देह से लिपटे दुःख
काव्य साहित्य | कविता कपिल कुमार15 Apr 2024 (अंक: 251, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
कौन है?
जिसकी देह से नहीं लिपटे
दुःख,
कुछ सीधे
कुछ आड़े-तिरछे।
कुछ दुःख आकर लिपटे
दक्षिणावर्त दिशा से
कुछ दुःख आकर ठहरे
वामावर्ती
कुछ लम्बवत, कुछ क्षैतिज।
एक दुःख था मुझमें इतना गहरा
जो आकर लिपटा
दसों दिशाओं से।
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