होगी मेरी ख़ुशनसीबी
काव्य साहित्य | कविता जितेन्द्र 'कबीर'15 Jun 2021 (अंक: 183, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
यह होगी मेरी ख़ुशनसीबी
कि तेरे ख़्यालों में हो जगह
मेरी भी थोड़ी सी कहीं,
मेरे ख़्यालों की बात और है,
उनकी तो रानी हो तुम्हीं।
यह होगी मेरी ख़ुशनसीबी
कि तेरे अरमानों में हो जगह
मेरी भी थोड़ी सी कहीं,
मेरे अरमानों की बात और है,
उनकी तो रवानी हो तुम्हीं।
यह होगी मेरी ख़ुशनसीबी
कि तेरी ख़ुशियों में हो जगह
मेरी भी थोड़ी सी कहीं,
मेरी ख़ुशियों की बात और है,
उनकी तो कहानी हो तुम्हीं।
यह होगी मेरी ख़ुशनसीबी
कि तेरी ज़िंदगी में हो जगह
मेरी भी थोड़ी सी कहीं,
मेरी ज़िंदगी की बात और है,
उसकी तो जवानी हो तुम्हीं।
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