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गाँव में एक अलग दुनिया

 

दुनिया के बदल जाने के बाद भी
चार चीज़ें ऐसी हैं
जो यथावत चल रही हैं
मेरे गाँव में
 
पहला—
दशकों पहले
घिटोरा जाती हुई सड़क पर
यकायक एक
लाश का मिलना
और आज तक भी
उसके भूत का
वहाँ से गुज़रने वाली
साइकिलों पर बैठना, 
उन साइकिलों पर बैठकर
उन्हें पीछे खीचना।
 
दूसरा—
छज्जू के चौराहे पर
रात में नाचती चुड़ैलें, 
उन चुड़ैलों के पैर
आज भी उसी 
धमक के साथ उठते हैं
जिस धमक के साथ
दादा-परदादा ने सुने थे।
 
तीसरा—
गुलिया की पुरानी हवेली से
किसी रहस्यमयी
आवाज़ का आना, 
ये रहस्यमयी आवाज़ें
ऐसा बताते हैं
उन लोगों की हैं
“जो अकाल मृत्यु मरे थे“
ये आत्माएँ 
मोक्ष चाहती है।
 
चौथा—
श्मशान घाट के पास
टोने-टोटकों का होना, 
नई-नई मिठाइयों का मिलना
नींबू को काटकर
उसके ऊपर
लाल सिंदूर का छिड़काव, 
हरी चूड़ियों का एक डिब्बा; 
बीस वर्ष पहले भी
यही वस्तुयें देखी थीं
और आज भी ये ही
वस्तुयें मिलती हैं। 
 
दुनिया बदल चुकी है
परन्तु यह दुनिया
आज भी
रूढ़िवादी दुनिया बनी हुई है
जादू-टोने के मामले में
पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। 

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