अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

जोश या जुनून

 

इस साल तो सर्दी ने पूरे उत्तर भारत में क़हर बरपा रखा है। सुबह की सैर को जारी रखना इन दिनों आसान काम नहीं था। शीत लहर से निपटना पहले से ही मुश्किल था तिस पर प्रदूषण और कोहरे ने इसे और ख़राब कर रहा है। मैं रोज़-रोज़ तो इनसे मोर्चा नहीं ले सकता था लिहाज़ा मैंने घर में ही योग करने को प्राथमिकता दी। 

एक हफ़्ते के इंतज़ार के बाद एक सुनहला प्रकाश लिए रविवार आया। मुझे घूमने जाने का मौक़ा मिल रहा था। आवश्यक गर्म कपड़े पहनकर मैं सुबह की सैर के लिए पास के एक पार्क में गया। चलते-चलते, मैं अपने मोबाइल पर जजमेंट पढ़ता रहा था ताकि मैं भारत के विभिन्न उच्च न्यायालयों के हालिया केस-क़ानूनों से ख़ुद को अपडेट रख सकूँ। यह मेरी दैनिक आदत थी कि मैं अपने जॉगिंग के समय का उपयोग अपने आप को अपडेट करने के लिए करता हूँ। 

जब मैं पार्क में घूम रहा था और अपने मोबाइल पर जजमेंट पढ़ने में पूरी तरह तल्लीन था, तो मैंने किसी को टक्कर मार दी। जब मैं अपनी सामान्य स्थिति में लौटा, तो मैंने देखा, वो लगभग साठ की उम्र के एक व्यक्ति थे। ये मेरे लिए और आश्चर्य की बात थी कि वो एक वरिष्ठ अधिवक्ता थे, जिनका मैं सम्मान करता था। 

स्वाभाविक रूप से मुझे उनसे माफ़ी माँगनी पड़ी और उनकी माफ़ी भी उम्मीद के मुताबिक़ आई थी। लेकिन जीवन के महत्त्वपूर्ण सबक़ के साथ। 

उसने मुझसे पूछा कि चलते-चलते मैं मोबाइल से क्या कर रहा था? 

वह उम्मीद कर रहे थे कि शायद मैं सोशल मीडिया में उलझा हुआ था। लेकिन उनकी उम्मीद के विपरीत मैंने अपने अलग कारण बताया। 

मैंने उनसे कहा कि मैं अपने समय का उपयोग नवीनतम निर्णयों के साथ ख़ुद को अपडेट करने के लिए कर रहा हूँ। 

उनकी प्रशंसा थोड़ी चेतावनी के साथ आई। 

उन्होंने कहा, ये अच्छा है कि मैं इस समय का सदुपयोग कर रहा था। लेकिन समय का सदुपयोग भी सही समय पर ही होना चाहिए। समय प्रबंधन तब तक अच्छा है जब तक समय आपको प्रबंधित नहीं करता। 

उन्होंने मुझे ख़ुद पर बहुत अधिक दबाव डालने के लिए आगाह किया। 

वे हँसे और बताया, “देखो, जुनून और जोश के बीच एक पतली रेखा है। 

“जुनून भय, असुरक्षा, पीड़ा का परिणाम है। जबकि जोश और उत्साह प्यार से आता है। मुझे ये ज़रूर देखना चाहिए कि यह जुनून था या जोश है जो मेरी ज़िन्दगी चला रहा है? 

“उत्तर यदि प्रेम है, तो जीवन का सफ़र सुखमय होने वाला है। लेकिन अगर यह जुनून है, तो ख़राब स्वास्थ्य स्वाभाविक परिणाम होने जा रहा है। 

“जीवन के अंतिम छोर पर हरेक व्यक्ति इस प्रश्न का सामना करता है उसके जीवन की प्रेरक शक्ति असुरक्षा, भय, पीड़ा, जुनून है या प्रेम, उत्साह और करुणा? इस प्रश्न का उत्तर निःसंदेह केवल उसी व्यक्ति को देना होता है।” 

अंत में उन्होंने मेरे कंधे को थपथपाया और कहा— युवक, यह बहुत अच्छा है कि वह मेरे जीवन के उचित समय पर मुझसे यह सवाल कर रहे हैं, इससे पहले कि जवाब देने और पछताने में बहुत देर हो जाए। 

मैं भी ये समझने की कोशिश कर रहा था कि रोज़-रोज़ नए-नए जजमेंट पढ़ने की मेरी आदत, जोश है, या कि जूनून? 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

......गिलहरी
|

सारे बच्चों से आगे न दौड़ो तो आँखों के सामने…

...और सत्संग चलता रहा
|

"संत सतगुरु इस धरती पर भगवान हैं। वे…

 जिज्ञासा
|

सुबह-सुबह अख़बार खोलते ही निधन वाले कालम…

 बेशर्म
|

थियेटर से बाहर निकलते ही, पूर्णिमा की नज़र…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

कहानी

सांस्कृतिक कथा

सामाजिक आलेख

सांस्कृतिक आलेख

हास्य-व्यंग्य कविता

नज़्म

किशोर साहित्य कहानी

कथा साहित्य

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं