काव्य साहित्य - कविता
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ क क्ष ख् ग घ च छ ज ज्ञ झ ट ठ ड ढ त त्र थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श-ष श्र स ह ऋ ॐ 1 2 3 4 5 6 7 8 9
अ
- अँग्रेज़ भोजन माँगेगा
- अँजुरी का सूरज
- अँधेरा
- अँधेरा अच्छा है
- अँधेरा होते ही
- अँधेरी कोठरी
- अँधेरों के दिन
- अँधेरों के मसीहा
- अंकल
- अंकुर
- अंगदान
- अंजाम है बाक़ी
- अंत
- अंत कहाँ पर करूँ
- अंत में सब बराबर
- अंत से पहले मिलनी है
- अंतर पीड़ा
- अंतर प्रवाह
- अंतरंग
- अंतराल
- अंतर्नाद
- अंतस् का रावण!
- अंतहीन यात्राएँ
- अंतिम इच्छा
- अंतिम छाया
- अंतिम भ्रम का अवशेष बचूँगा
- अंतिम राह
- अंतिम संवाद
- अंतिम साल
- अंधकार
- अंधभक्ति के दरवाज़े
- अंधा शहर
- अंधी दौड़
- अंधे की लाठी
- अंधे की लाठी
- अकेला
- अकेला रह जाता हूँ
- अकेला वृद्ध और सूखा पेड़
- अकेला हो गया हूँ
- अकेलापन
- अकेलापन
- अकेली स्त्री
- अकेली है तन्हा नहीं
- अकेले बैठ कर
- अकेलेपन की दुनिया में
- अक्खड़ बाल
- अक्षर
- अक्षर
- अक्षर अक्षर नाद ब्रह्म है अक्षर से शब्द जन्म लेते अर्थ ग्रहण करते
- अक्सर इन्सान गिरगिट बन जाते हैं
- अखण्ड भारत
- अगर इंसान छिद्रान्वेषी न होता
- अगर कृष्ण ना होते
- अगर जीवन फूल होता
- अगर मगर की बातें छोड़ो
- अगर वो रास्तों पर चला करते
- अगर हृदय हो जाये अवधूत
- अग्नि
- अग्नि परीक्षा
- अग्नि रेखा
- अग्निदाह
- अग्निदेही
- अग्निपथ की प्रार्थना
- अग्रदूत
- अघोरी हूँ
- अचला सुन्दरी
- अचानक
- अचानक
- अचानक कुछ कौंधा!
- अचेतन
- अच्छा इंसान
- अच्छा लगता है
- अच्छा लगता है
- अच्छी औरत
- अजनबी सी रात आयी
- अजनबी-1
- अजब की शक्ति है तुलसी की राम भक्ति में
- अजीब बात
- अटपटा प्रेमी
- अटल आकाश
- अटल इरादों वाले अटल
- अट्टहास
- अट्टालिका पर एक सुता
- अणु
- अति दूर
- अति प्रिय सुंदर
- अतिरिक्त
- अतिवाद का रंग लाल
- अतीत
- अतीत की याद
- अतीत क्या हुआ व्यतीत?
- अथ से अभी तक
- अथाह अनुभूति
- अथाह प्रेम
- अदृश्य दरवाज़े
- अदृश्य शत्रु कोरोना
- अदेह
- अद्भुत दुनिया अनोखा जीवन
- अद्वैत का रूप
- अधिकार
- अधिकार और समर्पण
- अधूरा आदमी
- अधूरा सा
- अधूरापन
- अधूरी औरतें!
- अधूरी कविता
- अधूरी तमन्ना
- अधूरी दीवारें
- अधूरे संकल्प
- अध्यात्म
- अनंकुरित बीज
- अनंत
- अनंत पथ पर
- अनकही
- अनकही
- अनकही बातें
- अनचाही
- अनचाहे खेल
- अनछुई छुअन
- अनजान शहर
- अनजाना सफ़र
- अनजानी राहें
- अनजाने शिक्षक
- अनदेखे अनसुने
- अनदेखे ख़्वाब
- अनन्त गन्तव्य
- अनन्त महाभारत
- अनन्त-प्रेम
- अनबुझी प्यास
- अनमोल
- अनमोल ओस के मोती
- अनमोल नियामतें
- अनवरत - क्रांति
- अनसुलझे
- अनहद नाद
- अनाथ पत्ता
- अनाम रिश्ते
- अनामिका
- अनामिका
- अनाविर्भूत
- अनुत्तरित प्रश्न
- अनुत्तरित प्रश्न
- अनुपमा
- अनुपस्थिति की उपस्थिति
- अनुभव
- अनुभव
- अनुभूति
- अनुभूति
- अनुभूति
- अनुभूति
- अनुभूति
- अनुभूति
- अनुभूति – क्षण भर की
- अनुराग
- अनुरोध
- अनुल्लिखित
- अन्तर्मन की सुन लेना
- अन्तहीन
- अन्त्येष्टि - कुछ भाव
- अन्नदाता यूँ ही भाग्यविधाता . . .
- अन्याय का प्रतिरोध
- अन्वेषण
- अपना एक घर
- अपना नहीं कोई है
- अपना बनाकर . . .
- अपना-समय
- अपनापन
- अपनी अपनी खिड़कियाँ
- अपनी कुछ किताबों में
- अपनी तो बीत गई
- अपनी धरती अच्छी हो
- अपनी रूखर भाषा में
- अपनी-अपनी जगह
- अपने अपने दायित्व
- अपने आप में उगना
- अपने आपको पहचानो ‘आत्मानाम विजानीहि’ कि तुम कौन हो?
- अपने गाँव की याद
- अपने तो अपने होते हैं
- अपने लिए भी वक़्त निकालो
- अपने शहर की एक सोई हुई आवाज़
- अपने शहर को
- अपने हिस्से का नरक
- अपने हृदय की ओर
- अपने हक़ को जाने
- अपने–पराये
- अपनों के बीच भी कहाँ सुरक्षित नारी है
- अपनों को क्यों भूल गए
- अपराजेय समर
- अपरिचित चेहरों को ‘भले’ होने चाहिए
- अपशिष्ट
- अपाहिज
- अपूर्ण प्रेमकथा
- अप्रतिहत
- अप्सरा
- अब आगे क्या होगा
- अब आलिंगन न होगा . . .
- अब इस पेड़ की बारी है
- अब उनका आना
- अब करोगे क्या?
- अब की बरसात में
- अब कोई ज़िन्दा नहीं
- अब कौन सा रंग बचा साथी
- अब तक की जीवनगाथा
- अब तुम्हारी बारी है
- अब न स्वाँग रचो
- अब नहीं देखता ख़्वाब मैं रातों को
- अब ना प्रेम बचा ना कविता
- अब ना सखी मोहे सावन सुहाए
- अब भी मेरे हो तुम
- अब भी मैं तेरा इंतज़ार करता हूँ
- अब मैं चाहता नहीं
- अब मोसे और रहा नहीं जाए
- अब ये क़दम ना पीछे हटेंगे
- अब राजनीति में नेता चोला नहीं अंतरात्मा बदल लेते
- अब रात बिखर ही जाने दो
- अब राह नहीं छोड़ूँगा
- अब लौट जाना
- अब ज़रूरत है तुमको
- अब ज़रूरी हो गया है
- अबकी दीवाली
- अबकी बार
- अबकी बार दिवाली में जब घर आएँगे मेरे पापा
- अबला नहीं है स्त्री
- अबला: तूफ़ान के दिन
- अबीर, गुलाल, रंग
- अबूझी मंज़िल अनजानी राहें
- अब्बा - तीन कविताएँ
- अभंगित मौन
- अभिनन्दन
- अभिनन्दन
- अभिनन्दन है
- अभिमन्यु फँसा फिर से
- अभिलाषा
- अभिलाषा
- अभिलाषाएँ
- अभिवादन
- अभिव्यक्ति के अविराम
- अभिशप्त
- अभिषेक
- अभिसार की रात
- अभी
- अभी कमाने की तुम्हारी उम्र नहीं
- अभी जगे हैं
- अभी नहीं देखा
- अभी बादल ले रहा उबासी
- अभी बाक़ी है
- अभी मत बोलो
- अभी-अभी मैंने प्यार की बातों में मिठास घोली है
- अमर प्यास –मर्त्य-मानव
- अमर प्रेम
- अमर शहीद
- अमरकंठ से निकली रेवा
- अमरत्व
- अमरबेल
- अमराई
- अमरीका, खुली हवा में
- अमरों में नाम लिखा लेना
- अमावस्या की निशा
- अमिट यादें
- अमिट रहे ये नेह तुम्हारा
- अमीरों के कपड़े
- अमूक कविता
- अमूल्य जीवन और नशा
- अमृत की खोज
- अमृत कुंड
- अमृत जयन्ती तक हिन्दी
- अमृत धारा आज़ादी की
- अमृत भारत
- अमृत-जल
- अमृतमय अभिसार बने
- अमृता तुम क्यों मर जाती या मारी जाती?
- अम्ब विमल मति दे
- अम्बरी
- अम्मा
- अम्मा! दादू बूढ़ा है
- अय शहीद, तुझे सलाम
- अयोध्या धाम
- अरमानों की यात्रा
- अराजकता
- अराध देव रुष्ट हो गये!
- अरी आत्मा तू जाये कहाँ रे
- अरुण यह मधुमय देश हमारा
- अरुणाचल से आए मिथुन
- अरे कोई तो बतलाओ
- अरे सुबह, तू उठ आयी है
- अर्क्य अर्घ्य
- अर्चना के पुष्प
- अर्जुन जैसे अब नहीं होते अपनों के प्रति अपनापन दिखानेवाले
- अर्जुन होना सिर्फ़ वीर होना नहीं है
- अर्थ बदल जाते जब भाषा सरल से जटिल हो जाती
- अर्धनारीश्वर
- अलख निरंजन
- अलविदा
- अलविदा
- अलविदा 2023
- अल्पदृष्टि
- अल्फ़ाज़
- अवकाश का अहसास
- अवधान
- अवधूत सा पलाश
- अवनति
- अवसाद
- अवसाद गीति
- अवसान
- अविजित मच्छर से साक्षात्कार
- अव्यवस्था की बहती गंगा
- अशक्तता पर विजय
- अशेष पृथ्वी
- अश्रु अग्नि
- अश्रु जल
- अश्रु-सरिता के किनारे
- अश्वमेध यज्ञ
- असंतोष के सिंह तुम माँद में रहो
- असंतोष क्यों?
- असगरी बाई की आवाज़
- असफल-प्रेम!
- असफलता
- असभ्य कौन है
- असमंजस
- असमय की एक कविता
- असल प्रयागराज
- असली क्षमावाणी
- असली दोस्त
- असहिष्णु बादल
- असाधारण!
- अस्त होता सूरज
- अस्तित्व
- अस्तित्व
- अस्तित्व
- अस्तित्व
- अस्तित्व
- अस्तित्व
- अस्तित्व में
- अस्तित्व..
- अस्तित्व
- अहंकार
- अहम् ब्रह्मास्मि और ग़ुस्सा
- अहसास
- अहसास
- अहसास
- अहसास आस-पास
- अहसासों की नदी
- अहा बनारस
- अहा!
- अहिंसा का उपदेश
- अहिंसावादी जैन धर्म वेदों से प्राचीन व महान है
- अक़्सर
- अक़्सर पिता पति पुत्र समझते नहीं नारी की भाषा
- अख़बार
- अख़बार पढ़ना बहुत ज़रूरी है
- अख़बार वाला
- अफ़वाह
- अफ़सर की तरह आता है नववर्ष
- अफ़सोस
आ ऊपर
- आ जाना दिकु
- आ रहा है गाँधी फिर से
- आ रही गहरी निशा है
- आँकड़े
- आँख उनसे मिली तो सजल हो गई
- आँखें
- आँखें
- आँखें
- आँखें (दिव्या माथुर)
- आँखें पगला गई हैं!
- आँखें मेरी आज सजल हैं
- आँखें शाश्वत हैं
- आँखों की भाषा
- आँखों के आँसू
- आँखों में छुपा रखा है
- आँखों में शाम
- आँगन की गौरैया
- आँगन के पाथर
- आँचल
- आँसुओं की जगह
- आँसू
- आँसू
- आँसू
- आँसू
- आँसू
- आँसू
- आँसू (जावेद आलम खान)
- आँसू की बूँद में घर की तस्वीर
- आँसू पीना ही पड़ता है
- आँसू बोलते हैं
- आँसू
- आंतरिक ग़ुलाम
- आंतरिक गुनाहगार
- आंतरिक दर्द
- आइए जलते हैं
- आई दिवाली!
- आई बासंती बयार सखी
- आई.सी.यू.
- आईं देखीं रउवा हमार पटना
- आईना
- आईना
- आईना देखा करो
- आईना साफ़ है
- आईना
- आओ चाँद से बातें करें
- आओ जन्मदिन मनाएँ
- आओ दीप जलायें
- आओ ना बरसात
- आओ मतदान करें
- आओ विकास
- आओ सूर्य तुम्हारा हम स्वागत करें
- आओ हम आवाज़ दें
- आओ ख़ून करें
- आओ! थोड़ा मुस्कुरा लेते हैं
- आओ, तुम्हें...
- आओ, मिलकर दीप जलाएँ
- आओ, लौट चलें अब घर को
- आक
- आकर्षण
- आकर्षण
- आकांक्षा
- आकाश तुम्हारा है . . .
- आकाशगंगा
- आक्रोश
- आग
- आग
- आग (सनी गंगवार ’गुरु’)
- आग के ही बीच में
- आग न उठती हो जिसके अंतर में
- आग़ाज़
- आगे बढ़ना है
- आगे बढ़ता चल
- आगे वक़्त की कौन राह?
- आज
- आज अचानक हुई बारिश में
- आज और बीता हुआ कल
- आज का कवि
- आज का सच
- आज का सत्य
- आज की बात
- आज की मधुशाला
- आज की यशोधरा
- आज की ख़ुशी
- आज कुछ न लिखने को
- आज कुछ माँगती हूँ प्रिय...
- आज के युग में क्रांतिवाद
- आज के लिए मेरे शब्द
- आज के वक़्त से
- आज के शहर और कल के गाँव
- आज के ज़माने में
- आज जब गूँगा हृदय है, मैं सुरों को साध कर भी क्या करूँगा?
- आज ज़िन्दगी को फिर से ढूँढ़ते हैं
- आज तक किसका किस के बिना काम बिगड़ा है?
- आज फिर
- आज फिर ढलने लगी है शाम, प्रिय देखो ज़रा
- आज फिर बाहर चाँदी बिछी है
- आज भी
- आज भी शाम हो गई
- आज मिलन की आस
- आज मुलाक़ात हुई पिता से
- आज मेरे शहर ने मुझे रुला दिया
- आज मैंने भी एक दिया जलाया
- आज संकल्प हम करते हैं
- आज सुना है मातृ दिवस है
- आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता
- आज हर जगह संकट में क्यों जी रहा है आदमी?
- आजकल
- आजकल (रोहिताश बैरवा)
- आजकल इन पहाड़ों के रास्ते
- आजकल मैं खिड़की नहीं खोलता
- आज़ादी अभी अधूरी है
- आज़ादी का अमृत महोत्सव
- आजीवन
- आठ मार्च, विश्व महिला दिवस मनाते हुए
- आता है नज़र
- आत्म - मंथन
- आत्म हीन होते समय में
- आत्मग्लानि
- आत्मनिरीक्षण
- आत्मनिर्भर
- आत्मनिर्भर भारत
- आत्मपीड़ा
- आत्मबोध
- आत्मयुद्ध
- आत्मविश्वास
- आत्मविश्वास के झोले
- आत्मसंघर्ष
- आत्मस्वीकार
- आत्महत्या
- आत्महत्या कर ली सब चीज़ों ने
- आत्महत्या के विरुद्ध
- आत्महत्या! क़त्लेआम!
- आत्महत्या
- आत्मा का अभ्युदय
- आत्मा से महात्मा-परमात्मा बनने का सोपान ये मनुज तन
- आत्माएँ भी मरती हैं . . .
