मंत्री जी साहब सरकार में तो हैं
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता अजय अमिताभ 'सुमन'1 Oct 2019
झूठे हैं बुरे हैं, रफ़्तार में तो हैं,
मंत्री जी साहब सरकार में तो हैं,
चुनावों में वादों पे आते हैं साहब,
चुने जाते ही सारे भुलाते हैं साहब,
खातों पे गिद्धों सी नज़रें हैं इनकी,
बहाने हैं साहब के कैसे सुनोजी,
जनता की ख़ातिर ही जीता हूँ साहब,
सितारों से पर मात खाता हूँ साहब,
कोशिशें तो कीं थीं पर खोटी रहीं,
इस मुल्क की लकीरों में रोटी नहीं,
अब सच है या झूठ अख़बार में तो हैं,
मंत्री जी साहब सरकार में तो हैं।
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