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प्रेम–कविताएँ: 06-07

 

प्रेम-6
 
तेरा बेड़ा गर्क़ हो
कोरोना! 
तीन साल से 
ज़्यादा हो गये, 
उसके होंठों के
ठीक ऊपर वाले
तिल को देखें। 
 
प्रेम-7
 
प्रेमिकाएँ, 
बालों से ज़्यादा
प्रेमी चुनने में
उलझी रहती हैं—
 
प्रेमियों के लिए
कभी-कभी
एक साधारण स्त्री भी
सात अजूबों से ज़्यादा
सुंदर हो जाती है। 
 
जिस खिड़की से उसे
डरावनी आवाज़ें
सुनाई देती हैं
उसी खिड़की पर वह
घण्टों-घण्टों, बिना भय के
प्रतीक्षा करती है; 
 
जिन किताबों से
दूर-दूर भागता था, वह
आज, उन्हीं किताबों में
प्रेम-पत्र रखकर
उतने ही प्रेम से
उन्हें बाँचता है। 
 
प्रेम, अमूमन
दृष्टि ही नहीं
आदतें भी बदल देता है। 

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