प्रेयसी! मेरा हाथ पकड़ो
काव्य साहित्य | कविता कपिल कुमार1 Jun 2023 (अंक: 230, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
साँझ को
दिन से उबने दो
थोड़ा-सा
सूरज को डूबने दो
मल्लाह थक कर
तटों पर नाव बाँध चले
समुद्र के किनारे-किनारे
दोनों नंगे पाँव चले
जुगनुओं की बारात
खेतों के ऊपर नाचे
घोंसले में कोयल
प्रेम-गीत बाँचे
देख कर जहाँ तुम्हें
चाँद की रोशनी ख़ूब जले
प्रेयसी! मेरा हाथ पकड़ो
ऐसी जगह घूमने चले।
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