- आत्मावलोकन
- आदत
- आदत है अब
- आदमखोर
- आदमी
- आदमी
- आदमी अगर दुःखी है तो स्वविचार व मन से
- आदमी और इंसान
- आदमी जब कविता लिखता है
- आदमी तू बेकार नहीं है
- आदि और अन्त
- आदिपुरुष समीक्षा
- आदिशक्ति मात भवानी
- आधार
- आधी नींद में
- आधी सच्ची आधी झूठी
- आधुनिक
- आधुनिक घुसपैठिए
- आधुनिक मुखौटा
- आनंद की अनुभूति
- आनंदमयी
- आना चाहती हो मगर
- आने दो माघ
- आने वाला कल देखो
- आप कह दो "रावत" को क्या लिखूँ
- आप चाँदनी
- आप जितना उतना नहीं
- आप सा देश भक्त ना उत्पन्न अब तक
- आपको मेरी रचना पढ़ने की आवश्यकता नहीं
- आपने कभी सपना देखा क्या?
- आपसी सहयोग
- आभास
- आभासी बेड़ियाँ
- आम आदमी
- आम और ख़ास
- आम का पेड़
- आम सी लड़की
- आम्रपाली
- आया नया विहान
- आया नव वर्ष आया
- आया बसंत
- आया बसंत
- आया है नवरात्रि का त्योहार
- आयी ऋतु मनभावन
- आयी देखो दीपावाली
- आयु निर्धारण सिर्फ़ जन्म नहीं मानसिक आत्मिक स्थिति से होती
- आयेंगे एक दिन
- आयो कृष्ण कन्हाई
- आर-पार
- आरक्षण
- आरक्षण की व्यथा
- आराधना
- आर्त्तनाद
- आलंबन
- आलसी हम
- आलिंगन (आलोक कौशिक)
- आलोकवर्द्धन
- आवरण
- आवरण पृष्ठों का कवि
- आवाज़
- आवाज़ तोड़ता हूँ
- आवारा बादल
- आवारा मन
- आवारा हो गया यह शहर
- आवास
- आवाज़ (पाराशर गौड़)
- आवाज़ का पंछी
- आवाज़ें
- आवो, लौट चलें जीवन में
- आशा
- आशा और निराशा
- आशा का सूरज
- आशा की किरण
- आशा की खिड़की
- आशा की चौखट पर
- आशा या निराशा
- आशाओं का रवि
- आशादीप
- आशायें बस इतनी सी
- आशावान
- आशियाना
- आशियाना
- आशीर्वाद
- आशीष आपका बना रहे
- आश्रम
- आश्रम में स्त्रियाँ
- आश्वासनों के दौर में
- आषाढ़ के दिन
- आषाढ़ का एक दिन और मल्लिका
- आषाढ़ की पहली बारिश
- आस
- आस का इंद्रधनुष
- आस में राम, विश्वास में राम
- आस-किरण
- आसक्ति-विरक्ति द्वंद्व
- आसमान पर छाओगे
- आसमानी क़िला
- आसरा
- आसान नहीं होता पढ़ना भी
- आसार
- आस्तिक हो तो मानो सबका एक ही है ईश्वर
- आस्तीन के साँप
- आस्तीन के साँप
- आस्था
- आस्था (प्रकाश चण्डालिया)
- आस्था का महाकुंभ
- आस्था के स्वर
- आह! वो लड़की
- आहट
- आहटें आती रहीं पर तुम न आई
- आहत होती सच्चाई
- आह्वान
- आह्वान
- आख़िर इंसान क्या करे?
- आख़िर कब तक आओगे?
- आख़िर कहना पड़ेगा
- आख़िर कहाँ चले गये हो तुम?
- आख़िर क्यों
- आख़िर बीत गई दिवाली
- आख़िर सजन के पास जाना
- आख़िरी कर्त्तव्य
- आख़िरी किसान
- आख़िरी ठिकाना
- आख़िरी बरसात
- आख़िरी बुज़ुर्ग
- आख़िरी संघर्ष
- आज़माइश
- आज़माइश
- आज़माइश-2
- आज़ाद चन्द्र शेखर महान
- आज़ादी
- आज़ादी
- आज़ादी
- आज़ादी का दिन
- आज़ादी का दिवस
- आज़ादी का सपना
- आज़ादी की एक और वर्षगाँठ
- आज़ादी की सोंधी ख़ुश्बू . . .
- आज़ादी मुफ़्त नहीं मिलती
- आज़ादी (चन्द्र मोहन किस्कू)
इ ऊपर
- इंटरनेट क्रांति
- इंटरनेट दुकान
- इंतज़ार
- इंतज़ार में है गली!
- इंतजार की घड़ी
- इंतज़ार
- इंतज़ार
- इंतज़ार
- इंतज़ार
- इंतज़ार (शबनम शर्मा)
- इंतज़ार अच्छे पाठक का
- इंतज़ार कर, होगा सबेरा . . .
- इंतज़ार (अमित डोगरा)
- इंद्रधनुष
- इंद्रियाँ
- इंसान का दिमाग़ी विलास
- इंसान क्या है
- इंसान घूम रहे हैं शहर में
- इंसान नहीं, आप ईश्वर...
- इंसान हूँ, हार कभी नहीं मानूँगा मैं
- इंसाफ़
- इक इब्तिदा
- इक उम्र तक
- इक नूतन सा
- इक्षा
- इच्छा है
- इच्छाएँ
- इच्छाओं की गगरी
- इतना ही तुमसे कहना है
- इतनी गोंद कहाँ से लाऊँ
- इतनी रेखाओं के बीच में तो तरलता ही समा सकती है
- इतनी-सी बात है
- इतने दिनों के प्यार के बाद भी
- इतवारी रिश्ते
- इतिहास और लोकतंत्र!
- इतिहास में झाँकने पर
- इतिहास में झाँकने पर
- इतिहास रचो ऐ! सृजनकार
- इत्तेफ़ाक़
- इधर से ही
- इन छुट्टियों में माँ
- इन दिनों वो भूख देखी
- इन पहाड़ों मेँ आकर
- इन रास्तों का अकेलापन
- इनके बाद
- इन्तज़ार
- इन्तज़ार
- इन्हीं ख़्वाहिशों से . . .
- इन्हें मात्र मज़दूर मत समझो
- इम्तिहान
- इम्तिहान के दिन आये
- इशारा
- इश्क़ का अभिप्राय
- इश्क़ की ख़ुशबू . . .
- इश्क़
- इश्क़ का तिनका
- इष्ट का सहारा
- इस किराये के मकान में
- इस दुनिया को इतना छला गया है
- इस धुली चदरिया को धूल में ना मिलाना
- इस पल है जीवन
- इस पाप-पुण्य के मंथन में
- इस पार - उस पार
- इस पार हमारा जीवन है
- इस पार हमारी नौका थी
- इस बार
- इस बार दिवाली पर
- इस बार वसंत तुम ऐसे आना
- इस महामारी में
- इस माटी का स्वर्ग
- इस रजनी में
- इस रास्ते से देश अपने घर लौट रहा है
- इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं
- इस व्यवस्था की ऐसी की तैसी
- इस सदी का चाँद
- इस सदी का बच्चा
- इसी देश में कहीं
- इसी धरा से पाए काया, इसी मृदा में मिल ही जाना . . .
- इसी प्यार के लिए
- इसी मनुष्य की विभा सूर्य सी चमकती
- इस्पात के जंगल हैं
- इज़हार
ई ऊपर
उ ऊपर
- उँगली तो थमाओ दोस्त
- उक्त-अनुक्त
- उगने की प्रतीक्षा
- उगाने होंगे अनगिन पेड़
- उचित क्या है?
- उछलो!
- उजले सपने धुंधली यादें
- उजाला छिन न पाएगा
- उजाले
- उजाले का बँटवारा
- उजाले में अँधेरा . . .
- उजास की आशा
- उठेगी
- उठो
- उठो युवा तुम उठो ऐसे
- उठो रात अब जागो तो
- उठो, उठो भारती, यही शुभ मुहूर्त है
- उड़ान
- उड़ान
- उड़ी जा रही हूँ
- उतरे हुए रंग की तरह उदास
- उतरो रे सूर्य गगन से . . .
- उतार देती है
- उत्तर-निरुत्तर
- उत्पादन, अर्जन और सृजन
- उत्सर्जन में आनन्द
- उत्सव
- उदारवादिता
- उदास आईना
- उदास गलियाँ
- उदास दिन
- उदास नदी पर सात कविताएँ
- उदास बरगद
- उदास लड़की
- उदासियाँ
- उदासी
- उदासीनता
- उद्विग्न आकाश
- उद्बोधन:आध्यात्मिक
- उधार नाश्ता
- उधेड़-बुन
- उन पाप के नोटों का क्या होगा?
- उन ग़रीबों के लिए तुमने क्या किया?
- उनका आना और जाना
- उनकी वापसी
- उनींदी है शाम
- उन्हें तो मरना ही था
- उन्हें भी दिखाओ
- उन्हें मैं पसंद हूँ!
- उन्हें समझ आ गया था
- उपग्रह
- उपनिवेश
- उपलब्धि
- उपसंहार
- उपहार
- उपहार/तोहफ़ा/सौग़ात/भेंट
- उपेक्षा
- उबलता हुआ भात
- उमंगों की डोर
- उम्मीद
- उम्मीद
- उम्मीद
- उम्मीद
- उम्मीद
- उम्मीद (जयदेव टोकसिया)
- उम्मीद (शिशपाल चिनियां ’शशि’)
- उम्मीद (सरिता यादव)
- उम्मीद एक वादे पर
- उम्मीद का सूरज
- उम्मीदें
- उम्मीदों का आकाश कभी झुकता नहीं
- उम्र
- उम्र का यह दौर भी . . .
- उम्र के तीन पड़ाव
- उम्र मैंने खोयी है
- उम्रदराज़
- उर्मिला की व्यथा
- उर्वरक
- उर्वशी कोई हूर परी अप्सरा नहीं उर में बसी वासना होती
- उलझन
- उलझन
- उलझन
- उलझनें ही उलझनें
- उलझे-सुलझे
- उलाहना
- उल्लंघन
- उस घर में ही होंगी ख़ुशियाँ
- उस दिन
- उस दिन
- उस दिन कोई तारीख़ नहीं थी
- उस दिन नई सुबह होगी
- उस पार की आकांक्षा
- उस वक़्त अगर मैं तेरे संग होता
- उस सर्द मौसम में
- उस सावन सी बात नहीं है
- उस सूनी बस्ती में
- उस ख़्वाब के जैसा
- उसका जाना
- उसका होना
- उसकी नज़र की तलाश में
- उसकी हँसी
- उसके लिए . . .
- उसने कहा
- उसने कहा था
- उसने कहा था
- उसने सोचा था
- उसमें सब कुछ था
- उसे फिर से बुनना है
- उड़ गयी गौरैया
- उड़ने दो
- उड़ने वाले डाकिये
- उड़ान
- उड़ान
- उड़ान भरना चाहता हूँ
- उड़ूँगा
- उफ़! ये बच्चे
ए ऊपर
- ए लहर! लहर तू रहती है
- ए ज़िंदगी
- एक बेज़ुबां बच्ची
- एक अच्छा दिन
- एक अच्छा दिन निकला
- एक अज़ीम उपलब्धि
- एक अधूरा मरा स्वप्न
- एक अधूरा सफ़र
- एक अनाथ पत्र
- एक अलौकिक प्रेम कहानी
- एक अहसास
- एक आश्रम अशान्त
- एक ईमानदार मुलाज़िम होता मुजरिम सा निपट अकेला
- एक उड़ान
- एक उदास दिन . . .
- एक औसत रात : एक औसत दिन
- एक कवि की दुनिया
- एक कविता
- एक कहानी
- एक कहानी सुन
- एक किताब
- एक किरण पर्याप्त है!
- एक गाँव था मेरा
- एक गीत लिखने का मन है
- एक गृहणी
- एक चिंगारी
- एक चित्र
- एक चिलचिलाता शहर
- एक छोटा सा कारवां
- एक छोटी सी कहानी
- एक छोटी-सी सोच
- एक जन्म में . . .
- एक जलता हुआ दृश्य
- एक जादुई शै
- एक जिज्ञासा
- एक ज्वार
- एक झोंपड़ा अपना भी हो . . .
- एक टीस अंतरमन में
- एक टीस उठी है . . .
- एक टुकड़ा धूप
- एक ठहरी हुई उम्र
- एक डेल्टा ज़रूरी
- एक तरफ़ा सच
- एक तस्वीर
- एक तारा
- एक तितली की उड़ान
- एक थी उम्मीद
- एक दिन
- एक दिन
- एक दिन . . .
- एक दिन पूछा सवेरे से
- एक दिन मंज़िल मिल जाएगी
- एक दिया
- एक दिया काफ़ी है . . .
- एक दीप जलाना चाहूँ
- एक दीपक
- एक दीपक
- एक दीया उनके नाम
- एक दीया जलायें
- एक दीया…
- एक नई दीपावली
- एक नई दुनिया
- एक नई सोच
- एक नन्हा ज्योतिपुंज आशाओं का
- एक नन्ही सी परी
- एक नया उद्घोष
- एक नया जोश जगायें हम
- एक नया विश्वास
- एक नया विश्वास
- एक नालायक़ अकेला
- एक पटाखा फूट गया
- एक पत्र ईश्वर के नाम
- एक पिता की वेदना
- एक पीढ़ी के लिए
- एक पुत्र का विलाप
- एक पुरानी कविता
- एक पेड़ का प्रश्न
- एक पेड़ का अंतिम वचन
- एक पेड़ था कभी हरा भरा
- एक प्यार एक दोस्ती
- एक प्याली चाय
- एक प्रतिशत
- एक प्रश्न
- एक बच्चे की दौड़
- एक बच्चे की हँसी
- एक बार फिर से
- एक बूढ़ा इंसान
- एक बेटी की उम्मीद
- एक बोझ
- एक बौनी बूँद
- एक भारत श्रेष्ठ भारत
- एक भारत, श्रेष्ठ भारत
- एक भारतीय पत्र मित्र इनद के नाम
- एक भी खिड़की नहीं
- एक भ्रमर की यात्रा
- एक मकान हमारे अन्दर
- एक मरणासन्न पादप की पीर
- एक मराठा सौ पर भारी, ये बात मुग़लों को समझायी
- एक मशीन का दर्द
- एक मीठे गीत-सी तुम
- एक रात की पढ़ाई
- एक लड़का
- एक लड़की
- एक लम्बी बारिश
- एक ललित गीत
- एक वार्तालाप
- एक विचारणीय प्रश्न : गाड़िया लोहार
- एक वैसी ही लड़की
- एक शब्द : नारी
- एक शाम
- एक शोर था, एक वीरानगी थी
- एक सँकरा पुल
- एक संवाद
- एक संवेदनात्मक पड़ताल
- एक सजल संवेदना-सी
- एक सपना
- एक सवाल
- एक सवाल और उसका जवाब
- एक साल बीत गया
- एक सूखा गुलाब
- एक स्कूल
- एक स्त्री का नग्न होना
- एक स्त्री की मर्यादा
- एक ही कविता
- एक होना चाहिए
- एक ख़त
- एक ख़ामोश दिन
- एक ख़्वाब
- एक ख़्वाब सा देखा है, ताबीर नहीं बनती
- एक ज़माना था
- एक फ़रियाद मौत से भी
- एक फ़क़ीर
- एकता का बंधन
- एकत्व
- एकल
- एकलव्य
- एकांत
- एकात्म के लिए
- एकान्त चाहिये
- एकालाप
- एयर होस्टेस
- एलियन नहीं हूँ मैं
- एस० एम० एस०
- एहसास
- एहसास
ऐ ऊपर
- ऐ दोस्त क्या बताऊँ तुझे!
- ऐ नारी
- ऐ पथिक तूँ चल अकेला
- ऐ बस्तियो
- ऐ मातृ शक्ति अब जाग जाग
- ऐ रात सँभल कर चल ज़रा
- ऐ सनम मेरे
- ऐ ज़िंदगी थोड़ी ठहर जा!
- ऐ! कविता
- ऐ! बसन्त
- ऐ! सावन
- ऐन्टाल्या में डूबता सूर्य
- ऐयाश मुर्दो
- ऐश्वर्या राय का कमरा (1)
- ऐसा क्या है?
- ऐसा क्यों होता है?
- ऐसा क्यों?
- ऐसा गाँव है अपना
- ऐसा था गौतम बुद्ध संन्यासी का कहना
- ऐसा पहली बार नहीं हुआ था
- ऐसा हो ...
- ऐसी कविता रच डाल कवि!
