मरहूम गर तू है
शायरी | नज़्म ज़हीर अली सिद्दीक़ी1 Apr 2019
जहान में नंगा आया था
ग़रीबी साथ लाया था
ख़ुशी के अपने भावों से
सभी को तूने हँसाया था॥
ख़ुदा ने कान बख़्शा है
नेकी सुनने और करने को
मगर क्या खूब फ़ितरत है
बुराई सुनने, करने को॥
नज़र ख़ुदा ने बख़्शी है
जहान ढूँढ़ ले प्यारे
ख़ुदा को क्यों करे नाख़ुश
अज़ाब थूक दे प्यारे॥
कोई अपने, पराये न थे
सभी के दिल का तारा था
किया ऐसा भी क्या तुमने
कोई पराया तो कोई अपना॥
मरहूम गर तू है
जीना और मरना क्यों?
बुज़दिली से ज़िन्दगी में
तबाह करना ही क्यों है?
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टिप्पणियाँ
Vaishali Chaudhary 2019/04/02 03:10 PM
Gajabbbbb... Keep it up!
Mehtab Alam 2019/04/02 08:25 AM
Masallah. Kabile tareef
Mehtab Alam 2019/04/02 07:43 AM
Masallah Bahut hi umda
Rashmi Agrahari 2019/04/02 05:47 AM
Kabil e tareef... Naye lekhak ke roop me aage jate hue Zahir Ali Siddique..well done
Shivangi 2019/04/02 04:07 AM
Waaah ..kamaal h
Ashok Kumar Chaudhary 2019/04/02 03:49 AM
Very nice.
Kaustubh 2019/04/02 01:59 AM
Apratim Rachana Zahir bhai
Rajneesh shukla 2019/04/01 06:58 PM
Waah waah kya rachna h...zahir saheb
Rohan 2019/04/01 06:58 PM
Kay baat hai!
Rajneesh shukla 2019/04/01 06:56 PM
Bahut badiyan zahir saheb
Sandip todakr 2019/04/01 05:38 PM
Nice.
Himanshu 2019/04/01 05:21 PM
Kya bat hai
Vandana Shukla 2019/04/01 05:09 PM
Good one
Dattatray A. Pethsangave 2019/04/01 04:53 PM
Very nice poem
Sandeep kumar verma 2019/04/01 04:31 PM
Good zahir bhai.....
Amit Mishra 2019/04/01 04:10 PM
बहुत खुब भाई जी।
Ehtesham Khan 2019/04/01 04:07 PM
Beautiful lines
Raveena Chaurasia 2019/04/01 03:47 PM
Awesome poem...with a beautiful message to convey...
Siddharth mohan 2019/04/01 03:42 PM
बहुत सुंदर पँक्तियाँ
Anwar Ali 2019/04/01 03:32 PM
Bahut khoob bhaiya
Shaimah khan 2019/04/01 03:21 PM
Good work!!!
Suryapratap 2019/04/01 03:15 PM
Bahot khub
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Viphai 2019/04/17 04:27 PM
Nice!