शेख़ियाँ बघारने का मौसम
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता जितेन्द्र 'कबीर'15 Jan 2022 (अंक: 197, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
चुनाव आ गये हैं और अब . . .
देश को तरक़्क़ी की राह पर
ले जाएगा कोई,
तो कोई यहाँ से भ्रष्टाचार मिटाएगा,
मुफ़्त बिजली, मुफ़्त पानी, मुफ़्त राशन,
मुफ़्त गैस दिलाएगा कोई,
तो कोई यहाँ से ग़रीबी, भुखमरी हटाएगा,
अपराध मुक्त समाज का सपना
दिखाएगा कोई,
तो कोई अपराधी को ही निर्दोष ठहराएगा,
देश के प्राचीन गौरव को
वापस लौटाएगा कोई,
तो कोई धर्म विशेष का झंडा लहराएगा,
किसी जाति को आरक्षण का लाभ
दिलाएगा कोई
तो कोई सामाजिक समरसता के गीत गाएगा,
देश के दुश्मनों को सबक
सिखाएगा कोई,
तो कोई लोगों में ही फूट डलवाएगा,
वोटों के इस व्यापार में
सुहाने सपनों से अपनी दुकान सजाएगा कोई,
तो कोई हर बार की तरह
इस बार भी ठगा ही जाएगा।
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