मार्ग एक ही सही नहीं है
काव्य साहित्य | कविता अजय अमिताभ 'सुमन'15 Feb 2023 (अंक: 223, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
अन्य मार्ग भी सही कहीं हैं,
परम तत्त्व के सब अनुगामी,
ना निज पथ अभिमान रहे।
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।
कर्मयोग कहीं राह सही है,
भक्ति की कहीं चाह बही है,
जिसकी जैसी रही प्रवृत्ति,
वैसा ही निदान रहे।
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।
अवसर की क्यों करे प्रतीक्षा,
ज्ञान धरना और तितिक्षा,
मुमुक्षु बन बहो निरंतर,
हर अवसर प्रभु ध्यान रहे।
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।
ईक्षित तुझको प्राप्त नहीं गर,
मंज़िल दृष्टिगत ज्ञात नहीं गर,
निज कर्म त्रुटि शोधन हो,
निज प्रयासों में प्राण रहे।
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।
परम तत्त्व ना मिले अचानक,
परम सत्व के पात्र कथानक,
आजीवन रत श्रम के आदि,
परम ब्रह्म गुणगान रहे।
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।
एक जन्म की बात नहीं,
नहीं एक वक़्त दिन रात कहीं,
जन्मों की है खोज प्रतीक्षा,
थोड़ा सा तो भान रहे।
किंचित कोई परिणाम रहे,
किंचित कोई परिणाम रहे।
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