उत्तर-निरुत्तर
काव्य साहित्य | कविता कपिल कुमार15 Jan 2023 (अंक: 221, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
सूरज ने चुराई क्या? 
तुम्हारे गालों से लालिमा 
घटाओं ने पाई क्या? 
तुम्हारे बालों से कालिमा
चाँदनी ने पाया क्या? 
तुम्हारी देह से धवल रंग
हवाओं मेंं आया क्या? 
तुमको देखकर उज्जवल मन
तलवार मेंं आई क्या? 
तुम्हारे नयनों से धार
मेंरे हृदय में उमड़ा क्यों? 
तुम्हारे लिए प्रेम-अपरंपार
ये सभी प्रश्न 
उस निराधार कल्पना के जैसे हैं 
जिसका उत्तर, निरुत्तर है, 
तुम्हारी अनुमति हो यदि
हम दोनों साथ मिलकर
हल कर सकते हैं
यह कल्पना
और मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं
आने वाली 
प्रेम में लीन पीढ़ियों का। 
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Sarojini Pandey 2023/01/02 08:58 AM
बहुत बढ़िया ।