आगाज़
शायरी | नज़्म ज़हीर अली सिद्दीक़ी1 Mar 2019
सर्द रात चश्मतर अब तक
आफ़ताब-ए-ताब की शिद्दत कब तक
मौसम-ए-खिज़ां सा ग़मों को छोड़ दिया
मौसम-ए-बहार आगाज़ किया जब तक॥
मेरे हालात खिज़ां के वीरां शज़र
हर पत्ते की तरह मेरे अरमां बिखरे
है ये अहसास, मेरी रूह तुमसे सरशार
तेरे आगाज़ से मुकम्मल मौसम-ए बहार॥
जिस तरह गर्मी में दरिया सूखे
ज़िन्दगी ऐसी ही मुझसे रूठे
नाज़ुक हालात, तन्हाई में जीना सीखा
तेरी आगाज़ से चमन में मक़सद-ए गुल खिला॥
मेरे अल्फ़ाज़ों में बौखलाहट नज़र आती
मुख़ालिफ़त की सज़ा भी अदा बन जाती
बौखलाहट में भी अल्फ़ाज़ों का कायल इस क़दर
आगाज़-ए इश्क़ कर चुका, जाऊँ किधर॥
नाकामियों से लगता नाइंसाफ़ हुआ
मैं टूटा, मेरे अरमां टूटे क्या-क्या न हुआ
लज़्ज़त-ए ज़िन्दगी से यूँ महरूम हुआ
आगाज़-ए उल्फ़त ने मेरा रुख़ उस ओर किया॥
मेरी ज़िंदगी साहिल के रेत जैसी
कोई पाता कोई खोता क़िस्मत ऐसी
उम्र भर रहा, कोसता ख़ुद को
तेरे आगाज़ ने रूबरू कराया मुझको॥
बीते लम्हें घूरते, डराते मुझको
तन्हाई के आलम भी जश्न मनाते मुझमें
तेरा साया भी मेरे लिए बहुत
तेरा बिछड़ना हाय आगाज़-ए क़हर॥
जिस तरह चमन में बागवां आये
तेरा आना भी कुछ ऐसे एहसास लाये
मेरे जीने की आरज़ू मरने को थी
तेरा लम्स आगाज़-ए बलबला लाये॥
तेरी आवाज़ हर राज़ बयां करते हैं
तेरे अल्फ़ाज़ हाल-ए दिल बयां करते हैं
दूर जाना नहीं अल्फ़ाज़ बनकर रहना
अल्फ़ाज़ दिल की आवाज़ बनाकर रखना॥
तेरे होंठ जज़्बात बयां करते हैं
तेरे चश्म हाल-ए दिल बयां करते हैं
दूर जाना फ़जूल है मुख़्तसर के लिए
आ एक नए सफ़र का आगाज़ करते हैं॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- आँसू
- आत्माएँ भी मरती हैं . . .
- उजाले में अँधेरा . . .
- उड़ान भरना चाहता हूँ
- ए लहर! लहर तू रहती है
- एक बेज़ुबां बच्ची
- कौन हूँ?
- गणतंत्र
- चिंगारी
- चुगली कहूँ
- जहुआ पेड़
- तज़ुर्बे का पुल
- दीवाना
- नज़रें
- पत्रकार हूँ परन्तु
- परिंदा कहेगा
- पहिया
- मरा बहुरूपिया हूँ...
- मैं पुतला हूँ...
- लौहपथगामिनी का आत्ममंथन
- विडम्बना
- विषरहित
- सड़क और राही
- हर गीत में
- ख़ुशियों भरा...
- ग़म एक गम है जो...
हास्य-व्यंग्य कविता
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
सामाजिक आलेख
नज़्म
लघुकथा
कविता - हाइकु
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
Viphai 2019/04/17 04:25 PM
Really good