- ऐसी सम्पूर्णता कृष्ण में ही व्यक्त है
- ऐसी हो
- ऐसे न काटो यार
- ऐसे-वैसे लोग
- ऐहतियात
ओ ऊपर
- ओ अपरिचित ! आओ हम तुम
- ओ गाँधी बाबा
- ओ टिमटिमाते दीप!
- ओ धरा
- ओ नभ के मँडराते बादल
- ओ पारिजात
- ओ पिता!
- ओ पिया ओ पिया
- ओ बसंत रुक जा
- ओ बेआवाज़ लड़कियो!
- ओ भँवर
- ओ भारत देश महान मेरे
- ओ मनुष्य
- ओ मसीहा
- ओ मातृभूमि तेरी जय होये
- ओ मेरे प्राणेश-नहीं है कुछ भी संभव बिना तुम्हारे
- ओ मेरे...
- ओ रंगरेज़
- ओ राही
- ओ सखा
- ओ साथी
- ओ हिम धीरे से गिर
- ओ ख़ुदा
- ओम शब्द माँ की पुकार है ओ माँ
- ओमिक्रोन
- ओमीक्रान
- ओर्चिड हूँ मैं
- ओशो ने कहा
- ओस
- ओस की बूँद
- ओस की बूँद
- ओस्लो में 20 नवम्बर
औ ऊपर
क ऊपर
- कंडे, आग और धुआँ
- कक्षा की सबसे होशियार लड़की
- कच्ची रोटी
- कजरारे बादल
- कटी पतंग
- कटे पेड़ के पास
- कठपुतलियाँ
- कठिन विदा
- कठिन है माँ बनना
- कठोर यथार्थ
- कठोर हाथों की कविता
- कत्थई आँखों वाला शब्द
- कथन
- कदाचित
- कनक हुई हूँ
- कन्या पूजन
- कन्या भ्रूण हत्या
- कन्यादान
- कब क्यों?
- कब तक तुझको याद करूँ
- कब तक रहेगा ये अँधेरा
- कब पूर्ण होगी यह प्रतीक्षा
- कबाड़ी वाला
- कबीर की भाषा, भक्ति और अभिव्यक्ति
- कबीर के जन्मोत्सव पर
- कबीर छंद – 001
- कबीर से द्वितीय संवाद
- कबीर से संवाद
- कभी आना मुझसे मिलने
- कभी आना मेरे गाँव की गलियों में
- कभी कभी जब मन उदास हो जाता है
- कभी कभी थकी-माँदी ज़िन्दगी
- कभी कभी लगता है
- कभी कुछ माँगा नहीं
- कभी चले थे साथ-साथ
- कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
- कभी तो मानते
- कभी तो मिलोगे
- कभी प्यार में तुम आओ तो
- कभी रंजो अलम के गीत मैं गाया नहीं करता
- कभी-कभार
- कभी-कभी
- कभी-कभी मन करता है
- कमाल की लाईन है
- कम्पित दीपशिखा
- कर लेता मैं प्यार
- करती हूँ रिजैक्ट तुम्हें . . .
- करती है पानी-पानी
- करते हो कोशिश
- करना था कुछ और मगर
- करना होगा कर्म महान
- करमहीन
- करवा चौथ का अनुपम त्यौहार
- करवाचौथ का चाँद
- करवाचौथ के बहाने
- करें हिन्दी से प्यार
- करो अमृत का पान करो अमृत भक्षण
- करोना काल का साइड इफ़ेक्ट
- कर्ण
- कर्ण पाँच पाण्डव में नहीं था कोई एक पंच परमेश्वर
- कर्ण रहे न रहे कर्ण की बची रहेगी कथा
- कर्तव्य
- कर्तव्य पथ
- कर्तव्यनिष्ठता
- कर्त्तव्यपथ
- कर्म और भाग्य . . .
- कर्म ही प्रधान है
- कर्मनिष्ठ
- कर्मफल
- कर्मभूमि
- कर्मयोगी
- कर्ज़
- कल अचानक ज़िन्दगी मुझ को मिली
- कल अपना भी दौर आयेगा
- कल की शाम
- कल के खेल
- कल जा टकराया बचपन से
- कल देखा एक अत्याचार
- कल फिर सुबह होगी . . .
- कल बड़े का पेपर है
- कल सुबह
- कल, आज और कल
- कलंक भी है सौंदर्य
- कलंक भी है सौंदर्य
- कलयुग की मार
- कलयुग में जन्मोत्सव
- कलयुगी अवतार
- कलयुगी आज़ादी
- कलाइयों पर ज़ोर देकर!
- कलाकार
- कलाकार
- कलियुग की भगीरथ
- कलुषित हो, मानुष किस ओर चला है. . .?
- कल्प - अल्प - विकल्प
- कल्पना नहीं करता
- कवच
- कवि
- कवि और कविता
- कवि का पावस
- कवि की अभिलाषा
- कवि की अमरता
- कवि की कविता
- कवि नहीं वह अभिनेता है
- कवि हो तुम
- कवि-1
- कवि-2
- कवि-कारख़ाना
- कविता
- कविता
- कविता
- कविता
- कविता
- कविता
- कविता
- कविता
- कविता
- कविता (प्रेरणा सिंह)
- कविता एक घाव है
- कविता और क्रांति
- कविता और जीविका: दो विचार
- कविता और मैं
- कविता का आज का दौर
- कविता का जन्म
- कविता का ढाँचा!
- कविता का मूल्य
- कविता की तलाश
- कविता कैसी लगी?
- कविता क्या है . . .
- कविता क्यों लिखती हूँ
- कविता तुम कहाँ हो
- कविता तुम कहाँ हो
- कविता तुम मेरी राधा हो
- कविता तुम्हारे नाम
- कविता पाठ के बाद
- कविता मुझे कहाँ मिली?
- कविता में गाली!
- कविता में देह का होना
- कविता मेरी नज़र में
- कविता मेरे लिए ज़्यादा कुछ नहीं
- कविता मेहरा गई है
- कविता या ख़बर
- कविता लिखती है एक औरत
- कविताएँ संस्कृतियों के आईने हैं
- कविताओं से बाहर जीने के दौर में
- कविते!
- कविनिकेतन
- कश्ती से मैंने कहा
- कश्मकश
- कश्मकश
- कसक
- कस्तूरी मृग
- कहती है बिटिया . . .
- कहते कहते चुप हो गया
- कहते-कहते थका नहीं हूँ
- कहने को तो दिन बहुत हैं
- कहने दो
- कहाँ गया बचपन...
- कहाँ तक पढ़े हो?
- कहाँ भारतीयपन
- कहाँ लिखूँ
- कहाँ हैं वो लोग
- कहाँ हो तुम!
- कहानी
- कहानी
- कहानी एक रात की
- कहानी और मैं
- कही-अनकही बातें
- कहीं देर न हो जाए!
- कहीं फ़र्श तो कहीं रँगे मन
- कहूँ कैसे?
- कहो न
- कहो नालंदा ज्ञानपीठ भग्नावशेष तुम कैसे थे?
- कहो रेणुका तुम्हारा क्या अपराध था?
- क़हर
- काँच के शब्द
- काँटों से यारी
- काँटों से सेवित है मानवता का फूल यहाँ
- काँपती किरनें
- कानपुर की एक सड़क पर
- कान्हा
- कान्हा
- कान्हा
- कान्हा तुझको आना होगा
- कान्हा! तुम्हारी स्मृति सताती है
- काफ़िर
- काम आऊँगा एक दिन तुम्हारे ताक़त की तरह
- काम को निकली औरत
- कामकाजी माँ
- कामना
- कामना
- कामना (पाराशर गौड़)
- कामना!
- कामनाएँ
- कामयाबी के थप्पड़
- कायर
- कार वाले का ‘लिंक’ हर जगह होता है
- कारगिल विजय
- कारवाँ
- कारवाँ
- कार्तिक पूर्णिमा
- काल
- काल का पानी
- काल का विकराल रूप
- काल की ये विवेचना
- काल डमरू
- कालचक्र
- काला घोड़ा
- काला चाँद
- काली नदी
- काव्य क्यों?
- काव्य धारा
- काव्य प्रेम
- काश
- काश
- काश (दिव्या माथुर)
- काश (राजीव डोगरा ’विमल’)
- काश तुम मिलती तो बताता
- काश तुम समझ सको
- काश मेरे लिए कोई कृष्ण होता
- काश मैं भी एक गुलाब होता
- काश मैं भी एक टेडी बीयर होता
- काश ये भी गुलाबी हो जाएँ
- काश वो एक शाम
- काश! मैं पापा जैसा होता . . .
- काश!! ऐसा करें
- काश!
- काश!आदर्श यथार्थ बन पाता
- काश..
- काशी
- काश…!
- काहे दंभ भरे ओ इंसान
- काग़ज़ और क़लम
- काग़ज़ की कश्ती
- काग़ज़ी शिक्षा
- काफ़ी है!
- कितना
- कितना ओछा है आदमी
- कितना मुश्किल है गाँधी बनना
- कितना मुश्किल है पिता होना
- कितने सच्च मुट्ठी में
- किताब
- किताब
- किताबें
- किताबें बोलती हैं
- किनारे पर मैं हूँ
- किन्तु मैं हारा नहीं
- किन्तु विवश हूँ
- किरदार
- किरदार
- किरन जब नभ में छाई
- किराए का टट्टू
- किराए का मकां
- किस अधिकार से?
- किस आस में तू खड़ा
- किस ओर चलूँ मैं
- किस कारण साजन छाँह न की
- किस देवता से
- किस मिट्टी की बनी हो?
- किस मुग़ालते में हो?
- किस रास्ते
- किसने लिखी है इबारत
- किससे माँगें अपनी पहचान
- किसान
- किसान
- किसान का हल
- किसान का हाल
- किसान की गत
- किसान की व्यथा
- किसान हूँ मैं
- किसान है क्रोध
- किसी ओर से
- किसी दिन
- किसी दिन तो
- किसे कहूँ मैं युग-परिवर्तन
- किसे दोष दूँ
- किसे बताऊँ?
- की बात है
- कीचड़ में कमल
- कीड़े
- कीमत
- कील-2
- कुंभ के बाद
- कुकुरमुत्तों - सा प्यार
- कुछ अधूरे अफ़साने
- कुछ अनकही सी . . .
- कुछ इस तरह
- कुछ एहसास
- कुछ ऐसा करो इस नूतन वर्ष
- कुछ और कड़वे सच – 02
- कुछ कड़वे सच — 01
- कुछ करते-करते हो जाता है कुछ-कुछ
- कुछ खेल बॉल के लिये ही खेले जाते हैं
- कुछ खो गया है
- कुछ छूट रहा है
- कुछ तुमको भी तो कहना होगा
- कुछ तो गाओ
- कुछ तो दिन शेष हैं
- कुछ तो हो
- कुछ न रहेगा
- कुछ नवीन सृजन करो
- कुछ परछाइयाँ आदमी होती हैं
- कुछ पल की मुलाक़ातें...
- कुछ पल की ये ज़िंदगानी!
- कुछ प्रश्न पवन से
- कुछ बच्चे समझ जाते हैं
- कुछ बच्चों का बचपन
- कुछ बात कहनी है तुमसे
- कुछ भी असम्भव नहीं
- कुछ भी नहीं
- कुछ याद आया?
- कुछ यादें
- कुछ विचार
- कुछ व्यवहारिक बातें
- कुछ वक़्त बदल जाता
- कुछ शब्दों में कैसे लिख दूँ, मज़ा मेरे गाँव का
- कुछ क़दम बढ़ो
- कुछ ख़त उसके
- कुछ ख़त मेरे
- कुतरन ज़िंदगी की
- कुबड़ी आधुनिकता
- कुर्सी
- कुर्सी और आदमी
- कुल्हाड़ी
- कुवलय
- कुशल गृहणी
- कुहासा
- कृपा तुम्हारी भगवन
- कृश-कृषक
- कृषक दुर्दशा
- कृषि का गणित
- कृष्ण अर्जुन
- कृष्ण कन्हैया लाल की
- कृष्ण की व्यथा
- कृष्ण के जीवन में राधा तू आई कहाँ से?
- कृष्ण जन्म - एक युग की आकांक्षा
- कृष्ण जन्म- सत्य एवं न्याय
- कृष्ण जन्मोत्सव
- कृष्ण पक्ष
- कृष्ण पथ
- कृष्ण पुकार
- कृष्ण भजन
- कृष्ण संग खेलें फाग
- केप ऑफ़ गुड होप
- केवल तुम हो
- केवल वे ही बचेंगे
- कैंपस छोड़ आया हूँ
- कैंसर
- कैकयी तुम कुमाता नहीं हो
- कैनवस
- कैनवास (दीप्ति शर्मा)
- कैसा होगा यह साल
- कैसी आफ़त आई है
- कैसी है मेरी मजबूरी
- कैसी है ज़िन्दगी
- कैसे उड़ें गगन
- कैसे एतबार करें किसी का
- कैसे कटेंगे पहाड़ से ये दिन
- कैसे कह दूँ
- कैसे कह दूँ प्यार नहीं था
- कैसे कहूंँ अलविदा–2024
- कैसे कोई जान रहा?
- कैसे जानूँ अभिलाषा मन की
- कैसे जी रहा है
- कैसे पाओगे मुक्ति
- कैसे पुरुष हो यार - एक
- कैसे बताऊँ?
- कैसे भी हो संतान कोई
- कैसे मैं दिल को दिलासा दिलाऊँ?
- कैसे लाँघी- मर्यादा?
- कैसे लिखूँ प्रेम गीत मैं
- कैसे हिन्दी दिवस मनाऊँ मैं?
- कैसे हो?
- कैसे-कैसे सेल्ज़मैन
- कोई अज्ञात है
- कोई गीत गाएँ
- कोई जादू सा है
- कोई ढूँढ़ने जाए कहाँ
- कोई तो जीवित है
- कोई दिवस
- कोई दूर हुआ है जैसे
- कोई नहीं बन सका इंद्र
- कोई नहीं है साथ . . .
- कोई पता नहीं
- कोई बात
- कोई भी अवतार नबी कवि विज्ञानी अंतिम नहीं
- कोई मुँह छिपाता नहीं
- कोई मुझे प्रेम सिखा दे
- कोई लौटा नहीं
- कोई फ़र्क़ नहीं
- कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता
- कोख में पलती बेटी बोली
- कोख से कोख तक की यात्रा
- कोटिशः अभिनंदन मेरी प्रिये!
- कोना-कोना कोरोना-फ़्री
- कोयल के गीत
- कोयल क्यों कूक रही हो
- कोयल तब करती है कूक
- कोरोना का पहरा हुआ है
- कोरोना का रोना
- कोरोना का क़हर
- कोरोना की तरह
- कोरोना की तरफ़
- कोरोना की बीमारी
- कोरोना के चलते
- कोरोना के बाद
- कोरोना को हराना है
- कोरोना क्यों?
- कोरोना में मौत
- कोरोना लॉक डाउन
- कोरोना वायरस
- कोरोना से दिवंगतों को श्रद्धांजलि
- कोरोना से संबंधित चौपाइयाँ
- कोरोना (जावेद आलम खान)
- कोरोना (डॉ. राजेन्द्र वर्मा)
- कोलाहल
- कोलाहल (वैद्यनाथ उपाध्याय)
- कोल्हू के बैल
- कोविड काल में सुरक्षित
- कोशिश
- कोशिश (नवल किशोर)
- कोशिश करते हैं इन्हें पढ़ने की
- कोशिश है
- कोहरा
- कोहरा
- कोढ़
- कौआ, कब कान्हा के हाथों रोटी छीनेगा
- कौन कहता है . . .
- कौन कहता है इश्क़ इक बार होता है?
- कौन तुम्हें अपना लेता है?
- कौन देता है इतना साहस!
- कौन बोलता है
- कौन ये?
- कौन सा लोकतंत्र?
- कौन सा वक़्त
- कौन हूँ मैं
- कौन हूँ मैं!
- कौन हूँ?
- कौन है अच्छा इंसान?
- कौन हो तुम
- कौन हो तुम
- कौन हो तुम
- कौन हो तुम चोर!
- कौमी एकता एक उष्मा
- कौशल्या-दशरथ नंदन रघुनंदन का अभिनंदन
- कौसानी (उत्तराखण्ड) की महिला
- क्या अब भी?
- क्या आपने देखा है...?
- क्या कभी वो दिन आएँगे?
- क्या करूँ मैं ऐसी ये दुनिया
- क्या करें?
- क्या कहूँ
- क्या कहेंगे लोग?
- क्या खोया, क्या पाया
- क्या जवाब दोगे..
