चिरयुवा
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र 'कबीर'1 Mar 2021 (अंक: 176, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
यौवन रहा नहीं हमेशा
किसी का भी
इस नश्वर दुनिया में,
मगर तुम रहोगी
चिरयौवना
मेरी कविता में,
क्योंकि शब्द कभी
बूढ़े नहीं होते
उनमें बरक़रार रहती हैं
भावनाएँ
अपनी पूरी ताज़गी के साथ
सदियों-सदियों तक,
तब भी कोई अगर पढ़ेगा
मेरी कविता
तो देख पाएगा तुम्हें साक्षात्
उतनी ही सुन्दर, उतनी ही दिव्य,
जितनी कि तुम अभी हो।
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