो, पिछले तीन दिनों से वर्षा निरन्तर चलती रही। धीमे-धीमे परन्तु निरन्तर। आज सुबह भी बारिश के साथ ही आरम्भ हुई। अप्रैल का महीना, यहाँ पर वर्षा ऋतु का ही होता है। अग्रेज़ी की कहावत भी है कि “अप्रैल शॉवर्ज़ ब्रिंग मे फ़्लॉवर्स” यानी “अप्रैल की बौछारें लाती हैं मई में फूल”। जब भारत से कैनेडा आए अभी अधिक समय नहीं हुआ था तो अप्रैल में वर्षा ऋतु समझ नहीं आती थी। वर्षा ऋतु का क्रम भारत के अनुसार तो ग्रीष्म ऋतु के बाद होना चाहिए। इस संदर्भ में एक स्मृति है। एक वर्ष अनुभूति ई-पत्रिका की सम्पादिका पूर्णिमा वर्मन जी ने “ग्रीष्म महोत्सव” के लिए कविताएँ...

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विशेषांक

कैनेडा का हिंदी साहित्य

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विशेषांक सूची

डॉ. शैलजा सक्सेना (विशेषांक संपादक)

मित्रो,  बसंत पंचमी की आप सब को अनंत शुभकामनाएँ! बसंत प्रतीक है जीवन और उल्लास का। साहित्य का बसंत उसके लेखकों की रचनात्मकता है। आज के दिन लेखक माँ सरस्वती से प्रार्थना कर अपने लिए शब्द, भाव, विचार, सद्बुद्धि, ज्ञान और संवेदनशीलता माँगता है, हम भी यही प्रार्थना करते हैं कि मानव मात्र में जीने की.. आगे पढ़ें

(विशेषांक सह-संपादक)

साहित्य कुञ्ज के इस अंक में

विडियोज़

कहानियाँ

अभागी रानी का बदला
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  मूल कहानी: ल् पलाज़ा डेला रेज़िना बनाटा;…

ईर्ष्या 
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  एक पेड़ की शाखा पर बैठे हुए कुछ पक्षी…

एक और नई कहानी 
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“और आप ने उन्हें माफ़ कर दिया शांता…

झँकवैया
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  मैं जानती हूँ मेरी पीठ पीछे लोगों…

दरार
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  लॉन में अख़बार पढ़ते हुए निलेश से…

दान
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  बच्चों की सर्दियों की छुट्टियाँ चल…

प्रायश्चित
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  खिड़की जाली से टकराती हल्की-हल्की…

बारहवीं पास
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  मंजू ने दरवाज़ा खटखटाया और आगे से…

भुलावा
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  “स्मृति हमारी आत्मा के उसी…

ये कैसा तेरा देश है बेटा?
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  और अंतत: रोहित ने बाबूजी और अम्मा…

सम्बन्ध 
|

  “अरे वाह! आ गई!” डोर…

हास्य/व्यंग्य

आलेख

दूध और पानी की मैत्री (अधबीच)
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दूध और पानी आपस में गहरे मित्र है। ग्वालों…

नव निर्माण 
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  शिव व शिक्षा की कृपा से जीवन में…

हिंदी ग़ज़लों में अंग्रेज़ी के तत्त्व
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  हिंदी भारत ही नहीं विश्व की एक महत्त्वपूर्ण…

समीक्षा

इतिहास की परतों को उधेड़ कर लिखी कहानी 'रॉबर्ट गिल की पारो'
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समीक्षित कृति: रॉबर्ट गिल की पारो (उपन्यास) लेखिका: प्रमिला वर्मा …

जीवन एक बहती धारा . . .
|

समीक्षित पुस्तक: चलो फिर से शुरू करें (कहानी संग्रह) लेखक: सुधा ओम…

तज कर चुप्पी हल्ला बोल: ग़ज़ल में बोध और विरोध का स्वर
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समीक्षित पुस्तक: तज कर चुप्पी हल्ला बोल (ग़ज़ल संग्रह)  लेखक: रवि खण्डेलवाल…

तेजेन्द्र शर्मा : अनुभूतियां और कथा में उनका विस्तार
|

समीक्षित पुस्तक: संदिग्ध (कहानी संग्रह) लेखक: तेजेन्द्र शर्मा प्रकाशक:…

रंगीन सपनों का गुलदस्ता
|

पुस्तक: अंतर्दृष्टि–2  पृष्ठ: 53  मूल्य: ₹200 लेखिका:…

सबसे अपवित्र शब्द 'पवित्र' है
|

समीक्षित पुस्तक: ज़ोया देसाई कॉटेज (कहानी संग्रह) लेखक: पंकज सुबीर प्रकाशक…

संस्मरण

साक्षात्कार

कविताएँ

अंत कहाँ पर करूँ
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  कहाँ से शुरू करूँ लिखना मैं गाथा…