- क्या तुम आओगे
- क्या तुम ही हो
- क्या देखा है तुमने
- क्या नाम दूँ
- क्या पता है तुमको, मोल अपनी आज़ादी का
- क्या भूली??
- क्या युद्ध ही ज़रूरी है?
- क्या यूँ ही तलाशता रह जाऊँगा तुमको
- क्या राष्ट्र सच्चा है?
- क्या लगती हो तुम मेरी?
- क्या लिखना दवा है
- क्या लिखूँ
- क्या वह आएगा
- क्या वो बच जाती?
- क्या सोच रहे हो तुम
- क्या हम सच में श्रेष्ठ हैं
- क्या हमने पा लिया है?
- क्या हूँ मैं?
- क्या है?
- क्या हो सकता है क्या होना चाहिए
- क्या होगा भगवान देश का!
- क्या होता?
- क्या?
- क्यूँ
- क्यूँ ठहरी हूँ इस मोड़ पर
- क्यूँ नहीं ये ज़िंदगी...!
- क्यूँ ना थोड़ा अलग बना जाए
- क्यूँ? (भव्य गोयल)
- क्यों
- क्यों करती रतजागे?
- क्यों चिरकाल जियूँ
- क्यों नर ऐसे होते हैं?
- क्यों फैला है भ्रष्टाचार
- क्यों यह गुंबद बनवाई है बतलाओ मुग़ले आज़म
- क्योंकि मैं वरिष्ठ हूँ
- क्योंकि मैं सत्य हूँ
- क्योंकि मैं सूर्य हूँ
- क्योंकि हम मज़दूर हैं
- क्योंकि, नाम भी डूबता है
- क्रंदन अंतिम क्षण में
- क्रमशः
- क्रांति
- क्रांति
- क्रान्ति
- क्रिकेट का क्रेज़
- क्रिकेट बस क्रिकेट है जीवन नहीं
- क्रूर ज़माना और तुम
- क्रोध हूँ मैं
- क्रोना
- क्वांटम एंटैंगल्ड
- क्वार का मौसम सुहाना
- क्षण को नापने के लिए
- क्षण दोष
- क्षत-विक्षत
- क्षमा
- क्षमा भाव
- क्षितिज
- क्षितिज के पार
- क्षुधा
- क्षेत्रियता की सीमा
- कड़क चाय की प्याली
- कड़वाहट और रिश्ते
- क़दम
- क़दम अपने मिलाओ तुम . . .
- क़दम-क़दम पर संघर्षों से मेल हुआ
- क़यामत
- क़लम
- क़लम
- क़लम और स्याही
- क़लम का मतलब
- क़लम तुम्हें सच कहना होगा
- क़लम, काग़ज़, स्याही और तुम
- क़लमकार
- क़लमकार को दुर्योधन में पाप नज़र ही आयेंगे
- क़सबे की साँझ
- क़ानून का राज
- क़ाफ़िला
- क़िस्मत
- क़िस्मत (नवल किशोर)
- क़िस्मत (ममता मालवीय)
- क़िस्मत की लकीरों ने
- क़िस्मत के मोती
- क़िस्से
- क़िस्से वीर सुभाष के . . .
- क़ीमत
- क़ीमत
- क़ुदरत की चिट्ठी
क्ष ऊपर
ख् ऊपर
- खंडहर
- खंडहर हो चुके अपने अतीत के पिछवाड़े से
- खचाखच भरी रेलगाड़ी
- खड़ी वो पथ अनजान
- खनकती चूड़ियाँ
- खरा सिक्का
- ख़ामोशी
- ख़ामोशी
- ख़ुश है अब वह
- ख़्वाहिश
- खाट के सेरे पर गौरैया
- खाट पर पड़ी लड़की
- खाटप्रिया
- खाते-पीते घरों के प्रवासी
- खाना तो खा ले
- खालसा
- खिड़की
- खिल गया काँटों के बीच
- खिलने लगे हैं
- खिलौना
- खिसक जाते हैं गाँव-शहर
- खिड़की
- खुरचे हुए शब्द
- खुश है नदी –सात कविताएँ
- खुशी
- खेत
- खेतों में बसती लक्ष्मी
- खेल
- खेल
- खेल पुराने
- खो गई हैं बेटियाँ
- खो गयी
- खो चुका परिचय
- खो जाना है
- खोई सी लड़की
- खोखले दावे
- खोज
- खोज
- खोज
- खोज
- खोया खोया सा रहता हूँ
- खोया बच्चा
- ख़त
- ख़बर
- ख़बर का असर
- ख़बरदार
- ख़बरों में बदलाव
- ख़ाकी
- ख़ामियाँ और ख़ूबियाँ सभी मनुज जीव जंतु मात्र में होतीं
- ख़ामोश हसरतें
- ख़ामोशियाँ बोलती हैं
- ख़ामोशियों की ज़ुबान
- ख़ामोशी
- ख़ामोशी की चहारदीवारी
- ख़ालीपन
- ख़ालीपन
- ख़ास
- ख़ास समुदाय
- ख़ुद की तलाश में
- ख़ुद को दीप्तिमान कर
- ख़ुद पर यक़ीन
- ख़ुदकुशी
- ख़ुदा इतना तो कर
- ख़ुदा करे
- ख़ुदा कैसी ये दी क़िस्मत हाय!
- ख़ुदग़र्ज़ी
- ख़ुशनुमा ये चमन हो दुआ कीजिए
- ख़ुशफहमियाँ
- ख़ुशियों भरा...
- ख़ुशी
- ख़ुश्बू पसीने की
- ख़ून नहीं था
- ख़ूबसूरत परिन्दे
- ख़ूबसूरत बेचैनी
- ख़ूबसूरती
- ख़ूबसूरती या ख़ूबसूरत सोच
- ख़ैरियत का ब्यौरा
- ख़्याली पुलाव
- ख़्यालों का समन्दर
- ख़्वाब
- ख़्वाब
- ख़्वाब मेरे
- ख़्वाबो मेरे ख़्वाबो
- ख़्वाहिश
- ख़्वाहिश
- ख़्वाहिशें
- ख़्वाहिशें (नवल किशोर)
ग ऊपर
- गंउआ
- गंगा
- गंगा में चाँद
- गंगा विलाप
- गंगाघाट पर पहलवानों को देख कर-1
- गंदी बस्ती की अधेड़ औरतें
- गगरी का अंतस
- गङ्गे मइया
- गजानन महाराज
- गड़ा मुर्दा
- गणतंत्र
- गणतंत्र
- गणतंत्र
- गणतंत्र की दरकार है
- गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र दिवस
- गणतंत्र/ बसन्त कविता
- गति
- गति से प्रगति
- गमन और ठहराव
- गर ज़िद बाँध ले
- गरीबों का नया साल
- गर्माहट
- गर्मियों की छुट्टी
- गर्मी
- गर्मी की चुड़ैल
- गर्मी देवता की गर्मी
- गर्मी बेशुमार . . .
- गर्व से भारतीय कहलाओ
- गर्वोन्मत्त
- गवाह
- गहन तम
- गहराई में उतरे बिना
- ग़लती (सुशांत सुप्रिय)
- गाँठ में बाँध लाई थोड़ी सी कविता
- गाँधी को हक़ दे दो
- गाँधी जी
- गाँधी धीरे धीरे मर रहे हैं
- गाँधी मरा नहीं करते हैं
- गाँधीगिरी
- गाँधीजी और लाल बहादुर
- गाँव
- गाँव - पहले वाली बात
- गाँव और शहर
- गाँव का मेरा दालान
- गाँव की भोर
- गाँव के पुराने दिन
- गाँव के बाद
- गाँव को छोड़कर
- गाँव गाँव में
- गाँव तुम्हें लिख दूँ चिट्ठी
- गाँव में एक अलग दुनिया
- गाँव हमारा
- गांधारी का मौन रहना
- गागर भर सागर
- गाज
- गाजर-घास उग आई है, केसर के बाग़ानों में
- गाडरवारा गौरव गान
- गाता हूँ पीड़ा को
- गाते-बजाते हथियार
- गाथा वीर अभिमन्यु की
- गाय
- गायेगी कोयल
- गिद्ध
- गिरगिट ज्यों, बदल रहा है आदमी!
- गिरता पत्थर
- गिराया भी तूने उठाया भी तूने
- गीत उसका गाता हूँ
- गीत क्या मैं गा सकूँगा
- गीत खुशी के
- गीत ढूँढें उस अधर को...
- गीत तो हमने लिखे हैं हाशिये पर ज़िन्दगी के
- गीत बहुत बन जाएँगे
- गीत मैं गढ़ता रहा हूँ
- गीतकार
- गीता-संदर्भ
- गीली मिट्टी
- गुंजाइशों का दूसरा नाम
- गुटर गूँ-गुटर गूँ
- गुड मॉर्निंग सूरज!
- गुनगुनी धूप अब मन को भाने लगी
- गुनगुनी धूप
- गुनाह
- गुनाह
- गुनाह मोहब्बत का
- गुमनामी
- गुमराह तो वो है
- गुमशुदा हँसी
- गुरु के नाम
- गुरु प्यारा
- गुरुदक्षिणा
- गुलदस्ता
- गुलमोहर
- गुलमोहर की बात
- गुलशन
- गुलाब
- गुलाबी ठंड
- गुलाम देश का मजदूर गीत
- गुहार
- गुहार दिल की
- गुज़रते पल-छिन
- गुड़िया
- गुड़िया हूँ मैं
- गुढ़ी
- गूँज
- गृहणी
- गेहूँ
- गेहूँ और मैं
- गेहूँ का जीवन मूल्य
- गैया
- गोकुल में सखा संग
- गोधूलि बेला
- गोबर की छाप
- गोल
- गोल गोल गोलगप्पे
- गोवर्धन
- गौ पालकों से
- गौरैया लौट आयेगी
- ग्रहण में 'शरतचंद्र'
- ग़म एक गम है जो...
- ग़रीब आदमी हूँ
- ग़रीब की बेटी
- ग़रीब के सपने
- ग़रीब को क्या मिला
- ग़रीब वंचित का आनंद
- ग़रीब सोचता है
- ग़रीबी
- ग़रीबी में
- ग़लतियाँ
- ग़लती (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- ग़लतफ़हमी
घ ऊपर
- घन का आँचल
- घर
- घर
- घर
- घर
- घर (डॉ. कनिका वर्मा)
- घर (डॉ. सारिका कालरा)
- घर का नक़्शा
- घर को ही पराया मान लिया
- घर लौटते हुए
- घर है तुम्हारा
- घरों में आ धमका अमरीका
- घर… मेरा घर
- घाट की परिभाषा
- घाटी में धूप
- घास के फूल
- घिरनी
- घी दही संग खिचड़ी खाए
- घी रोटी!
- घुँघरू
- घुटन
- घुटन
- घुटन
- घुप्प अँधेरा
- घूँघट खोलती हूँ मैं
- घूर्णन
- घृणा
- घृणा और प्रेम
- घृणा होती है
- घोंसला और घर
- घोंसले
- घोंसलों से उँचा गाँव
- घोर कलयुग नज़र आता है
- घड़ी और मैं
च ऊपर
- चंचल मन सँभाल कर, लक्ष्य लगा आकाश पर
- चंदा मामा दूर के
- चंद्रयान
- चक्र
- चक्र
- चक्रव्यूह
- चक्रव्यूह
- चढ़ता सूरज
- चन्द आँसू, चन्द हँसी की फुहारें
- चन्द्रग्रहण
- चपला चमके
- चरित्रहीन
- चल पार्टी करते हैं
- चल भूख प्यास की भी कहानी लिख दे
- चल रे जीवन विविध रूप में
- चल-चल चल-चल चल-चल चल
- चलते चलते जब थक जाऊँगा
- चलने दो समर भवानी....
- चली चंचला
- चली चली रे रेलगाड़ी
- चले जा रहे हैं.....
- चले वसंती बयार
- चलो आज फिर कुछ लिखते हैं
- चलो उठो बढ़ो
- चलो एक अभियान चलायें
- चलो कि हम एक दूसरे को भुला देते हैं
- चलो केशव
- चलो चलें अब बहुत हो गया है
- चलो चलें उस पार, प्रेयसी
- चलो ढूँढ़ें उस चिड़िया को
- चलो फिर से
- चलो बचपन जी कर आते हैं
- चलो मिलकर दीप जलायें
- चलो, गुम हो जाते हैं
- चलो, चलें अब शाम हो गई
- चलो, फिर से कुछ कहें
- चलो, लौट आवो
- चलो, हाथ पकड़कर साथी
- चलोगी! मेरे साथ तुम
- चहचाहटें
- चहुँ ओर
- चहुँ ओर शिखंडी बैठे हैं
- चाँद का जादू
- चाँद की व्यथा
- चाँद छुप गया
- चाँद जैसा प्रियतम
- चाँद पर तीन कवितायें
- चाँद, सूरज और तारे
- चाँद-चकोर
- चाँद...
- चाँदनी
- चाँदनी पीते हुए
- चाँदनी रात में कभी-कभी...
- चाणक्य जभी पूजित होंगे
- चाणक्य सा राजपूतों को मिला नहीं सलाहकार
- चातक सा मन
- चाबी
- चाय
- चाय
- चाय
- चाय और रिश्ते
- चाय का कप
- चाय के प्याले में तूफ़ान
- चार चाँद जीवन की होली में
- चार दृश्य
- चालीस की कगार पर
- चाह
- चाह
- चाहता हूँ रूस और यूक्रेन के बीच शान्ति लिखूँ
- चाहे कितने दीप जलाना
- चाहे जितना भी बदलें धर्म मज़हब बदलते नहीं हमारे पूर्वज
- चाहे नीम हो या आम
- चिंगारी
- चिंगारी
- चिंगारी से जला नहीं जो
- चिंतन ऐसा
- चिंतन से जीवन भर लो
- चिट्ठियाँ
- चिट्ठियों वाले दिन
- चिड़िया
- चिड़िया बोली
- चिड़ियों की भाषा
- चिता जलाना बन्द भी हो
- चित्र
- चित्र बनाना मेरा शौक़ है
- चित्रकार
- चिन्तन
- चिन्ता
- चिर-प्रणय
- चिर-प्रतीक्षा - नागेन्द्रदत्त वर्मा
- चिरयुवा
- चिराग़
- चिहुँकती चिट्ठी
- चिड़िया और मैं
- चिड़िया का वादा
- चीं, भैया चीं!
- चीखता मौन
- चीर हरण
- चीरहरण
- चीख़ें
- चीड़
- चुगली कहूँ
- चुनाव जब आते हैं
- चुनौती
- चुनौती से कम नहीं
- चुप
- चुप क्यूँ हो
- चुप क्यों हो
- चुप रहना
- चुप रहो
- चुप हूँ शान्त नहीं
- चुपके चुपके
- चुपके से
- चुपचाप देखते रहते हो
- चुप्पी
- चुभते हुए प्रश्न
- चुलबुली चिड़िया
- चूड़ियाँ
- चूल्हा
- चूल्हा, आग और भोजन
- चूहे
- चूड़ियाँ
- चेतन प्रवाह
- चेहरा
- चेहरा मेरा जला दिया
- चेहरे
- चेहरे तो बयां कर ही जाया करते हैं
- चैतन्य महाप्रभु और विष्णुप्रिया
- चोट
- चोर जेब
- चोरनी पक्की
- चौबीस घंटे में
- चौराहा
छ ऊपर
- छटपटाती स्त्री
- छतों पर शाम बिताना
- छत्रपति शिवाजी
- छद्माभिमान
- छब्बीस जनवरी
- छब्बीस जनवरी नया रंग लाई है
- छवि
- छवि खो गई जो
- छह फ़ुट की क़ब्र
- छाँव
- छाती शीतल होती है
- छाया की मुस्कान
- छाले
- छुटपन
- छूट गए सब
- छोटा सा गाँव हमारा
- छोटा कमरा शहर का
- छोटा सा सच
- छोटी छोटी बातें
- छोटी सी बात
- छोटी सी ज़िन्दगी
- छोटू
- छोड़ जाना होगा
- छोड़ देने के काम भी माँ आई
- छोरी की बात
- छ्ठवाँ तत्त्व
ज ऊपर
- जंगल
- जंगल का सागौन
- जंगलराज
- जग का पागलपन
- जग में है संन्यास वहीं
- जगदंबा स्तुति
- जगन्नाथ स्वामी
- जगमग करता दीप
- जगमग
- जगह की कमी
- जड़ें जमती नहीं...
