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अजय अमिताभ 'सुमन'

 जन्मस्थान : दाउदपुर, सारण, बिहार
भाषाएँ : हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में समान अधिकार।
आत्म कथ्य : जीवन में बहुत  सारी घटनाएँ ऐसी घटती हैं जो मेरे हृदय को आंदोलित करती हैं। फिर चाहे ये प्रेम हो, क्रोध हो, क्लेश हो, ईर्ष्या हो, आनन्द हो, दुःख हो, सुख हो, विश्वास हो, भय हो, शंका हो, प्रसंशा हो इत्यादि। ये सारी घटनाएँ यदा कदा मुझे आंतरिक रूप से उद्वेलित करती हैं। मैं बहिर्मुखी स्वाभाव का हूँ और ज़्यादातर मौक़ों पर अपने भावों का संप्रेषण कर ही देता हूँ। फिर भी  बहुत सारे मुद्दे या मौक़े ऐसे होते हैं जहाँ भावों का संप्रेषण नहीं होता या यूँ कहें कि हो नहीं पाता। यहाँ पे मेरी लेखनी मेरा साथ निभाती है और मेरे हृदय की बेचैनी को ज़माने तक लाने में सेतु का कार्य करती है। 


हृदय रुष्ट है कोलाहल में,
जीवन के इस हलाहल ने,
जाने कितने चेहरे गढ़े,
दिखना मुश्किल वो होता हूँ।
हौले कविता मैं गढ़ता हूँ।

जिस पथ का राही था मैं तो,
प्यास रही थी जिसकी मुझको,
निज सत्य का उद्घाटन करना, 
मुश्किल होता मैं खोता हूँ।
हौले कविता मैं गढ़ता हूँ।
प्रकाशन : अनगिनत क़ानूनी संबंधी लेख क़ानूनी पत्रिकाओं में प्रकाशित। वकालत करने के अलावा साहित्य में रुचि रही है। 
अनगिनत पत्र, पत्रिकाओं में प्रकाशन। रचनाकार, हिंदी लेखक, स्टोरी मिरर, मातृ भारती, प्रतिलिपि, नव भारत टाइम्स, दैनिक जागरण, सपीकिंग ट्री, आज, हिंदुस्तान, नूतन पथ, अमर उजाला इत्यादि पत्रिका और अख़बारों में रचनाओं का प्रकाशन।
संप्रति : अधिवक्ता: हाई कोर्ट ऑफ़ दिल्ली
दिल्ली हाई कोर्ट में पिछले एक दशक से ज़्यादा समय से बौद्धिक संपदा विषयक क्षेत्र में वकालत जारी।

सम्पर्क : ajayamitabh7@gmail.com

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