अंतर प्रवाह
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  तुम शायद फिर आओ हम फिर नदी के किनारे…

अगर जीवन फूल होता
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  अगर जीवन फूल होता,  काँटों से…

अश्रु जल
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  अश्रु जल का क्या है कब कहाँ क्यों…

असल प्रयागराज
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  मैं बहुत भावुक हूँ सम्भव है मैं भावुक…

आओ मतदान करें
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  देश की आज़ादी को अगर अक्षुण्ण बनाए…

इष्ट का सहारा
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  तुम्हारे भोग जितने कम होंगे …

कपिल कुमार - ताँका - 001
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  1. लोकतंत्र में प्रतिदिन रचते नये…

कहते-कहते थका नहीं हूँ
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  कहते-कहते थका नहीं हूँ इस कथा को…

घी रोटी! 
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  माँ, मेरे हिस्से की क्या हुई? …

जयति महात्मा बुद्ध 
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  देवि महामाया सुवन, नृप शुद्धोधन तात। …

जादू की परी? 
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  क्या किसी ने देखी हैं परियाँ? …

जो खाये वो . . .!?! 
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  आज़ाद उड़ते परिंदों के पर काट देती…

तय है
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(पूर्णिका)    झूठ का विस्तार हुआ…

तीन भाइयों का दुखड़ा
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  तीन भाई तालाब, नदी और समुन्द्र आपस…

दहेज़—सामाजिक बुराई
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  शादी है एक बहुत प्यारा सा बंधन, …

दुःख
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  धरती भर गई है चटकदार पीले फूलों से…

देह से लिपटे दुःख
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  कौन है?  जिसकी देह से नहीं लिपटे…

नव-संवत्सर 
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  नव-संवत्सर के स्वागत में  सृष्टि…

निर्मल कुमार दे – हाइकु - 004
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1. बाली उमर चंचल चितवन नेह बंधन 2. पुष्पित…

पीला पत्ता
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  पीला मुरझाया सूखा पत्ता,  सहसा…

प्रेम पर्व (सॉनेट-30) 
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  मंदर पर सप्तरंग का आँचल, सखी, आओ…

बदहाली
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  शहर के बीचों बीच एक अजीब सी गंध है, …

बहनो
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  बहनो,  तुम छोड़ क्यों नहीं देतीं…

बिखरे ना परिवार हमारा
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  भैया न्याय की बातें कर लो, …

ब्राह्मण कौन? 
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क्या जीव ब्राह्मण है?  ‘जीवो…

भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 005
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  1. प्रेम में तुम मुझमें रची-बसी अन्दर…

भीकम सिंह – ताँका – प्रेम 006
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  1. याद नहीं है कब कहा उसने आओ पास…

मन
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  कभी तो पूनम कभी अमस सा, मन मेरा जैसे…

महिला सशक्तिकरण
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  मैं नारी हूँ, कमज़ोर नहीं,  चुनौतियों…

माँ
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  वात्सल्य से बड़ा प्रेम नहीं अपत्यस्नेह-सा…

माँ को याद करती हूँ
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  माँ आज फिर तुम्हारा ख़्याल आया है,…

यादें
|

  कुछ दिन पहले घर गया था बहुत दिनों…

राजीव कुमार – ताँका – 003
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  1. दिन गिनते बीत रहा जीवन काट रहा…

वर्ण पिरामिड
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  ये बातें तुम्हारी बरसों से मेरे मन…

वो मुलाक़ात
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  मृत्यु के बाद, हुई यमराज से मुलाक़ात …

साइकिल 
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  दूर सुदूर गाँव  गाँव की पगडंडी …

स्त्री का स्वर
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(सॉनेट)    मौनता की भाषा यदि होती…

ज़िन्दगी एक प्यारा सफ़र
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  चुनौतियों से भरी ज़िन्दगी भी एक प्यारा…

फ़ेसबुकों की दुनिया 
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  फ़ेसबुकों पर सिमटी दुनिया  अपने…

शायरी

वही बस्ती,  वही टूटा  खिलौना है
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  हज़ज मुसद्दस सालिम मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन…

लेखक: डॉ. आरती स्मित

आईना

लघुकथा: आईना  लेखिका: आरती स्मित  प्रकाशित लघुकथा 'आईना'  इस लिंक पर पढ़ सकते…

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