- जन-जन के राम सबके राम
- जन-नायक
- जनतंत्र के प्रहरी
- जनता का दुख जनता के सर
- जनपथ पर साइकिल
- जन्म दे मुझे भी माँ
- जन्म पुनर्जन्म के बीच/कर्मफल भोगते अकेले हिन्दू
- जन्म लेते ही
- जन्म सफल हो जायेगा
- जन्मदिवस पर कामना
- जन्मभूमि पावन अपनी
- जन्माष्टमी पर्व है आया
- जब आँख खुली
- जब आँखों से आ रहा था प्यार
- जब आज तुम्हें जी भर देखा
- जब आप किसी समस्या में हो . . .
- जब किसी की बुराई
- जब कोई किसी को याद करता है
- जब कोई दल बदलता है
- जब जब आयेगा सावन
- जब तनाव आता है
- जब तू बूढ़ी हो जाएगी
- जब नियति परीक्षा लेती है
- जब प्रेम उपजता है
- जब भी बोल
- जब भी लौटना, मिल के जाना
- जब माँ काम पर जाती है
- जब ये सब सुनूँगा तो काँप जाऊँगा
- जब साँझ ढले तुम आती हो
- जब साँझ ढले पिय आ जाना
- जब से बुद्धि आई है
- जब से मैंने तुम्हें निहारा
- जब से सोशल मीडिया का दौर आया हो जाते बस इसमें गुम
- जब हम बच्चे थे
- जब-तब
- जमलो मडकम
- जमाव
- जय भीम
- जय महाकाली
- जय राम वीर
- जय श्री राम
- जय श्री राम
- जय श्री राम
- जय हनुमंत
- जयति महात्मा बुद्ध
- जल
- जल
- जल कहाँ से लाएँगे
- जल के कितने रूप
- जल जल दीप जलाए सारी रात
- जल-महिमा
- जलजले
- जलता देश
- जलता यूक्रेन-चहकते चैनल
- जलता रहे हिन्दी का दीप
- जलती हुई लौ
- जलधारा
- जलयान जल को चीरता जब चल पड़ा है
- जवाँ भिखारिन-सी
- जवानी और बुढ़ापा
- जहाँ दिल से चाह हो जाती है
- जहाँ प्रेम है वहीं जीवन है
- जहाँ रहना हमें अनमोल
- जहाँ सीता, वहीं राम
- जहुआ पेड़
- ज़ख़्मी कविता!
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी एक झूला है
- ज़िंदगी की रफ़्तार
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी की परीक्षा
- ज़िन्दगी के चार पाए
- जा भाई करोना
- जाग मनवा जाग
- जाग मुसाफ़िर, सवेरा हो रहा है....
- जागती वेश्याएँ
- जागी प्रकृति फिर एक बार . . .
- जागो
- जागो पलाश!
- जागो मत!
- जागो मतदाता अब जागो
- जात-पाँत खेल कैसा
- जात-पात
- जाते-जाते यह वर्ष
- जाते-जाते हे वर्ष बीस
- जादू की परी?
- जादूगर क़लम का
- जान लिया
- जानता हूँ कितना आज्ञाकारी है
- जानती हूँ मैं
- जानना
- जानवर और आदमी
- जाने क्यूँ
- जाने क्यूँ?
- जाने क्यों
- जाने क्यों (राजीव डोगरा ’विमल’)
- जाने क्यों मुझे देवता बनाते हैं?
- जाने क्यों??
- जाने जीवन किस ओर चला
- जाने वाले
- जाने समय कब बदलेगा
- जाड़ा
- जाड़े की है सुबह
- जिजीविषा
- जिजीविषा
- जिजीविषा
- जिजीविषा
- जिज्ञासा
- जिज्ञासा
- जितनी हो चादर
- जिन के सिर पर होता कोहिनूर चैन से होते वही दूर
- जिये हुए प्यार में
- जियो और जीने दो
- जिल्द
- जिस दिशा में नफ़रत थी
- जिसका हेतु है मानव...
- जिसको जितनी है ज़रूरत ईश्वर ने उसको उतना ही प्रदान किया
- जिसने साधा वो जीवन जिया है
- जिसे तुम कविता कहते हो
- जिस्म
- जिह्वा
- जी चाहता है
- जी लो ज़िंदगी
- जी सही फ़रमाया आपने
- जी, पिता जी
- जीत
- जीना इसी का नाम है
- जीना सीखो
- जीने की राह
- जीवंत जीवन
- जीवंत पंथ
- जीवंत प्रेम
- जीवन
- जीवन
- जीवन
- जीवन (आलोक कौशिक)
- जीवन : लड़कियों का
- जीवन अपना नहीं
- जीवन इधर भी है
- जीवन उम्मीदों का
- जीवन एक प्रकाश पुंज है
- जीवन और संघर्ष
- जीवन और साहित्य
- जीवन का आधार है नारी
- जीवन का उत्तरार्ध
- जीवन का उद्देश्य
- जीवन का गणित
- जीवन का यथार्थ
- जीवन का यथार्थ (नवल किशोर)
- जीवन का शून्य
- जीवन की गोधूली में कौतूहल से तुम आए
- जीवन की पहेली
- जीवन की बाधाएँ
- जीवन की शाम
- जीवन की साँझ
- जीवन की साँझ
- जीवन कुरुक्षेत्र
- जीवन के तीस बसंत के बाद
- जीवन के पल
- जीवन के ये पल
- जीवन के वसंत
- जीवन क्या है?
- जीवन क्या है?
- जीवन गणना
- जीवन चक्र के अभिमन्यु
- जीवन तिमिर में हो उदय क्यों मौन है
- जीवन तेरा मूल्य जगत में कितना और चुकाना है
- जीवन पाठ
- जीवन प्रवाह
- जीवन बड़ा रचनाकार है
- जीवन बसेरा
- जीवन मूल्यों में विप्लव हो
- जीवन में
- जीवन में प्रेम संजीवन है
- जीवन में बसंत
- जीवन मेरा वसन्त
- जीवन मेरा सजीव है प्रिये
- जीवन रूपी चाय!
- जीवन संध्या की बेला है
- जीवन सरल था
- जीवन-नदिया
- जीवन-नौका खेते रहना
- जीवन-पथ
- जीवन-मृत्यु
- जीवन-यात्रा का पाथेय
- जीवन (डॉ. कविता भट्ट)
- जीवनविद्या
- जीवन्त
- जीवित तुम!
- जीवित रखना है सपनों को
- जुगनू
- जुगनू की दस्तक
- जुगनू जुगनू मिला मिलाकर बरगद पे चमकाता कौन
- जुदाई
- जुदाई (रंजना भाटिया)
- जूते
- जूते
- जेठ की दोपहर
- जेठ मास की गर्माहट
- जैसे
- जैसे . . .जैसे तुम
- जो कम लोग देख पाते हैं
- जो कहता था
- जो गीत तुम्हारे अन्दर है
- जो चाहिये
- जो छुपा है इस दिल में
- जो झुकाता स्वयं आसमान है!
- जो तुम आ जाते
- जो पीछे छूट गया है
- जो बन जाऊँ कभी जादूगर
- जो बीत गए वो दिन भी अच्छे थे
- जो भाषा थी तक्षशिला नालंदा विक्रमशिला की वो भाषा थी पूरे देश की
- जो भी हो
- जो भूलती ही नहीं
- जो सबसे ज़रूरी है
- जो हम कहते नहीं
- ज्ञान की डोरी
- ज्ञान जो अमृत है
- ज्ञान है जैविक गुण स्वभाव जीव जंतुओं का
- ज्येष्ठ की गर्मी
- ज्योति
- ज्योतिपात
- ज्वालामुखी
- ज़ंजीर से बाहर
- ज़ख्म लहू और लाशें, वो क़त्लेआम का नज़ारा
- ज़माना
- ज़माना मुझको आँखों पर
- ज़रा उत्साह भर...
- ज़रा रुक
- ज़रूरी नहीं
- ज़रूरी है
- ज़रूरी है आदमी में थोड़ा जानवर और पक्षी बचे रहना
- ज़हर
- ज़िंदंगी के रंग बेशुमार
- ज़िंदगानी का सार यही है
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी
- ज़िंदगी (जयदेव टोकसिया)
- ज़िंदगी (राजनन्दन सिंह)
- ज़िंदगी आपकी अदालत
- ज़िंदगी एक किताब है
- ज़िंदगी का आँचल
- ज़िंदगी के किसी एक मोड़ पर
- ज़िंदगी के पड़ाव ऐसे भी
- ज़िंदगी के रंग
- ज़िंदगी के रूप
- ज़िंदगी ने जो दिया
- ज़िंदगी बिकती है
- ज़िंदगी यही तो है
- ज़िंदगी से दोस्ती कर लीजिए
- ज़िंदगी! वही है न जो...
- ज़िंदगी
- ज़िंदादिल इंसान
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी
- ज़िन्दगी (अनुराधा सिंह)
- ज़िन्दगी एक पतंग
- ज़िन्दगी एक प्यारा सफ़र
- ज़िन्दगी का दाँव
- ज़िन्दगी का सच
- ज़िन्दगी का स्वेटर
- ज़िन्दगी का स्वेटर
- ज़िन्दगी का फ़साना
- ज़िन्दगी की खिड़की से
- ज़िन्दगी की दास्तान
- ज़िन्दगी कुछ मेरी थी
- ज़िन्दगी के ख़्वाब
- ज़िन्दगी क्या . . .?
- ज़िन्दगी थकी न थी....
- ज़िन्दगी पहलू नहीं पहेली है
- ज़िन्दगी बहुत अच्छी थी
- ज़िन्दगी सोने न देगी
- ज़िन्दगी है रुदन
- ज़िन्दगी-ज़िन्दगी
- ज़िन्दा रहूँगा
- ज़िम्मेदारी
- ज़्यादा गुमान ठीक नहीं
झ ऊपर
ट ऊपर
ठ ऊपर
ड ऊपर
- डर
- डर
- डर (सत्येन्द्र कुमार मिश्र ’शरत’)
- डर का साया
- डर के आगे जीत
- डर रह गया
- डर लगता है
- डर लगता है
- डरावनी बात
- डाऊनिंग स्ट्रीट के दस नम्बरी ने....
- डाकिया
- डायरी के पन्ने
- डायल मी *माधव*
- डाल
- डिजिटल परिवार
- डिब्बे में ज़िन्दगी
- डुबोया मुझको होने ने मैं न होता तो क्या होता!
- डूबता अंतिम सितारा
- डूबती नाव
- डेंगू
- डोली चली जब
ढ ऊपर
त ऊपर
- तंग आकर उनकी बेवफाई से
- तंज़ और कामयाबी
- तंत्र का जन
- तकलीफ़
- तक़दीर की ताली
- तख़त
- तट और तरंगें
- तड़पन
- तड़ित रश्मियाँ
- तथाकथित बुद्धिमान प्राणी
- तथागत
- तन्हा नहीं कटते
- तन्हाई
- तन्हाई
- तन्हाई (मांडवी सिंह)
- तन्हाई (समीर लाल ’समीर)
- तपिश
- तब और अब
- तब की बात
- तब तुम क्यों चल देती हो
- तब तुमने कविता लिखी बाबूजी
- तब बहुत याद आते हैं पिता
- तबसे आदमी भी पेड़़ होना चाहता है!
- तय है
- तरक्की
- तरक्क़ी समय ने पायी है
- तराशी हुई ज़िंदगी
- तरु बिन सूनी धरा
- तरुण
- तरुणाई
- तर्पण
- तलब
- तलवार थाम बादल आया
- तलाश
- तलाश अपनत्व की
- तलाश आत्मा की
- तलाश जारी है
- तलाश...
- तलाक़
- तवायफ़
- तवायफ़ें
- तस्वीरें
- तहरीर
- तांडव
- ताकि ख़त्म हो सके . . .
- ताने
- तारे
- ताल ठोंकता अमलतास
- तालाब का पानी
- तालाबन्दी - 1
- तालाबन्दी - 2
- तालाबन्दी - 3
- तालाबन्दी - 4
- तालियाँ नहीं बजीं तो क्या . . .?
- ताले में बंद दुनिया
- ताशकंद
- ताशकंद शहर
- ताज़ा हवा
- तिक्त मन
- तिज्जो मौसी
- तितलियाँ
- तिमिर
- तिरंगा (त्रिलोक सिंह ठकुरेला)
- तिरंगा फिर लहराना है
- तिरंगा
- तिरंगी कफ़न
- तिलिस्म
- तिस्ता की पवित्र धारा
- तीन भाइयों का दुखड़ा
- तीन मौसमी कविताएँ
- तीन लाख पचास हज़ार
- तीन लोग
- तीर-कमान
- तीर्थराज प्रयाग
- तुझसे इश्क़ इज़हार करेंगे
- तुझे अकेला ही चलना है
- तुम
- तुम
- तुम (इन्दिरा वर्मा)
- तुम (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- तुम (भूपेन्द्र ’भावुक’
- तुम . . .
- तुम अंगीकार हो मैं अस्वीकार हूँ राम
- तुम अतीत नहीं हो माँ!
- तुम अनीति से नहीं डरे थे
- तुम आ गयी हो
- तुम आ जाओ
- तुम आए
- तुम आये (शाश्वती पंडा)
- तुम और मैं
- तुम और मैं
- तुम और मैं
- तुम कभी नहीं कहते तुलसी कबीर रैदास का डीएनए एक था
- तुम कहते हो
- तुम केवल
- तुम कौन हो?
- तुम क्या जानो?
- तुम चाँद हो
- तुम चित्रकार
- तुम जानते हो?
- तुम जो हो
- तुम जो हो ऐसी . . .
- तुम तो मेरे घर हो कान्हा
- तुम थोड़ा सँभलकर चलो, मैं तो अमर हूँ
- तुम नहीं आए
- तुम प्रेम कैसे करोगे?
- तुम फूलों सी हँसती रहो
- तुम बिन अस्तित्व में
- तुम बिन कौन उबारे
- तुम बेटा नहीं, बेटी ही हो
- तुम बेहिसाब कहाँ भागे जा रहे हो प्रकाश मनु
- तुम मत आना बस्तर
- तुम मिले तो यूँ लगा
- तुम मुझ में
- तुम मुझे पहचान लेना
- तुम में हम
- तुम मेरा प्राण दीपक मैं तेरा आशियाना
- तुम मेरी कविता
- तुम मेरे पास हो...
- तुम मेरे लिए क्या हो.
- तुम याद आते हो
- तुम योद्धा हो—फिर से जन्म लो
- तुम राम हो और रावण भी
- तुम लोगों से डरती हो
- तुम वापस कब आओगे?
- तुम सत्य में सुख लेते हो
- तुम सीधे हो सच्चे हो मगर उनकी नज़र में अच्छे नहीं हो
- तुम से ना हो पायेगा
- तुम से ही मैं
- तुम ही तो हो
- तुम हो
- तुम हो
- तुम होती
- तुम होते तो
- तुम होते हो . . .
- तुम हक़दार हो
- तुम ख़्वाब बुनों, मैं ख़्वाब बनूँ,
- तुम
- तुमको तन-मन सौंपा
- तुमने कोशिश की
- तुमसे बात करना
- तुमसे मिल कर ख़ुशी मिली है
- तुमसे मिली थी
- तुमसे मुलाक़ात...
- तुमसे है हौसला
- तुम्हारा असर है इस क़द्र
- तुम्हारा आना
- तुम्हारा एहसान
- तुम्हारा और मेरा प्यार
- तुम्हारा दुख मेरा दुख
- तुम्हारा पत्र
- तुम्हारा पावरहाउस
- तुम्हारा प्यार
- तुम्हारा प्यार रचती हूँ
- तुम्हारा मीठा चुम्बन
- तुम्हारा शीर्षक
- तुम्हारा संगीत
- तुम्हारा स्पर्श
- तुम्हारा ही ख़्याल
- तुम्हारा ख़त
- तुम्हारी आँखें
- तुम्हारी आँखों में
- तुम्हारी ईमानदारी
- तुम्हारी चले तो
- तुम्हारी तुलना
- तुम्हारी महक
- तुम्हारी मुस्कान
- तुम्हारी मुस्कान
- तुम्हारी रूह में बसा हूँ मैं
- तुम्हारी वह मुस्कान
- तुम्हारी वो आँखें
- तुम्हारी स्मृति
- तुम्हारे अवकाश का दिन
- तुम्हारे आने से
- तुम्हारे क़रीब होकर . . .
