पुराना वक़्त लौट आए तो अच्छा है
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र 'कबीर'15 Nov 2021 (अंक: 193, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
लगभग दो वर्षों बाद
सुनसान पड़े गलियारों
और इमारतों में
अब जाकर कहीं उनके बाशिंदे
चहचहाने लगे हैं,
लगभग दो वर्षों बाद
बे-आवाज़, निर्जीव से पड़े
स्कूल के डेस्क अब जाकर कहीं
खटखटाने लगे हैं,
लगभग दो वर्षों बाद
बच्चे फिर से सुबह जल्दी उठकर
स्कूल जाने की क़वायद
अपनाने लगे हैं,
लगभग दो वर्षों बाद
बच्चों की आँखें, दिमाग़ और
आदतें खराब करने वाली
इस ऑनलाइन पढ़ाई के दिन
जाने लगे हैं,
अब यह कोरोना भी
इस देश से चला जाए तो अच्छा है,
लोगों का सामान्य जनजीवन
पटरी पर आ जाए तो अच्छा है,
सबसे मिलकर मौज मनाने का
पुराना वक़्त लौट आए तो अच्छा है।
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