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कपिल कुमार - हाइकु - 004

 

1.
पेड़ों की दौड़
रेलगाड़ी ज्यों चली
स्टेशन छोड़। 
 
2. 
ढहा न देना
भरोसे की दीवार
प्रेम-अपार। 
 
3. 
मेघों के गीत 
बेमौसम लगते 
बेसुरा राग। 
 
4.
वक़्त की चाल
सरपट दौड़ते
बेक़ाबू घोड़े। 
 
5.
सूर्य पे भेजो
अग्निशामक दल
आग लगी है। 
 
6.
गावों के स्वप्न
तकनीकी ने छीने
लुटाके धन। 
 
7.
ख़बरें बाँचे
अनपढ़ से गाँव
चित्र देखके। 

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