- तुम्हारे जाने के बाद
- तुम्हारे देश का मातम
- तुम्हारे प्यार से
- तुम्हारे फूल
- तुम्हारे बाद ना जाने कौन आएगा
- तुम्हारे लिए
- तुम्हारे लिए . . .
- तुम्हारे शून्य में!
- तुम्हारे संग
- तुम्हारे साथ
- तुम्हारे साथ
- तुम्हारे साथ, तुम्हारे बिन
- तुम्हारे हाथ
- तुम्हें जब भी देखा
- तुम्हें बचाएँगे हम
- तुम्हें भूलूँ भी तो कैसे मैं
- तुम्हें याद है
- तुषार
- तू
- तू कहे तो...
- तू कुछ तो बोल
- तू तन्हा नहीं
- तू ना झूलेगा झूलों में
- तू परियों की राजकुमारी है
- तू पीठ सीधी रख ओ लड़की!
- तू प्रहार कर
- तू बिखर गयी जीवनधारा
- तू मेरी कल्पना
- तू शंकर मेरा
- तूने तपस्या अपनी तरह की
- तूफ़ान के बाद
- तेरा घर या मेरा घर
- तेरा नाम
- तेरा प्रतिबिंब
- तेरा संविधान
- तेरा सानिध्य
- तेरा हर लाल सरदार बने
- तेरी आहट
- तेरी अदाएँ
- तेरी एक याद बची है
- तेरी तलाश में
- तेरी तस्वीर
- तेरी बातों में
- तेरी मर्ज़ी
- तेरी याद आई
- तेरी याद की चिंगारी
- तेरी याद नहीं आई!
- तेरी यादों का उजाला
- तेरी यादों का कोहरा
- तेरी यादों की चिट्ठियाँ
- तेरी साँसों की महक
- तेरी ज़रूरत
- तेरे चरणों में शीश झुकाता हूँ माँ
- तेरे जाने के बाद
- तेरे दिल को अपना आशियाना बनाना है
- तेरे बरसाती वादे
- तेरे बिना मेरी ज़िन्दगी
- तेरे भीतर मेरे भीतर
- तेरे रूप अनेक हैं मैया
- तेरे शरमाने से, खुशी हुआ करती है
- तेज़ाब प्रेम
- तो जगा देना
- तोड़ा क्यों जाए?
- तोहफ़ा
- त्राहि-त्राहि मची हो
- त्रिशंकु
- त्रिशंकु सी
- तक़दीर
- तज़ुर्बे का पुल
थ ऊपर
द ऊपर
- द ग्रेट कंजकंशन
- दंगल
- दंगल
- दंभी
- दंश
- दंश जाति-भेद का
- दक्षिण दिशा से उठे बादल
- दमित इच्छा
- दया करो माँ
- दया का भाव
- दया धर्म का मूल है दया ही जीवन का सहारा
- दरवाज़े पर लगी फूल की बेल
- दरिंदगी उस रात की
- दरिया है समन्दर नहीं
- दर्द
- दर्द
- दर्द
- दर्द का अहसास
- दर्द का पैमाना
- दर्द का लम्हा
- दर्द की किताब
- दर्द की टकराहट
- दर्द की दवा
- दर्द की सज़ा
- दर्द घुटन और औरत
- दर्द भले कितना ही सहना
- दर्द में बसा सुकून
- दर्द से प्यार
- दर्द
- दर्प
- दर्पण
- दर्पण
- दर्पण
- दर्पण
- दर्पण
- दर्पण
- दर्पण
- दर्पण (आदित्य तोमर)
- दरख़्तों के साये तले
- दलित प्रेम
- दवा
- दशमेश पिता गुरु गोविंद सिंह सोढ़ी की गाथा
- दशहरे का त्योहार
- दशहरे का मेला
- दस रुपए का एक भुट्टा
- दस सद्गुरु के गुरुपंथ से अच्छा कोई पंथ नहीं
- दस्तक
- दस्तक (डॉ. दयाराम)
- दस्तावेज़ समय का
- दस्तावेज़ क़ीमती है
- दस्तूर
- दहेज़ एक कुप्रथा
- दहेज़ की कुरीति
- दहेज़ एक कुप्रथा और सामाजिक नासूर
- दहेज़—सामाजिक बुराई
- दादा का स्नान
- दादी माँ की हर सुबह
- दादी माँ के क़िस्से
- दान देकर भी प्रह्लाद पौत्र बली दानव और कर्ण सूतपुत्र ही रह गए
- दानवगुरु भार्गव शुक्राचार्य कन्या; यदुकुलमाता देवयानी
- दानें
- दामन
- दायरा
- दाल नहीं गलने दूँगा
- दास . . .
- दाग़ के साथ भी चमकना बड़ा अच्छा लगता है
- दिखता न हो जब किनारा कोई
- दिन
- दिन 365 बीत गए
- दिन उजाला
- दिन और रात
- दिन का गाँव
- दिन काट रहा है
- दिन की सूनी पुरवाइयाँ
- दिन जवानी के हैं चार ये
- दिनचर्या
- दिनचर्या
- दिया (अमरेश सिंह भदौरिया)
- दिये की पहचान
- दिल का दर्द
- दिल की अभिलाषा
- दिल की गहराई
- दिल की बात
- दिल चाहता है
- दिल जमा रहे; महफ़िल जमी रहे
- दिल ढूँढ़ता है
- दिल तू क्यूँ रोता है
- दिल तो चाहता है कि...
- दिल दरिया भी
- दिल भूल भी जाए तुम्हें
- दिल मिलाकर देखिए
- दिलासा
- दिल्ली
- दिल्ली से उठते हैं बादल और हवा में बह जाते हैं
- दिवाली
- दिवाली का आशय
- दिवाली मनाना है
- दिवास्वप्न
- दिव्य दृष्टि
- दिव्य मूर्ति
- दिशा
- दिशा अबोध है
- दिशाहीन
- दिसंबर
- दीनबंधु सर छोटू राम-रहबर-ए-आज़म
- दीप
- दीप
- दीप जलाएँ
- दीप जलाने हों तो
- दीप तुम यूँ ही जलते जाना
- दीप-संदेश
- दीप
- दीपक
- दीपक माटी का
- दीपक है मेरा प्यार
- दीपमाला
- दीपाली
- दीपावली की धूम
- दीपावली की सफ़ाई
- दीपावली के अवसर पर
- दीपावली – हर देहरी, हर द्वार
- दीपोत्सव
- दीपोत्सव
- दीप्ति ही तुम्हारी सौन्दर्यता है
- दीमक
- दीमक लगे रिश्ते
- दीया और हवा
- दीया स्नेह बाती
- दीया हूँ
- दीये की पाती
- दीये की लौ पर
- दीर्घतपा
- दीवाना
- दीवार
- दीवार
- दीवारें
- दीवारें
- दीवारों में क़ैद दर्द
- दीवाली
- दीवाली
- दीवाली
- दु:ख
- दु:ख का कारण
- दु:खानुभव
- दुःख
- दुःख
- दुःख तो ज़रिया है
- दुःख बुनना चाहिए . . .
- दुआ
- दुआ
- दुख का स्वाद
- दुख की गाँठ खुली
- दुख की यात्रा
- दुख क्या होता है!
- दुख तो बहुत पास खड़ा है
- दुख ने अपनी चादर तान दी है माँ
- दुखियारी नदी
- दुत्कार
- दुनिया
- दुनिया
- दुनिया
- दुनिया बदल गई
- दुनिया बहुत आगे जा चुकी है...
- दुनिया से जाते समय
- दुनिया है तलवार दुधारी
- दुनिया-भर के बच्चे, माँ और भाषाएँ
- दुनियादारी
- दुनियादारी की बात
- दुर्गा प्रतिमा नहीं प्रतीक है नारी का
- दुल्हन
- दुश्मन
- दुष्ट करोना तुझे तो मरना होगा
- दूध सी मेरी बातें
- दूर गये पिया-परदेसिया
- दूर चले आए अपनों से
- दूर जाना प्रिये!
- दूर, बहुत दूर
- दूरियाँ
- दूरियाँ
- दूरी के ये पल
- दूसरा अभिमन्यु . . .
- दृढ़ता की दौड़
- दृश्यम्
- देख
- देख अब सरकार में
- देख कौन आ रहा है
- देख ये पर्यावरण मर रहा है
- देखते। हारे कौन?
- देखा चाँद
- देखो इन लहरों को
- देखो सखी बसंत आया
- देखो होली आई
- देना होगा
- देव मुझमें रहते हैं
- देवनागरी भारती की सुनो
- देवी
- देवी माँ
- देवी माँ तुम आ जाना
- देश : दस तेवरियाँ
- देश और लकड़बग्घे
- देश का दर्द
- देश की पुकार
- देश की महिला शक्ति
- देश की याद
- देश की हालत
- देश बदल रहा है
- देश भक्तों को नमन
- देश मेरा बढ़ रहा
- देशभक्त कौन?
- देसी सुगंध
- देह और आत्मा
- देह से लिपटे दुःख
- दो अतियों के मध्य संतुलन
- दो अनजाने
- दो जून की रोटी
- दो जून की रोटी
- दो देह
- दो बात प्रेम की
- दो बातें जो तुमसे कहीं थीं
- दो शब्द
- दो क़दम
- दो क़दम भागीदारी के
- दोगला व्यवहार
- दोपहरी जाड़े वाली
- दोराहे पर जीता मन
- दोषी
- दोस्त, शब्दों के अन्दर हो!
- दोस्त?
- दोस्ती
- दोस्ती
- दोस्ती (अमित डोगरा)
- दोस्ती का रंग
- दोस्ती
- दोहरा जीवन जीते हैं हम
- दोहराव
- दौर
- दौड़
- द्वंद्व
- द्वंद्व
- द्वापर-प्रसंग
- द्वारिका में बस जाओ
- द्वितीय सेमेस्टर
ध ऊपर
- धड़कनों पर धड़कनें
- धन के संग सम्मान बँटेगा
- धन लक्ष्मी
- धनतेरस नरकचतुर्दशी दीवाली गोवर्द्धन भैयादूज छठ मैया व्रत का उत्स
- धनिया की ख़ुश्बू
- धनुष गगन में टाँग दिया
- धन्यवाद-ज्ञापन
- धरती (नवल पाल प्रभाकर)
- धरती उगल रही है आग
- धरती कहे पुकार के
- धरती की आस
- धरती की पुकार
- धरती की व्यथा
- धरती के लिए
- धरती जल रही है
- धरती रोती होगी
- धरती! अंबर चूम रही है
- धरनी धर्म निभाना
- धरा के निश्वासों में न ढूँढ़ो गगन को
- धरित्री
- धर्म युद्ध था पर धर्म कहाँ था?
- धर्म
- धागा
- धागों में लिपटी छवि
- धान के खेत में; खड़ा बिजूका
- धार
- धारा न० 302
- धार्मिक भाइयों की मुस्लिम बहन
- धीर धरो मन
- धीरज
- धुँध
- धुँध में क़यामत
- धुँध, कुहासा, सर्द हवाएँ, भीषण चीला हो जाता है
- धुँधला मनस्मृतियों में
- धुआँ
- धुआँ
- धुरी
- धूप और बादलों से
- धूप और बारिश
- धूप और स्त्री
- धूप का क़हर
- धूप गुनगुनी
- धूप छाँव एक प्रेम कहानी . . .
- धूप रात माटी
- धूप-ताप
- धूल भरी परत
- धेनु की करुण पुकार
- धोखा
- धड़कन-धड़कन साँसें महकें
न ऊपर
- न घबराना
- न जाने क्या होगा
- न जाने क्यूँ
- न जाने क्यूँ?
- न जाने क्यों
- नई नवेली प्रेमिका
- नई मोहब्बत
- नई सदी के लोग
- नई सुबह
- नई हवा
- नए वर्ष की बधाई
- नए वर्ष में
- नए वर्ष में प्रवेश करो
- नए समीकरण
- नए साल
- नए साल का सूर्योदय, ख़ुशियों के उजाले हों
- नए साल की शुभकामनाएँ
- नए साल की सबको शुभ मंगल बधाई
- नए साल को
- नए साल में क्या दूँ
- नए साल में
- नए साल से कह दो कि
- नगर
- नगर के अरण्य में
- नगर से दूर एकांत में
- नगाड़े सत्य के बजे
- नज़रिया
- नदिया का ख़त सागर के नाम
- नदियाँ
- नदियाँ भी क्रांति करती हैं
- नदी
- नदी
- नदी और नारी
- नदी और पहाड़
- नदी का कुनबा
- नदी का दुःख
- नदी का होना
- नदी की कराह
- नदी की लहरें
- नदी के पत्थर
- नदी के पार जाना है
- नदी जब चीरकर छाती पहाड़ों की निकलती है
- नदी तट
- नदी तब अधिक सुन्दर थी
- नदी में हैं
- नदी सदा बहती रही
- नदी होने से
- नदी: तीन कविताएँ
- नन्हे राजकुमार
- नम सा मन
- नम हो चुकी हैं आँखें
- नमक दिलों में
- नमन करता हूँ
- नमन करें
- नमन प्रार्थना
- नमस्कार हम बिहारी हैं
- नमामि गंगे
- नमी
- नयन बावरे गए आज भर
- नयन से जो बह रहा . . .
- नयन से नयन जोड़ते क्यों नहीं हो?
- नयनों से बात
- नया उत्कर्ष
- नया पुराना
- नया रिश्ता
- नया वर्ष
- नया वर्ष नयी जागृति
- नया साल
- नया साल (अमिताभ वर्मा)
- नया साल (निर्मल सिद्धू)
- नया सफ़र
- नया हिंदुस्तान
- नयी ऋतु है आई
- नयी भोर
- नयी मोहब्बत
- नये जगत की नारी
- नये पलों की तलाश करो
- नये वर्ष की मधुर बधाई
- नये वर्ष कुछ ऐसे आना
- नये वर्ष को आने दो
- नर संहार
- नरम ख़ामोशी
- नरोदा पाटिया : गुजरात, 2002
- नर्तकी
- नर्मदा मैय्या तू होले होले बहना
- नव अभिनन्दन
- नव आशा की धरती
- नव आह्वान
- नव इतिहास
- नव निर्माण
- नव निर्माण
- नव निर्माण
- नव वर्ष
- नव वर्ष
- नव वर्ष
- नव वर्ष
- नव वर्ष
- नव वर्ष (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- नव वर्ष आ रहा है
- नव वर्ष आया है द्वार
- नव वर्ष का अभिनंदन
- नव वर्ष का आगमन
- नव वर्ष का इंतज़ार
- नव वर्ष की मंगल बेला पर
- नव वर्ष की शुभ घड़ी आई
- नव वर्ष के संकल्प–रंग
- नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
- नव वर्ष से आशाएँ
- नव वर्ष स्वागतम् (2015)
- नव संवत्सर
- नव संवत्सर
- नव संवत्सर
- नव समय का संवाद
- नव सृष्टि आधार
- नव-संवत्सर
- नवदुर्गा
- नवयुग का गीत
- नवरात्रि
- नवल वर्ष
- नवल वर्ष के आँगन पर
- नवल सृजन
- नववर्ष का नया संदेशा
- नववर्ष मंगल भावना
- नवाचार अपनाना होगा
- नवीकरण
- नशा
- नशा एक अभिशाप
- नश्वरता
- नसीब
- नसीब का लिखा
- नसों में जब बहती है
- नहीं आया कोई
- नहीं छुपाऊँगा
- नहीं होता
- नहीं होती
- ना जाने कब सुबह हो गयी?
- ना जाने क्यूँ?
- ना सोचा था
- नाग
- नागफनियों के महबूब
- नागफनी
- नाच
- नाचे बिजली गाते घन
- नाटक अभी ज़ारी है
- नाटक था क्या?
- नादान उम्र के बच्चे समझते नहीं माँ पिता की भाषा
- नादान जीवन
- नापाक दर्द
- नाभिकुंड
- नाम
- नायाब अहसास
- नारियों के लिए रूढ़ि परम्पराएँ पुरुष से अलग क्यों होतीं?
- नारी
- नारी
- नारी
- नारी
- नारी - पुरुष
- नारी क्या है?
