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जुगनू जुगनू मिला मिलाकर बरगद पे चमकाता कौन

एक दिवस को तिनका हाथों में धरना ना आसां है, 
पर उसकी है शक्ति कैसी जाने क्या अभिलाषा है? 
सूरज को रखता अंतर में तारों को धरता अंदर में, 
सब को थामे रहता कैसे परम तत्त्व वो शक्ति कौन? 
झिंगुर की आवाज़ सुनाता वाणी में पर रखता मौन? 
  
अगर कोई ना हमें उठाये निज तंद्रा से हमें जगाए, 
हम तो सोते रहते दम भर गर हमको ना कोई बताए, 
पर सदियों से उठा उठा के पंछी को नित बता बता के, 
सूरज को हर रोज़ जगा के पूरब से ले आता कौन? 
झिंगुर की आवाज़ सुनाता वाणी में पर रखता मौन? 
 
बारिश के मौसम में खेतों में पानी न रुक पाता है, 
अगर तूफ़ां आये सागर में ना रोके ना रुक पाता है। 
एक फूल को गमले में थामे रखना बड़ा मुश्किल है, 
एक बीज में बरगद जैसे आख़िर ये रख पाता कौन? 
झिंगुर की आवाज़ सुनाता वाणी में पर रखता मौन? 
 
पानी जब भी थल चलता है ऊपर से नीचे चलता है, 
जभी हिम तो पर्वत से बन झरना नीचे को बहता है। 
पर किस भाँति पौधे में जल नीचे से ऊपर चढ़ता है? 
और बूँद पानी बन बन कर बादल में रख आता कौन? 
झिंगुर की आवाज़ सुनाता वाणी में पर रखता मौन? 
 
सीपी में जो रखता मोती सूरज में अग्नि की ज्योति, 
किसकी बग़िया में भौरों की रुनझुनरुन गायन होती? 
एक एक जो रंग सजाकर फूलों में रख आता है, 
हर सावन में इन्द्रधनुष को अम्बर में फैलाता कौन? 
झिंगुर की आवाज़ सुनाता वाणी में पर रखता मौन? 
 
अगर अगन शीतल बन जाए, सागर जल को ना धर पाए, 
अगर धूप ना आए अंबर, बाग़ों में कौन फूल खिलाए? 
सबके निज गुण धर्म बनाकर, सही समय पर कर्म फलाकर, 
एक नीति में एक नियम में, सृष्टि को रच लाता कौन? 
झिंगुर की आवाज़ सुनाता वाणी में पर रखता मौन? 
 
धारण करता है सृष्टि को पर ख़ुद ही रहता जो गौण, 
जुगनू जुगनू मिला मिलाकर बरगद पे चमकाता कौन? 

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