प्रेम–कविताएँ: 06-07
काव्य साहित्य | कविता कपिल कुमार1 May 2023 (अंक: 228, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
प्रेम-6
तेरा बेड़ा गर्क़ हो
कोरोना!
तीन साल से
ज़्यादा हो गये,
उसके होंठों के
ठीक ऊपर वाले
तिल को देखें।
प्रेम-7
प्रेमिकाएँ,
बालों से ज़्यादा
प्रेमी चुनने में
उलझी रहती हैं—
प्रेमियों के लिए
कभी-कभी
एक साधारण स्त्री भी
सात अजूबों से ज़्यादा
सुंदर हो जाती है।
जिस खिड़की से उसे
डरावनी आवाज़ें
सुनाई देती हैं
उसी खिड़की पर वह
घण्टों-घण्टों, बिना भय के
प्रतीक्षा करती है;
जिन किताबों से
दूर-दूर भागता था, वह
आज, उन्हीं किताबों में
प्रेम-पत्र रखकर
उतने ही प्रेम से
उन्हें बाँचता है।
प्रेम, अमूमन
दृष्टि ही नहीं
आदतें भी बदल देता है।
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