लौहपथगामिनी का आत्ममंथन
काव्य साहित्य | कविता ज़हीर अली सिद्दीक़ी1 Mar 2019
जेम्सवाट को सूझी शरारत,
अभ्युदय हुआ मैं हुई सार्थक
कोयले से प्रारंभिक सफ़र,
समानांतर अनंत डगर
विस्तार का मक़सद नहीं था,
उपनिवेश का मक़सद नहीं था
पूछता गर मैं सुखी हूँ,
नहीं, क्योंकि मैं दुखी हूँ,
मैं हूँ लौहपथगामिनी॥
बीजअंकुरित पक्षपात से,
विभाजन साधारण, शयनयान से।
काला गोरा दुर्भायपूर्ण दास्ताँ,
क्रूरता भरा अक्षम्य रास्ता
गोरों की सुविधा सदा आँख पर,
औरों की सदा जाँच पर
पूछता गर मैं सुखी हूँ,
नहीं, क्योंकि मैं दुखी हूँ,
मैं हूँ लौहपथगामिनी॥
अहिंसा का देवता दुःख से कराहाया,
उन्मूलन हो इसका, आंदोलन चलाया
उत्पीड़न मार्मिक व्यथा है बताया,
उन्मूलन हो इसका, आंदोलन चलाया
जनजातियों को पिछड़ा तुमने बताया,
रक्षक का ढोंग है तुमने रचाया
पूछता गर मैं सुखी हूँ,
नहीं, क्योंकि मैं दुखी हूँ,
मैं हूँ लौहपथगामिनी॥
यहाँ का युवा था सदा शक्तिशाली,
नीयति को चुनौती सदा शक्तिशाली
क्रांतिकारियों से रहता हमेशा लगाव,
दिल को तसल्ली गोरों का घेराव
वीरों के पराक्रम की हूँ मैं मुरीद,
मानवीय मूल्यों के हुंकार की हूँ चश्मदीद ।
पूछता गर मैं सुखी हूँ,
नहीं, क्योंकि मैं दुखी हूँ,
मैं हूँ लौहपथगामिनी॥
भारत जैसा न कोई देश मैंने देखा,
अहिंसा के देवता का भेष मैंने देखा
वसुधैव कुटुम्बकं परिवेश मैंने देखा,
मानव मुस्कराते परिवेश मैंने देखा
एकता सूत्र में मैंने सबको पिरोया,
तिरंगा मेरी जान सबको सिखाया
पूछता गर मैं सुखी हूँ,
नहीं, क्योंकि मैं दुखी हूँ,
मैं हूँ लौहपथगामिनी॥
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टिप्पणियाँ
Suyash Dubey 2019/03/03 09:44 AM
Well written.. Best Wishes
Shiv prasad 2019/03/02 04:21 PM
शानदार। गहन भावों और विचारों की कविता। वैसे ये मूलतः विचार प्रधान कविता है लेकिन इसमें कवि ह्रदय की भावुकता भी अपनी छाप छोड़े हुए है।
Supriya ramugade 2019/03/02 09:18 AM
Nice lines
Sunil Rana 2019/03/02 01:59 AM
Lauhpathgamini is always close to my heart, thanks for such an elaborate and beautiful picturization of its journey.
Dr.Rashmi 2019/03/01 06:08 PM
Yeah nice poem along with patriotic touch.All the best dear friend.
Atharwa Thigale 2019/03/01 05:19 PM
बहुत ही अच्छी कविता! शानदार.. जबरदस्त.. जिंदाबाद..
Raghuvansh Singh 2019/03/01 04:25 AM
Great job bhaiya...
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Anugrah singh 2019/06/15 07:45 PM
वसुधैव कुटुम्बकं परिवेश मैंने देखा, मानव मुस्कराते परिवेश मैंने देखा आपके विचारो की ये अद्भत श्रृंखला ही आपके आदर्शो को बताती है.... आपकी यह रचनात्मक साहित्य बहुत पसंद आती हैं। I always wish that you move ahead with more such beautiful creation bhaiya.