स्मृतियों में हार्वर्ड
आमुख
एक नदी जिसका नाम है चार्ल्स, इस नदी के किनारे दो विश्व विख्यात शिक्षा-संस्थान हार्वर्ड और एम.आई.टी. विद्यमान हैं। इस नदी के दूसरी तरफ़ बोस्टन विश्वविद्यालय है। नदी के किनारे बसे शहर का नाम कैम्ब्रिज है। भले ही, क्षेत्रफल में यह छोटा है, मगर बहुत ही प्राचीन शहर है। नदी की दूसरी तरफ़ बहुत बड़ी नगरी बोस्टन है। हर दिन होने वाले परिवर्तन को सुदूरगामी बनाने वाले हार्वर्ड का परिवेश असाधारण है। इसकी सुदृढ़ नींव चार सौ साल की परंपराओं और संस्कारों की पृष्ठभूमि पर आधारित है। विश्व के सर्वोत्तम दस विश्वविद्यालयों में इसका स्थान हमेशा अव्वल रहा है। ऐसे विश्वविद्यालय में फ़ोर्ड फ़ॉउंडेशन फ़ैलो तथा एसोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में एक वर्ष (1987–88) बिताना मेरे लिए किसी परम सौभाग्य से कम बात नहीं थी।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज शहर की स्थापना इंग्लैंड के ‘निर्वासित’ बहु प्रतिभाशाली व्यक्तियों के अथक प्रयासों का फल है। नए महाद्वीप में उपनिवेश की स्थापना करना, बोस्टन टी-पार्टी और न्यू इंग्लैंड जैसे नामकरण ऐतिहासिक कथावस्तु है। इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के पूर्वतन विद्यार्थी देश से निर्वासित होने के बाद भी 800 साल पुराने विश्वविद्यालय को भूल नहीं पाए थे, इसलिए उन्होंने इस शहर का नाम कैम्ब्रिज रखा और वह कुछ हद तक हार्वर्ड का ढाँचा भी कैम्ब्रिज जैसा ही बनाया। संयोगवश सन्1968–69 में मैंने जो एक साल कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के फ़ैलो के रूप में बिताया था, उनकी स्मृतियाँ हार्वर्ड में एक साल प्रवास के दौरान तरोताज़ी हो उठती थीं।
हार्वर्ड ने मुझे अजस्र रंग-बिरंगे अनुभव प्रदान किए। सेंटर में मेरे साथ काम करने वालों में मेक्सिको के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार कार्लो फुएंट्स, आइरिस कवि सियामस हिनि मुझे घनिष्ठ मित्र के रूप में मिले। उस समय हिनि को नोबेल पुरस्कार नहीं मिला था। विश्वविद्यालय के विभिन्न दौरों के समय मुझे नाइजेरिया के उपन्यासकार चिनिआ आचिबी, रूसी कवि जोसेफ ब्रोडस्की, मेक्सिको के कवि ओक्टेविओ पॉज, स्वीडेन के कवि थॉमस ट्रांस्ट्रोमार के साथ मिलने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
मैं जिस फ़ैलोशिप पर काम कर रहा था, उसमें संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, कैनेडा भ्रमण के साथ-साथ यूरोपियन कम्यूनिटी के निमंत्रण पर उनके हेडक्वार्टर और संसद और ब्रसेल्स और स्ट्रासबर्ग की यात्रा भी शामिल थी। इसके अतिरिक्त, मुझे अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान और काव्य-पाठ हेतु भी निमंत्रण मिला था। उनमें प्रमुख शिकागो विश्वविद्यालय की विलियम वॉन मूडी व्याख्यान-माला और काव्य-पाठ शामिल था, जिसकी अध्यक्षता मेरे मित्र ए.के. रामानुजन ने की थी। बहुत दिन से मेरे मन के अंदर प्राचीन संस्कृति के अन्यतम देश मैक्सिको देखने की प्रबल इच्छा थी। प्रवास के दौरान मैंने मैक्सिको का भ्रमण भी किया।
सारी बातों को लेकर एक किताब लिखने की इच्छा मन के अंदर बहुत दिनों से छुपी हुई थी, मगर समय के अभाव और मेरे स्वभाव-सुलभ आलस्य के कारण यह सम्भव नहीं हो पा रहा था। बहुत सारे काग़ज़-पत्र, मेरी पुरानी डायरी, उपर्युक्त दोस्तों की चिट्ठियों आदि की सहायता से चार वर्ष पहले (2004) मैंने इस पुस्तक को लिखना शुरू किया था, जो अब यानी 2010 में पूरा हो रहा है। मुख्य प्रकाशक पीताम्बर बाबू को इसका प्रकाशन दायित्व लेने के लिए उन्हें और उनके छोटे पुत्र श्रद्धेय जीवानंद को मेरा हार्दिक धन्यवाद। सन् 1981 में फ्रेंड्स पब्लिशर द्वारा प्रकाशित ‘अनेक शरत’ को पाठकों का भरपूर प्यार मिला। ज्ञानपीठ द्वारा इसके हिन्दी अनुवाद के तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। इससे पूर्व मेरा दूसरा यात्रा-संस्मरण ‘शाणित तरवारि और सेवती फूल’ प्रकाशित हुआ है। अब इस पुस्तक को ओड़िया पाठकों को उपहार देते हुए मुझे ख़ुशी हो रही है।
सीताकान्त महापात्र
महाशिवरात्रि
12.02.2010
पुस्तक की विषय सूची
- आमुख
- अनुवादक की क़लम से . . .
