परोपकार का मूल्य
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र 'कबीर'15 Apr 2021 (अंक: 179, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
इस दुनिया में कुछ लोगों ने
दीन-दुखियों की सेवा की,
फिर अपने धर्म और अपने ईश्वर की
श्रेष्ठता का पाठ पढ़ाते हुए
उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए तैयार किया,
इस तरह उन्होंने अपनी तथाकथित
निस्वार्थ सेवा का पूरा मूल्य वसूल किया।
इस दुनिया में कुछ लोगों ने
भूखे-प्यासे लोगों को भोजन-पानी
और निराश्रित लोगों को सर पर
छत उपलब्ध करवाई,
फिर उसका देश-दुनिया में
अपनी वाहवाही के लिए ख़ूब सारा
प्रचार किया,
इस तरह उन्होंने अपने तथाकथित
निस्वार्थ कार्य का पूरा मूल्य वसूल किया।
इस दुनिया में कुछ लोगों ने
अनाथ व ग़रीब बच्चों के
रहने-खाने और पढ़ाने का बीड़ा उठाया,
फिर एक विचारधारा विशेष में
दीक्षित करके उन्हें
तर्क से रहित एक तरह का
मानसिक गुलाम बना दिया,
इस तरह उन्होंने अपनी तथाकथित
इंसानियत का पूरा मूल्य वसूल किया।
इस दुनिया में कुछ लोगों ने
लोगों को मुफ़्त में कई वस्तुएँ देकर
वोट पाने के लिए लुभाया,
फिर उन्हें अच्छे प्रशासन,न्याय और
ख़ुशहाली से वंचित करके
सिर्फ चंद लोगों को फ़ायदा पहुँचाया,
इस तरह उन्होंने अपनी तथाकथित
दानशीलता का पूरा मूल्य वसूल किया।
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