बसंत और तुम
काव्य साहित्य | कविता कपिल कुमार1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
तुम भी
किसी बसंत से
कम नहीं
तुम्हारे आने के बाद
मेरा चेहरा
किसी फूल की तरह
खिल जाता है।
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