मैली नदी के ऊपर
काव्य साहित्य | कविता राजनन्दन सिंह15 Apr 2020 (अंक: 154, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
मैली नदी के ऊपर
पुल से गुज़रती हुई
बस में बैठे हुए लोग
आपस में अक्सर
ये बातें करते हैं
नदी की पानी को क्या हुआ
यह काली कैसे हुई?
इसमें दुर्गंध कहाँ से आई
पीछे बैठी घूँघट सँभालती
झुँझलाती स्त्री
बीच में बोली
नदी का पानी काला
भला औेर
कैसे होता है
कोई कलमुँहा अधर्मी
नदी के निर्मल धार में
पीछे कहीं अपना
काला मुँह
धोता है।
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