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शब्दों का व्यापार

मुखिया, पार्षद विधायक सांसद 
या मंत्री पद का उम्मीदवार
चुनावी भाषण एक ही है
बिजली पानी मंदिर मस्जिद
महँगाई विकास सड़क सफ़ाई 
सुरक्षा गरीबी रोज़गार


और सचमुच
इनसे मिलती-जुलती
समस्या सूचक शब्दों में ही है
आम आदमी को 
सड़क से संसद पहुँचाने
का अद्भुत चमत्कार
अब पार्षद हो या मंत्री
भला कौन मूरख ये चाहेगा 
इन समस्यायों को 
निपटा कर
मार लेना अपने ही हाथों
अपने पाँव पर कुल्हाड़


ये अलग बात है कहीं किसी दिन 
मेरी यह क्षुब्ध कविता पढ़कर 
चुनाव आयोग ने यदि प्रतिबंधित कर दिया
नेताओं के लिए
ऐसे शब्दों का व्यापार
कोरे शब्दों के बदले
काम दिखाने की अनिवार्यता
कही विवश कर दे नेताओं को 
उनकी हैसियत के अनुसार 
प्रमाणिक तथ्यों सहित 
शब्द प्रयोग के सीमित अधिकार
तो संभव है 
बोलने से पहले 
शब्दों वाक्यों वादे बयानों पर 
होने लगे 
गंभीरता से विचार

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