सत्ता और विपक्ष
काव्य साहित्य | कविता राजनन्दन सिंह1 Jul 2021 (अंक: 184, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
सत्ता कल भी चुप थी
सत्ता आज भी चुप है
विपक्ष कल भी कैंडल मार्च निकाल रहा था
विपक्ष आज भी कैंडल मार्च निकाल रहा है
कल की सत्ता आज का विपक्ष है
कल का विपक्ष आज की सत्ता है
सत्ता और विपक्ष की कुर्सियों पर चेहरे बदले हैं।
इसके अलावा और क्या बदला है?
वस्तुतः हम नहीं जानते
न्याय की गुहार कल भी थी
न्याय की गुहार आज भी है
कल की सत्ता बेशर्मी से मौन थी
आज की सत्ता ताने देती है
कहती है इतने बावले क्यों हो
कल की सत्ता ने कौन सा न्याय दिया था
जो हमने नहीं दिया
तो इतने उतावले क्यों हो
ज़्यादा मत उछलो गौण रहो
देश सत्ता का है
विरोध बे-सत्ता का
तुम्हारा एक वोट है
सिर्फ़ एक वोट
तुम जनता हो
हमारे झाँसे में नहीं आना है
तो मत आओ
हमारा खेल मत बिगाड़ो
चुपचाप तमाशा देखो
और मौन रहो
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