प्रेम रहेगा हमेशा
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र 'कबीर'15 Mar 2022 (अंक: 201, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
हम पहले इंसान नहीं
जो प्रेम में हैं
और विश्वास करो
कि हम आख़िरी भी नहीं होंगे,
नफ़रत, घृणा, स्वार्थ, हिंसा
और क्रूरता का यह दौर
मिटा नहीं पाएगा प्रेम को,
यह पनप उठेगा
किसी न किसी रूप में,
पनपता आया है जैसे यह
सदियों से,
हाँ, आज इसको अपने हृदय में
जीवित रखने की ज़िम्मेदारी
हमारी है,
हमारे बाद किसी और की होगी
लेकिन यह सिलसिला चलता रहेगा यूँ ही
रहती दुनिया तक।
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