कपिल कुमार - हाइकु - 001
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु कपिल कुमार1 Dec 2022 (अंक: 218, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
1.
सर्दी की धाक
गर्मी भी माँग रही
गर्म-लिहाफ़।
2.
सर्दी ज्यों आई
सूर्य दुबक गया
ओढ़ रजाई।
3.
गाँव के गाँव
जला रहे अलाव
कड़क सर्दी।
4.
गिरती बर्फ़
सर्दी में रुई-फाहे
चारों दिशाएँ।
5.
नभ से रवि
धुँध में भू देखता
टॉर्च जला के।
6.
रवि दुबका
सर्दी ने बनाया ज्यों
उसे बंधक।
7.
बिना डिग्री के
चिड़िया पारंगत
बेजोड़ नक़्शा।
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