- नारी तुम वामांगी क़दम क़दम की सहचरी नर की
- नारी तुम सबसे प्रेम करती मगर अपने रूप से हार जाती हो
- नारी तेरे कितने रूप
- नारी निर्मात्री शक्ति है सृष्टि की
- नारी महिमा
- नारी मैं: तू नारायणी
- नारी शक्ति
- नारी संघर्ष
- नारी से नारी का सम्बन्ध: एक सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य
- नारी हूँ
- नारी है सृजनहारी
- नारी (राजनन्दन सिंह)
- नारीत्व - एक गाली
- नासूर
- निःसंदेह अजेय हो तुम
- निःसंदेह पवित्र हो, तुम मेरे मित्र हो
- निकृष्टता
- निज सन्नाटा
- निजत्व
- निजत्व की ओर
- निपटारा
- निमंत्रण
- निमित्त
- नियंत्रण
- नियंत्रण नियति पर
- नियति
- नियमों की केंचुल
- निरन्तर
- निरन्तर
- निराशा
- निर्जीव!
- निर्णय
- निर्धन
- निर्मल, शीतल शिखर हमारे
- निर्वासित
- निवेदन
- निवेदन
- निशानी
- निश्चय
- निश्चय कर लें
- निश्छल प्रेम (सलिल सरोज)
- निषेध के व्याकरण
- नीम का वो पेड़
- नीर पीर
- नीलांबरी
- नीली छतरी वाली
- नीले आकाश में
- नूतन वर्ष
- नूतन वर्ष
- नूतन वर्ष
- नेक दिल
- नेता के दिमाग़ में
- नेताजी की चुनौती
- नेत्रहीन
- नेपथ्य
- नेल पालिश
- नेह कभी मत बिसराना
- नैन
- न्याय
- नज़रिया
- नज़रिया
- नज़रें
- नज़ारे
- नफ़रत
- नफ़रत (नरेश अग्रवाल)
- नफ़रत के सौदागर
- नफ़रतों के बीज ही बो दूँ
प ऊपर
- पंख खोले उड़ान तो
- पंख ही चुनते रहे
- पंचवटी के वन में हेमंत
- पंछियों से भरा द्वार
- पंछी अब तुम कब लौटोगे?
- पकने लगी फ़सल, रीझता किसान
- पगली
- पछतावा
- पटरियों पे दफ़न हुई आश
- पड़ोस में रहता है शहर
- पढ़ो लिखो आगे बढ़ो
- पण्यसुंदरी
- पतंग
- पतंग
- पतंग
- पतंग की उड़ान
- पतझड़ और बसंत
- पतझड़
- पतझड़ की वेदना
- पतझड़ के पत्ते
- पत्ता
- पत्ते पीले पड़ गए इसके
- पत्ते मुरझाये
- पत्ते से बिछे लोग
- पत्थर
- पत्थर का
- पत्थर के भगवान
- पत्थर बन जाओ
- पत्थर में विश्वास
- पत्थर होती अहल्या
- पत्नी
- पत्नी की मृत्यु के बाद
- पत्र
- पत्र
- पत्रकार हूँ परन्तु
- पथ (सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्’)
- पथ की उलझन
- पथ प्रदर्शक
- पथरीला वुजूद
- पथिक
- पथिक तम से न घबराओ
- पदचिह्न
- पदयात्री
- पदार्थ की चौथी अवस्था
- पद्म प्रतिमा
- पनहारी
- पन्द्रह अगस्त
- पन्द्रह अगस्त नया सफ़हा
- पर साथ तुम्हारा रहा प्रिये
- पर स्वयं ही समझ न पाया
- पर क़दम-क़दम पर गिना गया हूँ
- परख
- परछाई
- परछाई
- परछाई
- परजीवी
- परदा
- परदुख कातर
- परदेसिन धूप
- परदेसी सबेरा
- परम प्रतापी देश
- परमात्मा है कौन? परमात्मा नहीं है मौन!
- परवरिश का असर
- परवाह छोड़ दो
- परशुराम व सहस्त्रार्जुन: कथ्य, तथ्य, सत्य और मिथक
- पराक्रम की गाथा
- परायों के घर
- परिंदा कहेगा
- परिंदे
- परिंदे और पतंग
- परिक्रमा
- परिणति
- परिणाम
- परिणाम युद्ध के
- परितोषक-त्याग
- परित्यक्त
- परिधि–परिधि में घूमता हूँ मैं
- परिभाषाएँ
- परिभाषाएँ
- परिवर्तन
- परिवर्तन
- परिवर्तन
- परिवर्तन
- परिवर्तन
- परिवर्तन . . .
- परिवार
- परिवार
- परी लगे भैया को बहना
- परी
- परेशान मन
- परोपकार का मूल्य
- पर्ण विलगन
- पर्व पर आनंद मनाऊँ कैसे?
- पर्वत
- पर्वत की ज़ुबानी
- पल दो पल
- पल भर की तुम
- पलायन
- पलायन का जन्म
- पलाश के पुष्प
- पवन बसन्ती
- पशुता और मनुष्यता
- पहचान
- पहचान
- पहचान का संकट . . .
- पहर को पिघलना नहीं सिखाया तुमने
- पहली बरसात
- पहली बारिश
- पहली मुलाक़ात
- पहली मुलाक़ात सा...
- पहली मुहब्बत
- पहले
- पहले और अब
- पहले प्रिया थी . . .
- पहाड़
- पहाड़
- पहाड़ चढ़ने की शर्त
- पहाड़
- पहाड़
- पहाड़ और दुःख
- पहाड़ का दुःख
- पहाड़
- पहाड़िया
- पहाड़ी औरतें
- पहाड़ी नदी के बारे में
- पहिया
- पहेली
- पाँच बज गये
- पाँव मेरे मत बहकना!
- पाँवों में पहिए लगे
- पागल लड़की
- पागल, प्रेमी और कवि
- पाणि से छुआ
- पाती (कविता)
- पाती पिया की अपनी प्रिया को
- पादप शिशु
- पानी
- पानी
- पानी का रंग
- पानी की दीवार
- पानी की क़िल्लत
- पानी में मिल जाएँगे
- पाप ही पाप
- पाप, पुण्य
- पापा और शहर
- पापा की यादें
- पापा तुम बिन
- पापा, तुम बिन जीवन रीता है
- पापी
- पापी पेट का सवाल है
- पायल छनकाती बेटियाँ
- पारसनाथ और मैं
- पारिजात
- पारिजात की प्रतीक्षा
- पारी जीती कभी हारी
- पार्क की वह बेंच
- पार्टियाँ
- पावन नाम
- पावन पुण्य सलिला सरयू
- पावन राम चरित्र
- पावनखिंड
- पास कोई नहीं
- पाहुन
- पाहुन (दीपा जोशी)
- पिंजरे में बंद मानव
- पिता
- पिता
- पिता
- पिता
- पिता
- पिता
- पिता
- पिता
- पिता
- पिता (भगवत शरण श्रीवास्तव)
- पिता एक किताब
- पिता और पेड़
- पिता कभी मरते नहीं!
- पिता का पता
- पिता का वृहत हस्त
- पिता की अस्थियाँ
- पिता के अश्रु
- पिता के कुछ ख़त
- पिता के जाने के बाद
- पिता के हाथ की रेखाएँ
- पिता कैसे-कैसे
- पिता को मुखाग्नि
- पिता जी
- पिता दु:ख को समझते थे!
- पिता पर डॉ. आरती स्मित की कविताएँ
- पिता बिन कहे सब कहे, माँ कभी चुप ना रहे
- पिता या बरगद
- पिता याद आ जाते हैं
- पिता सम्मान है
- पिता सरीखे गाँव
- पिता हो तुम
- पिता होता है
- पिता होना
- पिताजी
- पिताजी आज भी पैसे बचाते हैं
- पिताजी की सूनी आँखें
- पितृ पक्ष में तर्पण
- पितृगण विशेष
- पिया मोरा
- पीएच.डी. डिग्री
- पीक
- पीठ पर बेटियांँ . . .
- पीठ पर हिमालय
- पीड़ा और दर्द
- पीड़ा क्या कूकती भी है?
- पीड़ा रे पीड़ा
- पीड़ा (डॉ. कविता भट्ट)
- पीढ़ियाँ
- पीपल का पेड़
- पीला काग़ज़
- पीला पत्ता
- पीड़ा
- पीड़ा
- पीड़ा (पाराशर गौड़)
- पीड़ा का उत्सव
- पीड़ा को नित सन्दर्भ नए मिलते हैं
- पीड़ा पर्व (सॉनेट 23)
- पीढ़ियाँ
- पीढ़ियों का संवाद पीढ़ियों से
- पुकार
- पुण्य भूमि . . . भारत वर्ष
- पुण्य सलिला माँ नर्मदे
- पुतली
- पुत्र के आराध्य
- पुत्र माँगती माँ
- पुनर्जन्म
- पुनर्जन्म
- पुन्न के काम आये हैं
- पुराना दोस्त
- पुराना वक़्त लौट आए तो अच्छा है
- पुराना साल–नया वर्ष
- पुरानी चिट्ठी
- पुराने दिन
- पुराने दोस्त
- पुराने साल का ग़म
- पुरुष
- पुरुष
- पुरुष
- पुरुष का रोना निषिद्ध है
- पुरुष से प्रश्न
- पुल
- पुष्प
- पूछो पथराई आँखों से
- पूजनीय हैं वृक्ष हमारे
- पूजा पद्धति के अनुसार मनुज-मनुज में भेद नहीं करना
- पूरण करती, नर को नारी
- पूरा जंगल रोता है
- पूरी पृथ्वी धुरी का परिमाप!
- पूरे चाँद की रात
- पूर्ण निमीलित नेत्रों के नाम
- पूर्णता का बोध
- पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥
- पूर्णिका
- पूर्वधारणाएँ
- पूर्वाभास
- पूर्वोत्तर भारत की गौरव गाथा और व्यथा कथा
- पृथ्वी
- पृथ्वी की अस्मिता
- पृथ्वी की पुकार
- पेंसिल
- पेट्रोल पंप
- पेड़
- पेड़ और आदमी
- पेड़ गाथा
- पेड़ हरा हो रहा है
- पेड़ (डॉ. शैलजा सक्सेना)
- पेड़ ..एक
- पेड़...दो
- पैमाना, दु:ख का
- पैर बहुत जलने लगे . . .
- पैर व चप्पलें
- पैरों की पूजा होती मगर मुख हाथ पेट पूज्य नहीं होते
- पैरों तले
- पैसा
- पैसे का ग्रुप तलाश भाई
- पैसों के लिए
- पोइटो
- पोटली (दीप्ति शर्मा)
- पोटली
- पोरस
- पौधों में रख आता कौन?
- प्यार
- प्यार
- प्यार
- प्यार
- प्यार
- प्यार (रंजना भाटिया)
- प्यार कब शान्ति बन गया!
- प्यार का एहसास
- प्यार का रंग
- प्यार किया है मैंने
- प्यार किया है मैंने
- प्यार की परिभाषा
- प्यार की परिभाषा
- प्यार की पोटली
- प्यार की राहों में
- प्यार के गीत गाते रहो
- प्यार को जो देख पाते
- प्यार क्या है?
- प्यार में
- प्यार मेरे द्वार आया
- प्यार ही अखंड है
- प्यार ही तो है
- प्यार ही प्रवाह है
- प्यारा बचपन
- प्यारी सासू माँ
- प्यास
- प्यास
- प्यासी धरती प्यासे लोग
- प्यासे को पानी
- प्यौर (Pure) हिंदी
- प्रकाश का समुद्र
- प्रकृति
- प्रकृति
- प्रकृति (विमल शुक्ला 'विमलेश')
- प्रकृति - रौद्र रूप
- प्रकृति की दीवाली
- प्रकृति की पुकार
- प्रकृति की सीख
- प्रकृति के नियम
- प्रकृति के विरुद्ध आचरण ही मृत्यु का कारण होता
- प्रकृति सुर में नहीं है
- प्रकृति से दूर
- प्रक्रिया
- प्रगति और प्रकृति
- प्रजा झुलसती है
- प्रजातंत्र में
- प्रजातन्त्र जारी है
- प्रणम्य काशी
- प्रणय का विरह
- प्रणय-निवेदन
- प्रणय-पर्व
- प्रणय-मोक्ष
- प्रणाम बारम्बार
- प्रणाम! हे शक्ति स्वरूपिणी! सृष्टि स्वयं में लिए खड़ी हो
- प्रताड़ना
- प्रतिज्ञा-पत्र की खोज
- प्रतिदान
- प्रतिबंध
- प्रतिरोध
- प्रतिशोध की अग्निपरीक्षा
- प्रतीक्षा
- प्रतीक्षा
- प्रतीक्षा
- प्रतीक्षा हिन्दी नववर्ष की
- प्रथम पहचान
- प्रथम सेमेस्टर
- प्रथम स्थान
- प्रदूषण और इंसान
- प्रदूषण की लहर हरदम
- प्रबल झंझावात है . . .
- प्रभात की सविता
- प्रभात हुई
- प्रभु
- प्रभु कृपा की यह निशानी है
- प्रभु गजानन से विनती
- प्रभु प्रार्थना
- प्रयाग
- प्रयास
- प्रलय
- प्रलय का तांडव
- प्रवाद
- प्रवास
- प्रवासी
- प्रवासी पक्षी
- प्रवासी पसीना
- प्रवासी वेदना
- प्रवासी वेदना: नशे का गुलाम मैं
- प्रवाह
- प्रश्न
- प्रश्न
- प्रश्न (आशा बर्मन)
- प्रश्न और प्रश्न
- प्रश्न
- प्रश्न
- प्रश्न
- प्रश्नोत्तर की परंपरा से बनी हमारी संस्कृति
- प्रसन्न
- प्रस्थान
- प्राइवेट टीचर की दास्तां-१
- प्राकृतिक आपदाएँ
- प्राचीन प्रतीक्षा
- प्रायश्चित की वेला
- प्रार्थना
- प्रार्थना
- प्रार्थना
- प्रार्थना
- प्रार्थना
- प्रार्थना आए सद्बुद्धि
- प्रार्थना के स्वर
- प्रिय
- प्रिय
- प्रिय (नीरज सक्सेना)
- प्रिय के प्रति
- प्रिय तुम
- प्रिय तुम आना हम खेलेंगे होली
- प्रिय नींद नहीं क्यों आती है
- प्रिय भाई! प्रिय आलोचक!
- प्रिय मैं अंजन नैन लगाऊँ
- प्रियजनो
- प्रियतम
- प्रियतम
- प्रियतम और भोजन
- प्रियतम
- प्रिये चारुशीले
- प्रिये तुम पूरी कशिश हो
- प्रिये! तुम बिन
- प्रीत जहाँ की रीत
- प्रीति का मधुमास
- प्रीति की मधु यामिनी
- प्रेम
- प्रेम
- प्रेम
- प्रेम
- प्रेम
- प्रेम
- प्रेम (अनुजीत ’इकबाल’)
- प्रेम (आभा नेगी)
- प्रेम (प्रेरणा सिंह)
- प्रेम (रजत रानी मीनू)
- प्रेम (संजय वर्मा ’दृष्टि’)
- प्रेम (सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्’)
- प्रेम अमर रहे
- प्रेम उपहार
- प्रेम और ईश्वर
- प्रेम का ढंग
- प्रेम का पुश्तैनी क़र्ज़
- प्रेम का प्रतिदान कर दो
- प्रेम का प्रतीक
- प्रेम का प्रतीक
- प्रेम का महीना और मेरा दुर्भाग्य
- प्रेम का रंग
- प्रेम का रंग
- प्रेम का वध
- प्रेम की अनंत यात्रा
- प्रेम की ऋतुएँ
- प्रेम की कसौटी पर
- प्रेम की गाँठ
- प्रेम की पराकाष्ठा
- प्रेम की पीड़ा
- प्रेम की वजह से इंसान हो इंसानियत को बचाए रखो
- प्रेम की व्युत्पत्ति
- प्रेम की सागर तुम
- प्रेम की स्मृतियाँ
- प्रेम के जंगल
- प्रेम क्या है?―चाँद है
- प्रेम गीत रचना
- प्रेम डगर
- प्रेम तुम में दिखा
- प्रेम दिवस
- प्रेम धुर से जुड़ा जीवन धरम
- प्रेम पत्र
- प्रेम पथिक
- प्रेम परिधि
- प्रेम पर्व (सॉनेट-26)
- प्रेम पर्व (सॉनेट-30)
- प्रेम पर्व (सॉनेट-38)
- प्रेम पुजारी बना रहूँगा
- प्रेम प्रतीक्षा
- प्रेम बाहर पलेगा
- प्रेम भाव
- प्रेम में पाषाण हो जाना
- प्रेम में मेरा वास
- प्रेम में संघर्ष
- प्रेम मेरा कुछ कम तो नहीं है
- प्रेम मोहताज नहीं
- प्रेम रहस्य
- प्रेम रहेगा हमेशा
- प्रेम हमेशा रहेगा
- प्रेम – 001
- प्रेम – 002
- प्रेम – 01
- प्रेम, हक़ और प्रपंचनाएँ!
