प्रतिज्ञा-पत्र की खोज
काव्य साहित्य | कविता कपिल कुमार15 Jan 2023 (अंक: 221, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
क्या?
तुमने कभी सोचा है,
पिछले जन्मों में
हमारे मध्य हुई
प्रेम-प्रतिज्ञा की,
कोई खोई हुई प्रति
मिल जाएगी शायद।
मिस्र के पिरामिडों के नीचे
मोहनजोदड़ो-हड़प्पा सभ्यताओं में
मेरियाना गर्त की सतह पर
प्रसुप्त ज्वालामुखी के लावा व मैग्मा में
किसी दबे हुए प्रेम-शिलालेख पर
नदी के किनारे रेत से ढके हुए
इसका क्या पता?
सूरज भी वही जलता प्रेम-पत्र हो।
किसी दिन हम दोनों
चलते हैं, साथ-साथ
पूरी दुनिया का चक्कर लगाने
ढूँढ़ते हैं, उस प्रतिज्ञा-पत्र को
जिसमें लिखा है
जन्मों-जन्मों तक साथ रहना
और करते हैं
प्रेम का विस्तार
“अनंत से भी बहुत आगे।”
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