- हार्वर्ड: चार सदी पुराना सारस्वत मंदिर
- केंब्रिज शहर और हार्वर्ड: इतिहास एवं वर्तमान
- हार्वर्ड के चारों तरफ़ ऐतिहासिक बोस्टन नगरी
- ऐतिहासिक बोस्टन तथा उसके उत्तरांचल वासी
- हमारा सेंटर (सिफा): चार्ल्स नदी, कॉनकॉर्ड ऐवन्यू
- हार्वर्ड में पहला क़दम: अकेलेपन के वे दिन
- विश्वविद्यालय की वार्षिक व्याख्यान-माला
- पुनश्च ओक्टेविओ, पुनश्च कविता और वास्तुकला की जुगलबंदी
- कार्लो फुएंटेस–अजन्मा क्रिस्टोफर
- नाबोकोव और नीली तितली
- जॉन केनेथ गालब्रेथ: सामूहिक दारिद्रय का स्वरूप और धनाढ्य समाज
- अमर्त्य सेन: कल्याण विकास अर्थशास्त्र के नए क्षितिज और स्टीव मार्गलिन
- सिआमस हिनि, थॉमस ट्रान्स्ट्रोमर, चिनुआ आचिबि और जोसेफ ब्रोडस्की
- अमेरिका की स्वतंत्रता की प्रसवशाला—कॉनकॉर्ड
- अमेरिका के दर्शन, साहित्य और संस्कृति की प्रसवशाला-कॉनकॉर्ड
- हार्वर्ड से बहुदिगंत आनुष्ठानिक भ्रमण
- हार्वर्ड से बहुदिगंत आनुष्ठानिक भ्रमण (भाग-दो)
- हार्वर्ड से बहुदिगंत आनुष्ठानिक भ्रमण: काव्य-पाठ एवं व्याख्यान
- हार्वर्ड से एक और भ्रमण: मेक्सिको
- न्यूयार्क में फिर एक बार, नववर्ष 1988 का स्वागत
- हार्वर्ड प्रवास के अंतिम दिन
- परिशिष्ट
लेखक की पुस्तकें
लेखक की अनूदित पुस्तकें
लेखक की अन्य कृतियाँ
साहित्यिक आलेख
- अमेरिकन जीवन-शैली को खंगालती कहानियाँ
- आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की ‘विज्ञान-वार्ता’
- आधी दुनिया के सवाल : जवाब हैं किसके पास?
- कुछ स्मृतियाँ: डॉ. दिनेश्वर प्रसाद जी के साथ
- गिरीश पंकज के प्रसिद्ध उपन्यास ‘एक गाय की आत्मकथा’ की यथार्थ गाथा
- डॉ. विमला भण्डारी का काव्य-संसार
- दुनिया की आधी आबादी को चुनौती देती हुई कविताएँ: प्रोफ़ेसर असीम रंजन पारही का कविता—संग्रह ‘पिताओं और पुत्रों की’
- धर्म के नाम पर ख़तरे में मानवता: ‘जेहादन एवम् अन्य कहानियाँ’
- प्रोफ़ेसर प्रभा पंत के बाल साहित्य से गुज़रते हुए . . .
- भारत के उत्तर से दक्षिण तक एकता के सूत्र तलाशता डॉ. नीता चौबीसा का यात्रा-वृत्तान्त: ‘सप्तरथी का प्रवास’
- रेत समाधि : कथानक, भाषा-शिल्प एवं अनुवाद
- वृत्तीय विवेचन ‘अथर्वा’ का
- सात समुंदर पार से तोतों के गणतांत्रिक देश की पड़ताल
- सोद्देश्यपरक दीर्घ कहानियों के प्रमुख स्तम्भ: श्री हरिचरण प्रकाश
पुस्तक समीक्षा
- उद्भ्रांत के पत्रों का संसार: ‘हम गवाह चिट्ठियों के उस सुनहरे दौर के’
- डॉ. आर.डी. सैनी का उपन्यास ‘प्रिय ओलिव’: जैव-मैत्री का अद्वितीय उदाहरण
- डॉ. आर.डी. सैनी के शैक्षिक-उपन्यास ‘किताब’ पर सम्यक दृष्टि
- नारी-विमर्श और नारी उद्यमिता के नए आयाम गढ़ता उपन्यास: ‘बेनज़ीर: दरिया किनारे का ख़्वाब’
- प्रवासी लेखक श्री सुमन कुमार घई के कहानी-संग्रह ‘वह लावारिस नहीं थी’ से गुज़रते हुए
- प्रोफ़ेसर नरेश भार्गव की ‘काक-दृष्टि’ पर एक दृष्टि
- वसुधैव कुटुंबकम् का नाद-घोष करती हुई कहानियाँ: प्रवासी कथाकार शैलजा सक्सेना का कहानी-संग्रह ‘लेबनान की वो रात और अन्य कहानियाँ’
- सपनें, कामुकता और पुरुषों के मनोविज्ञान की टोह लेता दिव्या माथुर का अद्यतन उपन्यास ‘तिलिस्म’
बात-चीत
ऐतिहासिक
कार्यक्रम रिपोर्ट
अनूदित कहानी
अनूदित कविता
यात्रा-संस्मरण
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 2
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 3
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 4
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 5
- पूर्व और पश्चिम का सांस्कृतिक सेतु ‘जगन्नाथ-पुरी’: यात्रा-संस्मरण - 1
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