- प्रेम-ज्वाला
- प्रेम-धारा
- प्रेम-बीज
- प्रेम-लगन
- प्रेम-संदेश
- प्रेमचंद
- प्रेमचंद आज के परिप्रेक्ष्य में
- प्रेमहंता
- प्रेमाँगन
- प्रेमी मत जा
- प्रेम– कविताएँ: 01-03
- प्रेम– कविताएँ: 04-05
- प्रेम–02
- प्रेम–कविताएँ: 06-07
- प्रेयसी! मेरा हाथ पकड़ो
- प्रेरणा की साँस भर देना
- प्रेरणा गीत
- प्लीज़! हैंडल विथ केयर
- पढ़ी लिखी लड़की
फ ऊपर
- फकीरा चल चला सा . . .
- फड़फड़ाता मौन!
- फ़र्क
- फ़ादर्स डे और 'इन्टरनेटी' देसी पिता
- फ़ुर्सत के पल
- फाग
- फाग की तरंग
- फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है
- फागुन आया होगा
- फागुन और कोयल
- फागुन का दर्द!
- फागुन की मीठी धूप
- फागुन बीता जाय
- फागुनी बयार: दो रंग
- फाड़ डाले वे ख़त
- फिर आई है हिचकी
- फिर आया मधुमास
- फिर एक बार कहूँ, मुझे प्यार है
- फिर कठिन होगा
- फिर कभी न गूँजें तोपें पहाड़ों में
- फिर कभी!
- फिर कैसे कह दूँ तुम हो पाई हो दूर
- फिर क्यों?
- फिर तुम्हारी याद आई
- फिर भले मत करजो तम सराद
- फिर भी मैं पराई हूँ
- फिर मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है
- फिर मुझे तेरा ख़याल आया
- फिर से
- फिर से गाँव
- फिर से बेटी!
- फिर से वो बचपन लौटा दो
- फिर से...
- फुरसतिया प्रदेश
- फूल
- फूल और काँटे
- फूल का जीवन
- फूल का सौदा
- फूल के दोने
- फूलों का आँगन
- फूलों की गाड़ी
- फेरी बाज़ार
- फैलाओ अपनी बाँहें
- फैलाने दो पंख मुझे
- फोबिया
- फ़ना / निर्वाण
- फ़र्क
- फ़र्क़
- फ़सल
- फ़ादर्स डे
- फ़ासले
- फ़ासलों का दर्द
- फ़िक्र
- फ़िल वक़्त
- फ़ुटपाथ
- फ़ुटपाथ पर रहने वाला
- फ़ुरसत
- फ़ेसबुकों की दुनिया
- फ़ैशन और स्त्री
- फ़ौजी
- फ़ख़्रे हिंदुस्तान दीदी
ब ऊपर
- बँटवारा
- बँटा हुआ एक घर
- बँधा यह सारा ज़माना है
- बंजर ज़मीन
- बंद और खुली आँखें
- बंद कमरे में
- बंद दरवाज़े
- बंद नहीं पैबंद
- बंद प्रेम पत्र
- बंद होठों को अब तुम्हें खोलना चाहिये
- बंदर
- बंदर का खेल
- बंदिनी!
- बंदिश
- बंधन
- बंधन दोस्ती का
- बक्सवाहा की छाती
- बच कर रहना
- बचपन
- बचपन का गाँव
- बचपन का ज़माना
- बचपन की कहानी
- बचपन की खोई धुन
- बचपन की याद
- बचपन की यादें
- बचपन की यादें
- बचपन
- बचपन
- बचा रहे आपस का प्रेम
- बचा रहे औरत का चिड़ियापन
- बचा रहेगा शहर
- बचो सत्ताकामी इन्द्रों और धनोष्मित जनों से कि ये देवता हैं
- बच्चा
- बच्चा पिटता है
- बच्चे
- बच्चे और पौधे
- बच्चे और बचपन
- बच्चे की हँसी
- बच्चों की छुट्टियाँ
- बटवारा
- बड़ा बेबस और मजबूर हूँ मैं
- बड़ा सताये ठंडी का मौसम
- बड़ी बात
- बड़ी बात है आदमी होना
- बड़े बने ये साहित्यकार
- बढ़ते चलो
- बताओ क्या है कविता? . . .
- बताओ मैं कौन हूँ?
- बताओ ज़रा
- बदनसीब लोग
- बदनसीबी
- बदनाम लड़की
- बदबू की धौंस
- बदरा-बदरी लड़म-लड़ैया
- बदल गये हम
- बदलता मौसम
- बदलता हुआ वक़्त
- बदलते इंसान
- बदलते ख़्वाब
- बदलते जज़्बात
- बदलते रंग
- बदलना चाहो भी तो
- बदला
- बदलाव – 1
- बदलाव – 2
- बदलाव – 3
- बदलियां गल्लां
- बदहाली
- बद्रीनाथ
- बन गई चमकीला तारा
- बनकर देखो!
- बनाता रहा मेड़ें
- बनारस 01 - बनारस के घाट
- बनारस 02 - बनारस साधारण तरीके का असाधारण शहर
- बनारस 03 - यह जो बनारस है
- बनारस 04 - काशी में शिव संग
- बनैली चाहतें
- बन्जर
- बन्द पृष्ठों में
- बन्धन
- बबूल एक शाश्वत सत्य है
- बरखा बारंबार
- बरखा रानी आई है
- बरगद और बुज़ुर्ग
- बरगद जलते हैं
- बरसात
- बरसात का दिन
- बरसात की एक शाम
- बरसात के देवता
- बरसात के पहलू
- बरसात के बाद
- बरसाती नदी
- बरसो न बादल
- बरसों पहले
- बरसों से....
- बर्दाश्त हो जाएगा…
- बर्फ़
- बलात्कार
- बलिदान चाहिए
- बस अच्छे ही लोग मिले
- बस अब बहुत हुआ
- बस अब बहुत हुआ!!
- बस इतना करती हैं कविताएँ
- बस एक ‘सौदा’
- बस तुम कुछ कह तो दो
- बस तू ही तू
- बस मैं और तुम
- बस यही कहना था
- बस यूँ ही मैंने
- बस रह गई तन्हाई
- बस! एक रूह हूँ मैं
- बस, अच्छा लगता है
- बसंत
- बसंत
- बसंत
- बसंत
- बसंत
- बसंत (दिव्या माथुर)
- बसंत (पुष्पा मेहरा)
- बसंत अभिराम
- बसंत आ गया है...
- बसंत आ रहा
- बसंत ऋतु
- बसंत और तुम
- बसंत की बहार में
- बसंत की ब्रह्म मुहूर्त बेला
- बसंत पंचमी
- बसंत बनाम वैलेंटाइन
- बसंत बहार
- बसंत है आया
- बसंत होती मतवाली
- बस्ता
- बस्ते का परिमाण
- बह जाने दो
- बह जाने दो
- बहता जल
- बहती शाम
- बहन
- बहन-बेटियों की आवाज़
- बहना
- बहनो
- बहनो
- बहरूपिया
- बहार
- बहुत कम बदलते हैं
- बहुत चले हैं बिना शिकायत
- बहुत झूठ बोलता है?
- बहुत ढूँढ़ा उसे पूजा नमाज़ मंत्र अरदास और स्तुति में
- बहुत थका तो नहीं हूँ
- बहुत दिनों के बाद...
- बहुत दूर जाना है
- बहुत बोल चुके
- बहुत बड़ा गाँव है मेरा
- बहुत बड़ी बात हो गयी है, गाँव में भेड़िया घुस आया है
- बहुत रोने का मन करता है
- बहुत शाम हो गयी
- बहुत हुआ अब सुन कोरोना
- बहुत हुई अब याद
- बहुत ज़रूरी है . . .
- बहू का रिश्ता
- बहे जब जब पुरवइया हो
- बाँझ शब्द
- बाँटकर दिखाओ
- बाँटकर दिखाओ
- बाँस बरोबर आया पानी
- बाँसलोय में बहत्तर ऋतु
- बाँसुरी
- बाऊजी
- बाज़ार
- बाढ़
- बात अनकही सी...!
- बात कुछ की कुछ बताई जाती है
- बात क्या थी उस रात में
- बातचीत
- बातें
- बातें कहाँ पूरी होती हैं?
- बातों को बातों में
- बादशाह के लिए
- बापू : एक उद्गार
- बापू के बन्दर
- बापू
- बाबा कबीर
- बाबा तुम्हारी छड़ी
- बाबा धाम (देवघर)
- बाबाओं की फ़ौज
- बाबुल तेरी गलियाँ
- बारहमासा
- बारिश
- बारिश
- बारिश (आलोक कौशिक)
- बारिश (नवल किशोर कुमार)
- बारिश और वह बच्चा
- बारिश का जादू
- बारिश का ख़त
- बारिश की फुहार
- बारिश की बूँदों की अनकही बातें
- बारिश के कुछ रंग
- बारिश में माँ
- बारिशों की हवा में पेड़
- बार्कले स्क्वैयर के सुनहरी पत्ते
- बाल हनुमान
- बालकाव्य रामायण
- बाला
- बालियाँ
- बावरा कन्हैया
- बावली पवन
- बाक़ी है
- बाग़ी लड़कियाँ
- बाज़
- बाज़ार
- बाज़ार
- बाज़ार में भीड़ बहुत है
- बाढ़ नहीं यह...
- बिंदिया
- बिंब बंब कविता
- बिखराव
- बिखरी आशाएँ
- बिखरी हूँ
- बिखरे ना परिवार हमारा
- बिखरे ना प्रेम का बंधन
- बिछड़ना अब मुमकिन नहीं
- बिछोह
- बिछोह
- बिजली का कुहराम
- बिजली के खम्भे के नीचे का गड्ढा
- बिटिया
- बिटिया जब मायके आती है
- बिटिया में मेरी साँसें बसती
- बिटिया नहीं जान पाती
- बिन तुम्हारे
- बिन पेंदी के लोटे
- बिना टाँग का आदमी
- बिना तुम्हारे छाया सूनापन
- बिना नींद के सपने
- बिम्ब
- बिरहा के दिन
- बिल्ली को देखकर
- बिसरे दिन
- बीच में होना
- बीज
- बीत गए बरसों
- बीत गया वर्ष
- बीती रात का सपना
- बीती रात के सपने
- बीते साल के ख़ुशनुमा लम्हे
- बीते हुए कल
- बीहड़
- बुढ़ापा
- बुद्ध
- बुद्ध आ रहे हैं
- बुद्ध का कहना स्व में स्थित होना ही स्वस्थ होना है
- बुद्ध नया
- बुद्ध प्रेमी हैं
- बुद्ध से संवाद
- बुद्धिजीवी .... तकनीकी ख़राबी ...
- बुद्धिजीवी पत्रकार
- बुधिआ को सुई
- बुधिया सोचती है
- बुनियाद
- बुभुक्षा
- बुरे निकले हो तुम तो यार
- बुलबुला
- बुढ़ापा
- बुढ़ापा, एक बलिष्ठ मछुहारा
- बूँद
- बूँद बूँद कण कण
- बूढ़ा पहाड़ी घर
- बूढ़ी माँ!
- बूढ़ा पंछी
- बूढ़ा पेड़
- बूढ़ी गंडक के तट पर
- बूढ़े होते हुए
- बे मौसम बरसात
- बे वो काटा
- बेईमान दुनिया
- बेईमान व्यक्तित्व
- बेईमानों के नमक का, क़र्ज़ा बहुत था भारी
- बेकार
- बेगानापन या अपनापन
- बेघर लड़के
- बेचारा आवारा
- बेचैन आवाज़
- बेचैनी
- बेटा होने का हक़
- बेटियाँ
- बेटियाँ
- बेटियाँ
- बेटियाँ (डॉ. विवेक कुमार)
- बेटियों से निवेदन
- बेटी
- बेटी
- बेटी
- बेटी
- बेटी की विदाई
- बेटी दिवस
- बेटी धन अनमोल
- बेटी बचाओ
- बेटी बचाओ दिवस
- बेटी हूँ
- बेटे भी बेटियों से कम नहीं होते
- बेदर्दी इन्सान
- बेबसी
- बेबसी
- बेमायने बातों के अर्थ
- बेरंग
- बेरोज़गार
- बेलन घाटी का सुरम्य करबालपुर-खम्हरिया गाँव
- बेला के फूल
- बेवजह
- बेशुमार काँटे इस डगर
- बेसुरों की टोली में सुरीला बुरा
- बेहतर बहुत बेहतर . . .
- बेहतर है
- बैरन निन्दिया
- बैरी सावन
- बैरी हवा
- बोझ
- बोझ
- बोझिल
- बोर हो रहे हो तुम!
- बोलती कविता
- बोलती कविता
- बोलती चुप्पी
- बोलती बंद क्यूँ है
- बोलना
- बोलने की होड़ है
- बोलेगा साहित्य मेरा
- बोलो पामरियो
- बोलो!
- बौड़म दास
- ब्रह्म
- ब्रह्म ज्ञान
- ब्रह्मर्षि वशिष्ठ और राजर्षि विश्वामित्र संघर्ष आख्यान
- ब्राह्मण
- ब्राह्मण कौन है
- ब्राह्मण कौन?
- ब्रूउट्स यू टू
- बग़ावत लिखूँ
- बड़ा आदमी
- बड़ा कठिन है आशुतोष सा हो जाना
- बड़े अच्छे लगते हैं
भ ऊपर
- भँवरा
- भक्त की पुकार
- भगवती वंदना
- भगवान शिव वन्दना!
- भटकन!
- भट्टों पर
- भट्ठी
- भय
- भय
- भयभीत भगवान
- भर परों में आग पक्षी
- भरत का संन्यास!
- भरपूर
- भरी अंजुली
- भला क्या कर लोगे?
- भवसागर से अच्छा होगा
- भविष्य की नाहक़ चिन्ता
- भाँग के साइड इफ़ेक्ट्स
- भाई के नाम
- भाईसाहब ‘भाईसाहब’ तुम कहते रहो मैं सुनता रहूँ
- भागी हुई लड़की
- भाग्य और समय का दुष्चक्र
- भाग्य की राहों पर
- भाग्य चक्र
- भाग्यशाली
- भानुमति
- भाभी से विनती
- भारत कण कण में जाग उठा
- भारत का यश गान
- भारत का लोकतंत्र
- भारत की कथा
- भारत के लोगों को क्या चाहिये
- भारत गौरव
- भारत माँ के पुनरोदय की नींव बिछाने आया हूँ
- भारत माता
- भारत में
- भारत वर्ष
- भारतमाता
- भारतवर्ष
- भारतीय किसान
- भारतीय नववर्ष
- भारतीयों के नाम
- भाव
- भाव मंजूषा
- भावदृष्टि
- भावना
- भावना के पुष्प
- भाववादी
- भावों के पाखी
- भाषा
- भाषा और भाव
- भाषा की खोज
- भाषा की महक
- भाषा में जो भाव बँधे
- भाषा मेरी माँ
- भिखारिन
- भिखारी-दो छोटी कविताएँ
- भीग रही है धरती
- भीगता क़तरा .....!
- भीड़
- भीड़
- भीतर
- भीतर ज़हर . . .
- भीम शिला
- भीषण गर्मी
- भीषण गर्मी
- भीष्म की शब्द शैय्या
- भीष्म – कृष्ण संवाद
- भीड़
- भीड़ चीखती है
- भीड़ भरी सड़कें सूनी - सी लगती है
- भूख
- भूख
- भूख
- भूख
- भूख
- भूख
- भूख
- भूख
- भूख
- भूख (पाराशर गौड़)
- भूख (राजेश ’ललित’)
- भूख (सत्येंद्र कुमार मिश्र)
- भूख और जज़्बा
- भूख और प्यास
- भूख की कालिमा भारी है
- भूखा हूँ माँ!
- भूखे पेट
- भूत वार्ता
- भूमि पुत्र
- भूल गए हम लहू बहाने वालों को
- भूल जाओ
- भूल न जाना आने को