ISSN 2292-9754
पूर्व समीक्षित
वर्ष: 21, अंक 276, मई द्वितीय अंक, 2025
संपादकीय
उचित समय है कर्म फलीभूत होने का
सुमन कुमार घईप्रिय मित्रो, आज का सम्पादकीय लिखते हुए मेरे शब्द गुम होते जा रहे हैं। विषय है और लिख भी रहा हूँ परन्तु शब्द रुक जाते हैं, अपना अर्थ खोने लगते हैं और फिर मिट जाते हैं। २२ अप्रैल को पहलगाम में हुई आतंकी घटना को किन शब्दों में लिखूँ? क्या शब्द एक निरह की चीख को लिख पाएँगे? उस पत्नी की पुकार को कैसे व्यक्त करें जिसके पति को उसके सामने गोली से उड़ा दिया गया? या उस व्यक्ति के ठहरे हुए क्षणों को किस भाषा में कहें जो घुटनों बल बैठ कर अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा के क्षण का बंधक था। उस मासूम के शब्दों को...
साहित्य कुञ्ज के इस अंक में
कहानियाँ
हास्य/व्यंग्य
कविता बेचो, कविता सीखो!
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | सुशील कुमार शर्माअब कविता भी बिकती है, और हाँ, सीखी…
गुरु दक्षिणा का नया संस्करण—व्हाट्सएप वाला प्रणाम!
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी | सुशील कुमार शर्मा(वर्तमान विद्यार्थी शिक्षक सम्बन्धों…
आलेख
आधी सच्चाई का लाइव तमाशा: रिश्तों की मौत का नया मंच
सामाजिक आलेख | सत्यवान सौरभआजकल लोग निजी झगड़ों और रिश्तों की…
कवि रमाकांत रथ—एक काव्य युग का अवसान
साहित्यिक आलेख | अनिमा दासरात में तुम्हें नहीं करूँगा स्पर्श कदाचित…
गाय की दुर्दशा: एक सामूहिक अपराध की चुप्पी
सामाजिक आलेख | सुशील कुमार शर्मागाय भारतीय संस्कृति और ग्रामीण जीवन…
गीता में कुरुक्षेत्र में होने वाले युद्ध का वर्णन
चिन्तन | उषा रानी बंसलगीता परिवार से जुड़ कर मैंने भगवद्गीता…
भगवान परशुराम: एक बहुआयामी व्यक्तित्व एवं समकालीन प्रासंगिकता
सांस्कृतिक आलेख | सुशील कुमार शर्मा(परशुराम जयंती पर विशेष आलेख) …
समीक्षा
अणुगल्पमाला भाग 1 : समीक्षा
पुस्तक समीक्षा | नव संगीत सिंहपुस्तक: अणुगल्पमाला भाग 1 (बांग्ला लघु कथाएँ) अनुवाद…
प्रतिकूल समय में एक ज़रूरी रचनात्मक हस्तक्षेप
पुस्तक समीक्षा | शैलेन्द्र चौहानपत्रिका: अन्वेषा संपादक: कविता कृष्णपल्लवी संपर्क: दून बास्केट लोअर नेहरू…
रंजक अंदाज़ में प्रबंधन का व्यावहारिक कौशल: यस बॉस
पुस्तक समीक्षा | बी.एल. आच्छासमीक्षित पुस्तक: यस बॉस लेखक: सोमा वीरप्पन प्रकाशन: प्रभात…
लोकमय राम की अनूठी छवि
पुस्तक समीक्षा | सन्दीप तोमरपुस्तक का नाम: लोक के राम विधा: कथेतर साहित्य लेखक: पूजा अग्निहोत्री…
संस्मरण
एक था कुक्कू उर्फ़ क़िस्सा मेरे बचपन का
आत्मकथा | प्रकाश मनुआत्मकथा-अंश अपनी कहानी शुरू करूँ, इससे पहले…
नाटक
कविताएँ
आख़िर हर जगह हिन्दू ही क्यों मारे जाते हिन्दू क्यों संहारे जाते?
कविता | विनय कुमार ’विनायक’आख़िर हर जगह हिन्दू ही क्यों मारे…
कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - गंगा
कविता-मुक्तक | सुशील कुमार शर्माकल–कल करती धारिका, पावन निर्मल…
कुण्डलिया - डॉ. सुशील कुमार शर्मा - गुरु
कविता-मुक्तक | सुशील कुमार शर्मास्पंदन है मन ज्ञान का, गुरु का रूप…
शायरी
जो ख़ुद नहीं जाना वो जताये नासेह
ग़ज़ल | अजयवीर सिंह वर्मा ’क़फ़स’बहर: बहर-ए-हिन्दी मुतकारिब इसरम मक़बूज़…
कवयित्री: डॉ. मधु संधु
इस अंक की पुस्तकें
इस अंक के लेखक
डॉ. शैलजा सक्सेना (विशेषांक संपादक)
मित्रो, बसंत पंचमी की आप सब को अनंत शुभकामनाएँ! बसंत प्रतीक है जीवन और उल्लास का। साहित्य का बसंत उसके लेखकों की रचनात्मकता है। आज के दिन लेखक माँ सरस्वती से प्रार्थना कर अपने लिए शब्द, भाव, विचार, सद्बुद्धि, ज्ञान और संवेदनशीलता माँगता है, हम भी यही प्रार्थना करते हैं कि मानव मात्र में जीने की.. आगे पढ़ें
(विशेषांक सह-संपादक)
समाचार
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ग्रहण काल एवं अन्य कविताएँ का विमोचन संपन्न
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हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का एक महत्त्वपूर्ण…
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हैदराबाद, 24 जनवरी, 2025। मौलाना…
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