कौन हूँ?
काव्य साहित्य | कविता ज़हीर अली सिद्दीक़ी1 Apr 2019
लकीर और तक़दीर का
संगम टटोलता हूँ
संघर्ष की राख में
ख़ुशी से मचलता हूँ॥
कौन हूँ? ...
संघर्ष से भयभीत प्राणी!
बेटियाँ समाज में
होतीं प्रताड़ित
प्रतिध्वनि कराह की
चहुँदिश प्रसारित॥
कौन हूँ?…
सक्षम परन्तु मूक बधिर!
तन तरसता वस्त्र को
वस्त्र है, निर्वस्त्र क्यों?
ढका है तू देह से
मन तेरा निर्वस्त्र क्यों?
कौन हूँ?…
मानसिक रूप से निर्वस्त्र!
अन्न की बर्बादी और
बढ़ती आबादी क्यों?
फँसा है मझधार में
पतवार से इनकार क्यों?
कौन हूँ?...
मझधार को समर्पित निरीह॥
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टिप्पणियाँ
सुनील कुमार 2019/04/06 04:36 PM
बहुत ही सुन्दर जहीर भाई। शुभकामनायें आपको।
Antara Sarkar 2019/04/06 02:00 PM
Very nice Zahir
Antara 2019/04/06 01:58 PM
Very nicely expressed.. Needs attention
Vaishali Chaudhary 2019/04/02 03:13 PM
Very well written...
Mehtab Alam 2019/04/02 08:16 AM
Masallah
Mehtab Alam 2019/04/02 07:40 AM
Masallah Bahut hi umda
Rashmi Agrahari 2019/04/02 05:50 AM
Sab kuch keh gaye apne es poem ke madhyam se.. Nice dear
Shivangi 2019/04/02 04:08 AM
Very nice
Ashok Kumar Chaudhary 2019/04/02 03:45 AM
अति सुंदर।
Rohan 2019/04/01 07:00 PM
Khoob likhte ho.
Shani 2019/04/01 06:30 PM
Apke alfass Dil Ko chu Gye...
Kartiki 2019/04/01 05:55 PM
Nice
Sandip 2019/04/01 05:40 PM
Mast hai sir ji
Himanshu 2019/04/01 05:20 PM
Very nice
Vandana Shukla 2019/04/01 05:10 PM
Nice
Shani chaudhary 2019/04/01 05:02 PM
संघर्ष ही अपने आप को लकीर और तकदीर से बहुत अलग रखती है क्यों की जहाँ संघर्ष है वहाँ लकीर और तकदीर अपने आप ही पीछे छूट जाते है
Sandeep kumar verma 2019/04/01 04:29 PM
Excellent ......keep it up
Ehtesham Khan 2019/04/01 04:13 PM
Amazing piece of writing.
Anwar Ali 2019/04/01 03:34 PM
Bahut badhiya bhaiya ji
Suryapratap Sharma 2019/04/01 03:27 PM
Well done Keep it up bro...
Manojkumar 2019/04/01 03:26 PM
I salute to you brother
Sudhanshu 2019/04/01 03:21 PM
Nice sir g
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